मुंबई मेट्रो में श्रीराम भजन का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें जनरेशन जेड अर्थात सबसे मॉडर्न कही जाने वाली पीढ़ी के युवा दिखाई दिए। वे लोग विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ श्रीराम भजन का आनंद उठा रहे थे। इसकी प्रशंसा में स्वतंत्र पत्रकार कुणाल पुरोहित ने वीडियो साझा करते हुए लिखा कि यही “हिन्दुत्व पॉप है, जो ऐसे बना है जो बिना किसी भेदभाव के सभी को अपनी ओर खींच ले, फिर चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण। अमीर युवा भी गाने में कोई हिचक नहीं महसूस कर रहे हैं!”
यह वीडियो खूब साझा किया गया और पर्वों के इस माहौल में लोगों ने काफी प्रशंसा भी की कि युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है। मगर जैसे कि भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसने अभी तक हिंदुओं को लगातार अपमानित किया है और जिसने अपनी फिल्मों के माध्यम से हिंदुओं को नीचा दिखाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी थी, वह वर्ग हिंदुओं के इस आत्मगौरव बोध वाली पीढ़ी से डरता है, वह चिढ़ता है। और उसे कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि इतने वर्षों तक खिलाए गए जहर के बाद भी युवा पीढ़ी इस संगीत के साथ कैसे जुड़ी हुई है।
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ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं, पूजा भट्ट। पूजा भट्ट के साथ वैसे तो कई विवाद जुड़े हुए हैं, मगर उनके साथ सबसे बड़ा विवाद उनका वह फ़ोटो शूट रहा था जिसे उन्होंने अपने शरीर पर पेन करके कराया था और साथ ही उनके अपने पिता के साथ चुंबन वाला भी चित्र वायरल हुआ था। पूजा भट्ट ने लिखा कि “आखिर सार्वजनिक स्थानों पर इसे कैसे इजाजत दी जा सकती है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह हिन्दुत्व पॉप है, क्रिसमस कारोल्स हैं, बॉलीवुड हिटस है या और कुछ। सार्वजनिक स्थानों को इस तरीके से दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। आखिर कैसे अधिकारी इसकी इजाजत दे सकते हैं?” ओ! अब गाली दें!”
यह ऐसे वर्ग की खास विशेषता होती है कि वह पहले कुछ ऐसा कहता है जिससे विवाद हो और फिर विक्टिम कार्ड खेलता है। जब ऐसा कोई पोस्ट करता है, तो उसे इसके लिए भी तैयार रहना चाहिए कि लोग प्रतिक्रिया देंगे ही देंगे। और वही हुआ। सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रतिक्रिया देना आरंभ कर दिया। लोगों ने पूजा भट्ट का उनके पिता महेश भट्ट के साथ चित्र भी साझा किया, जिसमें वे पिता महेशभट्ट के साथ आपत्तिजनक चुंबन दे रही थीं।
लोगों ने पूछा कि जब नमाज के समय सड़कें जाम होती हैं तो आप लोग कुछ क्यों नहीं कहती हैं? इसके साथ ही लोगों ने पूछा कि जब दिन में पाँच बार सार्वजनिक स्थानों पर वह सब सुनाया जाता है, जो नहीं सुनाया जाना चाहिए, उस समय आपका विरोध क्यों नहीं होता है? एक यूजर ने लिखा कि “भाई ने भविष्य के आतंकवादी की मदद की, पिता ने हिंदुओं पर आरोप लगाया और उसने अपने राजनीतिक लिंक्स के माध्यम से दोनों को कवर अप किया!”
गौरतलब है कि पूजा भट्ट को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी देखा गया था। उस समय उनकी तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं। पूजा भट्ट महेश भट्ट की बेटी हैं। महेश भट्ट एक “विख्यात” फिल्म निर्माता/निर्देशक रह चुके हैं और अभी तक वे काफी मुद्दों पर मुखर रहते हैं। इस्लाम के प्रति उनका झुकाव भी साफ देखा जा सकता है। वे भगोड़े जाकिर नाइक के भी बहुत बड़े समर्थक हैं।
जो जाकिर नाइक इन दिनों पाकिस्तान के उदारवादी लोगों के गुस्से का शिकार बना हुआ है, जिसे वहाँ के लोग पानी पी-पी कर कोस रहे हैं, उसी जाकिर नाइक पर महेश भट्ट फिल्म बनाना चाहते थे। इतना ही नहीं ये महेश भट्ट ही थे जो एक प्रोपोगैंडा किताब के लोकार्पण में शामिल थे, जिसमें मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में आरएसएस को दोषी ठहराने का षड्यन्त्र किया गया था।
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पूजा भट्ट के भाई राहुल भट्ट का भी आतंकी संबंध सामने आया था। मगर पूजा भट्ट इन सब बातों पर नहीं बोलती हैं कि एक सार्वजनिक व्यक्ति आखिर कैसे एक जहरीले आदमी पर बायोपिक बना सकता है या फिर एक सार्वजनिक व्यक्ति क्यों अपने बेटे के आतंकी संबंधों पर बात नहीं करता है, मगर पूजा भट्ट को मेट्रो में जय श्रीराम के गाने से समस्या है।
समस्या यह बिल्कुल नहीं है कि युवा जय श्रीराम गा रहे हैं, समस्या यह है कि पूजा भट्ट जैसे लोग यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि फिल्मों आदि के माध्यम से हिंदुओं के प्रति, उनके पर्वों के प्रति इतना जहर घोलने के बाद भी हिन्दू युवा जय श्रीराम गा रहा है और गर्व से सार्वजनिक रूप से गा रहा है। वे अपने एजेंडे की हार बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
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