उत्तराखंड

उत्तराखंड: प्रयागराज के लिए अखाड़ा परिषद चिंतित, हरिद्वार के लिए खामोश क्यों?

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दिनेश मानसेरा

हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रयाग कुंभ में गैर हिंदूओं के प्रवेश को वर्जित करने का निर्णय किया है। लेकिन, साथ-साथ ये भी चर्चा आम होने लगी है कि अखाड़ा परिषद हरिद्वार और आसपास बढ़ रही गैर हिंदू आबादी पर खामोश क्यों है?

उल्लेखनीय है कि कुंभ क्षेत्र हरिद्वार के आसपास गैर हिंदू आबादी ने पांव पसार लिए है, गंगा घाटों के कुछ कदमों की दूरी पर मुस्लिम वन गुज्जरों ने अपने आशियाने बना लिए है और अखाड़े मौन साधे रहे। जबकि सनातन की सुरक्षा संरक्षण का पहला दायित्व अखाड़े ही करेंगे ऐसा आदि गुरु शंकराचार्य का निर्देश था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कहीं थूक कर, कहीं मूत्र कर सनातन संस्कृति को भ्रष्ट करने की चेष्टा की जा रही है।

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पंचदशनाम जूना अखाड़े की ओर से निकाली गई छड़ी यात्रा को पूजन के बाद हरकी पैड़ी से रवाना करने के बाद श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि हाल ही में कई जगहों से फोटो और वीडियो सामने आए है कि गैर हिंदू किस तरह से जिहाद चला रहे हैं। मसूरी, देहरादून और अन्य जगहों के वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यदि इस तरह का कृत्य किया जा रहा है और मुस्लिम समुदाय के मौलाना चुप्पी साधे हुए हैं, तो यह बेहद चिंतनीय है। हमारे यहां मंदिरों में भी ईश्वर अल्लाह तेरों नाम का भजन सुबह-शाम सुनाया जाता है।

जबकि किसी मसजिद से सामाजिक सौहार्द की ऐसी भजन कभी सुनाई नहीं देती है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर कोई हरकत करता है तो उसे नागा संन्यासी देखेंगे। वह सबक सिखाने के साथ ही दंड देने के भी अधिकारी होते हैं। श्रीमहंत रविंद्र पुरी जी महाराज के वक्तव्य के दो दिन बाद ही हरिद्वार श्री गंगा सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा हर की पैड़ी के आसपास पनप रही झोपड़ी बस्ती में मांस मदिरा, सुल्फा और वन्य जीवों के सींग दांत आदि बरामद किए है।

हरिद्वार में चंडी घाट बिरला घाट गऊ घाट हरकी पैड़ी के आसपास सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करके बस्तियां बसा ली है जिनमे रोहिंग्या, मुस्लिम सबसे ज्यादा है इनके अलावा यहां बंग्लादेशी भी है और घुमत्तू जाति के लोग भी है। इन बस्तियों में मदरसे खुल गए है। ड्रग्स, चोरी ,लूटपाट और अवैध शिकार जैसे अपराधो ने लिप्त ये लोग यात्रियों के साथ साथ शहरवासियों को भी अपना निशाना बना रहे हैं।

शहर में ये चर्चा भी आम है कि हरिद्वार को बदसूरत बनाने में जितनी भूमिका प्रशासन की है उतनी ही हिंदू संगठनों की भी है जोकि ऐसे मामलो में मौन साधे हुए हैं। जबकि हरिद्वार को सनातन की दृष्टि से सबसे बड़े गंगा तीर्थ का दर्जा हासिल है। सनातन के बड़े से बड़े साधु संत का हरिद्वार में प्रवास रहता है, अखाड़े मठ हरिद्वार से ही संचालित होते हैं। बावजूद इसके यहां सनातन विरोधी गतिविधियों का संचालन होना चिंता का विषय बनता जा रहा है।

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सामाजिक कार्यकर्ता अमित शर्मा कहते है कि हरिद्वार नगर निगम का बाईलॉज कहता है कि गंगा घाटों के आसपास गैर सनातन गतिविधियां, गैर हिंदू का प्रवेश तक वर्जित है, बावजूद इसके हरिद्वार के हालात बद से बद्तर होते जा रहे है।
जरूरत है कि हरिद्वार का सनातन स्वरूप बनाए रखने कि जिसके लिए अखाड़ा परिषद ,हिंदू संगठनों के साथ साथ संत समाज और जिला प्रशासन को एक साथ मिलकर काम करना होगा। अन्यथा तीर्थ सनातन नगरी हरिद्वार को  हरी चादर ओढ़े जाने से कोई रोक नहीं सकेगा।

जिला प्रशासन का बयान

गंगा घाट के आसपास अतिक्रमण के मामले में डीएम के.सिंह ने कहा है कि 70 झोपड़ियों को हरिद्वार प्राधिकरण ने हटाया है, ये अभियान आगे भी जारी रहेगा। हम हरिद्वार में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे नहीं होने देंगे।

गंगा सभा का बयान

हर की पैड़ी पर गैर हिंदू और अराजक तत्वों की मौजूदगी से गंदगी बढ़ गई है, यहां मांस मदिरा नशे के सेवन हो रहे है। तीर्थ पुरोहित समाज के पदाधिकारी उज्ज्वल शर्मा ने कहा है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से यहां से बस्तियां बनती जा रही है, हमारे कार्यकर्ता गंगा घाटों को दूषित नही होने देंगे।

 

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