नई दिल्ली । विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर वार्ता के दौरान पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसी गतिविधियां जारी रहने पर सहयोग, व्यापार और क्षेत्रीय विकास संभव नहीं है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि एससीओ के चार्टर में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को स्पष्ट रूप से चुनौती माना गया है, और जब तक इनका मुकाबला नहीं किया जाएगा, तब तक क्षेत्रीय सहयोग और व्यापार असंभव हैं।
आतंकवाद को लेकर सख्त रुख
विदेश मंत्री ने एससीओ की बैठक में कहा कि किसी भी सहयोग की नींव आपसी सम्मान और संप्रभुता पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और उग्रवाद को बर्दाश्त करने वाले देशों के साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, कनेक्टिविटी, और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोई संभावना नहीं है। इस बयान को पाकिस्तान पर सीधा कटाक्ष माना जा रहा है।
विकास के लिए शांति और स्थिरता जरूरी
डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि एससीओ के चार्टर के प्रति सभी सदस्य देशों की दृढ़ प्रतिबद्धता ही संगठन के लक्ष्यों को पूरा कर सकती है। शांति और स्थिरता के बिना विकास और प्रगति असंभव हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि चार्टर के अनुसार तीन मुख्य बुराइयों—आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद—से निपटने में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
वैश्विक चुनौतियों पर भारत की दृष्टि
विदेश मंत्री ने वैश्विक संघर्षों, जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखला की अनिश्चितता, और वित्तीय अस्थिरता को विकास के लिए बड़ी बाधा बताया। उन्होंने एससीओ के सदस्य देशों से इन चुनौतियों का मिलकर सामना करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की मांग को भी दोहराया, जिससे भारत को स्थायी सदस्यता का समर्थन मिला।
भारत की वैश्विक पहल और एससीओ के लिए योगदान
भारत की भूमिका पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे, और मिशन ‘लाइफ’ जैसी पहल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की ये पहल एससीओ के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं और दुनिया को नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु घटनाओं से तैयार करने और एक स्थायी जीवन शैली की ओर अग्रसर करने में मदद करेंगी। साथ ही, उन्होंने योग और मोटे अनाज के महत्व पर भी जोर दिया, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं।
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