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संथाल में अवैध घुसपैठ की समस्या का असर झारखंड विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा, यही होगा सबसे बड़ा मुद्दा

by अभय कुमार
Oct 15, 2024, 03:03 pm IST
in झारखण्‍ड
अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड में आगामी  विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान का शुभारम्भ  कर  दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का  झारखंड दौरा शुरू हो गया है।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बाहर निकालने का आह्वान करते हुए झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र के साहिबगंज जिले से अपना चुनाव प्रचार शुरू किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का तेवर इन अवैध रोहिंग्या  और बांग्लादेशियों को लेकर काफी सख्त व कटु था।

संथाल परगना में जानबूझकर अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को खास राजनीतिक रणनीति के तहत बसाया जा रहा है। इससे  क्षेत्र की जनसांख्यिकी में काफी बदलाव देखा जा रहा है। तीन राज्यों  झारखंड, असम और बंगाल में सोची-समझी साज़िश के तहत अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बसाने की प्रक्रिया सतत व तेजी से किया जा रहा है। इन तीनों राज्यों की  भौगोलिक स्थिति  के कारण ऐसा  होना अन्य राज्यों के अपेक्षा ज्यादा आसान है।  ऐसे अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी पूरे देश में फैलते जा रहे है और इससे अनेको क्षेत्रों की जनसांख्यिकी में साफ़ बदलाव देखा जा रहा है । ये अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी मतदाता भी बनते जा रहे हैं और हमारे चुनावी तंत्र व रणनीति को भी प्रभावित कर रहे हैं। कुछ ख़ास राजनीतिक  दल ऐसे प्रवासियों को राजनीतिक  लाभ के लिए पूरा सहयोग भी देते हैं। एक बड़े टीवी चैनल ने इन अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी को कैसे बसाया जा रहा है उस पर स्टिंग ऑपरेशन कर हकीकत उजागर करने का प्रयास भी किया है। वर्तमान में यह समस्या अन्य समस्याओं से ज्यादा संवेदनशील  है। इन अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी  का प्रयोग दंगा  फ़ैलाने या कानून विरोधी  कामो के लिए भी किया जा सकता है।

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भारत के चुनाव में एक वोट का भी महत्व देखने  को मिलता है। भारत के चुनावी इतिहास में कम से कम तीन बार एक वोट के अंतर से चुनाव का परिणाम आया है। ये तीनो चुनाव विधानसभा के थे। 2008 में राजस्थान में नाथद्वारा व मध्य प्रदेश में धार विधानसभा क्षेत्र वही 2004  में कर्नाटक में संथेमराहल्ली   विधानसभा  में एक मत के अंतर से चुनाव परिणाम देखने को मिला है।

आजादी के बाद से 2011 तक भारत में हिंदू आबादी में 4।28  प्रतिशत की कमी आई जबकि संथाल परगना क्षेत्र में हिंदू आबादी में 22।42 प्रतिशत की कमी देखा गया   है । राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या में 4।31  प्रतिशत की वृद्धि हुई  वही  संथाल क्षेत्र में  13।3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई है। राष्ट्रीय स्तर पर ईसाई समुदाय की वृद्धि 231 प्रतिशत है जबकि संथाल क्षेत्र में यह 6748  प्रतिशत है।  इस बीच संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की आबादी 2011 में 44।66 प्रतिशत से 16।55  प्रतिशत घटकर 28।11 प्रतिशत रह गई है।

1951 की जनगणना के अनुसार संथाल परगना की जनसंख्या 23,22,092 थी, जिसमें हिंदू 20,98,492 (90।37 प्रतिशत), मुस्लिम 2,19,240 (9।43 प्रतिशत) और ईसाई 4,289 (0।18 प्रतिशत) थे। कुल जनसंख्या में जनजातीय लोग 10,37,167 (44।66 प्रतिशत) थे।

2011 की जनगणना के अनुसार संथाल परगना क्षेत्र की जनसंख्या लगभग तीन गुना हो गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार संथाल परगना की जनसंख्या 69,69,097 है, जिसमें हिंदू 47,35,723 (67।95 प्रतिशत), मुस्लिम 15,84,285 (22।73 प्रतिशत), ईसाई 2,93,718 (4।21 प्रतिशत) थे। संपूर्ण जनसंख्या में जनजातीय लोगों की संख्या 19,59,133 (28।11 प्रतिशत) है।

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संथाल परगना क्षेत्र अब छह जिलों साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, देवघर, दुमका और जामताड़ा में विभाजित है। आँकड़ों के सूक्ष्म अध्ययन से स्पष्ट होता है कि 1961 से 2011 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम आबादी में 3।54 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि साहिबगंज में उनकी जनसंख्या 14।7 प्रतिशत, पाकुड़ में 13।84 प्रतिशत, जामताड़ा में 8।91 प्रतिशत, गोड्डा में 7।39 प्रतिशत और 5।82 प्रतिशत बढ़ी। देवघर में शत। इसके विपरीत, इसी अवधि में आदिवासी/आदिवासी समुदाय की आबादी पाकुड़ में 14।53 प्रतिशत और साहिबगंज में 12।66 प्रतिशत घट गई।

घुसपैठ की गंभीर स्थिति को भांपते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका दायर की गई। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि झारखंड के कुछ जिलों में योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों का  घुसपैठ करवाया जा रहा है। साथ ही आदिवासी लड़कियों को प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है और उनसे शादी की जा रही है।

संथाल परगना इस्लामी ताकतों की प्राथमिक  सूची में है। 2011 की जनगणना के अनुसार 5857 मुस्लिम जनजातियाँ पंजीकृत हैं। इन दिनों मुस्लिम जनजातियां जानबूझकर लव जिहाद के जरिए हिंदू और आदिवासी लड़कियों को अपने जाल में फंसा रही हैं और उनसे शादी कर आदिवासी समाज की जमीन पर कब्जा कर रही हैं।

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अब मुसलमान इलाके की राजनीति को जरूरत से ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। राजमहल लोकसभा सीट इस मुस्लिम राजनीति का मुख्य बिंदु है। राजमहल लोकसभा सीट में पाकुड़ की तीन और साहिबगंज जिले की तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं।  भाजपा ने 1998 और 2009 के लोकसभा चुनावों में क्रमशः 9 और 8983 वोटों के मामूली अंतर से सीट जीती। अन्यथा या तो झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सीट जीती। 2014 से इस सीट पर जेएमएम जीतती आ रही है। भारत के लोकसभा के चुनावी इतिहास में राजमहल सीट पर सबसे कम मतो से 1998  में भाजपा के सोम मरांडी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता थॉमस हांसदा को महज 9  मतो से पराजित किया था।

जब मुसलमान प्रभावशाली हो जाते हैं तो नए प्रखंड  बनाने के लिए सरकार पर दबाव डालने की अपनी परखी हुई नीति का भी उपयोग करते हैं। गोड्डा जिले के पथरगामा ब्लॉक में 1961 में 19।18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी। बसंतराय ब्लॉक को पथरगामा ब्लॉक से अलग किया गया है और बसंतराय ब्लॉक में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। साहिबगंज के राजमहल ब्लॉक से उधवा ब्लॉक बनाया गया  जिसमें मुस्लिम आबादी करीब 64 फीसदी है।  1961 की जनगणना के अनुसार देवघर जिले के करौं प्रखंड में मुस्लिम आबादी 23 थी और करौं प्रखंड से अलग कर मारगोमुंडा प्रखंड का गठन किया गया था, जिसमें मुस्लिम आबादी लगभग 50 प्रतिशत है।

झारखंड और विशेषकर संथाल परगना क्षेत्र में जानबूझकर की जा रही घुसपैठ आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने  जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी साहिबगंज रैली में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। इंडि  गठबंधन के दलों, मुख्य रूप से झामुमो और कांग्रेस की चुप्पी भी चौंकाने वाली है और यह स्पष्ट है कि उन्हें इस मुद्दे को सुलझाने में इन दलों की कोई दिलचस्पी नहीं है। झामुमो व कांग्रेस पार्टी की नज़र इस क्षेत्र पर बहुत ही पहले से हैं वो इस क्षेत्र का राजनीतिक दोहन उनके प्राथमिक सूचि में हैं।राजनीतिक तौर पर  इन दलों के रवैया से यह भी महसूस  होने को बाध्य होना पड़ता हैं की इन दलों का मौन समर्थन तो नहीं है?

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