गत 4 अक्तूबर को राष्ट्र सेविका समिति, नागपुर विभाग ने विजयादशमी समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने कहा कि असाधारण शक्ति से संपन्न महिलाओं को अपने भीतर की शक्ति का अनुभव करना चाहिए और नए भारत के उत्थान के लिए आगे आना चाहिए।
राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वी. शांता कुमारी ने देश को अस्थिर करने और युवाओं को गुमराह करने वाली ताकतों से सावधान रहने और अंधानुकरण से दूर रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार और अमानवीय अपराधों की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसके लिए व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर काम करना होगा।
उन्होंने कड़े कानून और त्वरित निर्णय की प्रक्रिया के साथ ही समाज जागरण की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि वैचारिक संभ्रम के कारण मूल तत्वज्ञान को भूलकर ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे’ कहने वाला समाज आज जाति, बिरादरी, मत, पंथ के बंधन में फंसकर अपने विराट स्वरूप को काटने में लगा है। इसलिए मूल हिंदू चिंतन का विचार व्यवहार में लाने की आवश्यकता है।
इस दौरान मंच पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानं, विदर्भ प्रांत की कार्यवाहिका मनीषा आठवले और नागपुर विभाग कार्यवाहिका करुणा साठे के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैयाजी जोशी, सहसरकार्यवाह श्री रामदत्त और श्रीमती किरण चोपड़ा आदि उपस्थित रहे।
‘सांस्कृतिक उत्थान को समर्पित थीं अहिल्याबाई’
गत दिनों संबलपुर (ओडिशा) में ‘भारतीय सांस्कृतिक एकीकरण और वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित हुई। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि वीरांगना अहिल्याबाई होलकर ने अपना पूरा जीवन भारत के सांस्कृतिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।
वे एक कुशल प्रशासक थीं। उन्होंने इंदौर को विश्व पटल पर स्थापित करने के साथ ही पूरे देश की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का काम किया। अहिल्याबाई के मनो-मस्तिष्क में हमेशा भारत बसता था। सही मायने में राष्ट्र क्या होता है, इसकी छवि हमें अहिल्याबाई होलकर में दिखती है।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने आगे कहा कि अनेक व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, वीरांगना अहिल्याबाई होलकर अपनी प्रतिबद्धता में अडिग रहीं और एक प्रभावी प्रशासक, योद्धा और आर्थिक तथा सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अग्रदूत के रूप में ख्याति अर्जित की।
उन्होंने धार्मिक और सांस्कृतिक पहलों के माध्यम से भारत को एकजुट करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी ने सभी से साहसी महिला अहिल्याबाई होलकर से प्रेरणा लेने तथा उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
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