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भारत ने फटकारा तो ढाकेश्वरी जाकर घड़ियाली आंसू बहाने लगे ‘मुख्य सलाहकार’ यूनुस

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WEB DESK

गत दिनों दुर्गा पूजा मना रहे बांग्लादेश के हिन्दुओं में खौफ का माहौल था। पहले तो उन्हें चिट्ठी भेजकर 5 लाख टका का ‘जजिया’ भरने को कहा गया, उसे बाद पंडालों को दूषित किया गया, हिन्दुओं को पूजा करने से रोका गया। इस बीच जेशोरेश्वरी काली मंदिर में देवी का स्वर्ण मुकुट भी चोरी हुआ। इन सब घटनाओं पर भारत ने कड़ा एतराज जताते हुए मोहम्मद यूनुस सरकार को फटकार ​लगाई। भारत के विदेश विभाग ने आधिकारिक बयान जारी करके बांग्लादेश में हिन्दुओं के दमन पर आपत्ति दर्ज कराई।


बांग्लादेश की राजधानी ढाका और अन्य स्थानों पर दुर्गा पूजा पंडालों पर उन्मादियों के हमलों, तोड़फोड़ और मंदिर से मां काली के स्वर्ण मुकुट की चोरी को भारत ने गंभीरता से लेते हुए यूनुस की सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इसका ​ही शायद असर था कि ‘मुख्य सलाहकार’ हिन्दुओं के साथ बात करने और उन्हें पूजा की शुभकामनाएं देने के लिए प्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर पहुंच गए। वहां उन्होंने ‘दुखी स्वर’ में हिन्दुओं को आश्वस्त करने की असफल कोशिश की। हिन्दुओं ने कहा कि यूनुस के वादे धरातल पर उतरें तो मानेंगे कि वे सुरक्षित हैं।

सर्वविदित है कि गत दिनों दुर्गा पूजा मना रहे बांग्लादेश के हिन्दुओं में खौफ का माहौल था। पहले तो उन्हें चिट्ठी भेजकर 5 लाख टका का ‘जजिया’ भरने को कहा गया, उसे बाद पंडालों को दूषित किया गया, हिन्दुओं को पूजा करने से रोका गया। इस बीच जेशोरेश्वरी काली मंदिर में देवी का स्वर्ण मुकुट भी चोरी हुआ। इन सब घटनाओं पर भारत ने कड़ा एतराज जताते हुए मोहम्मद यूनुस सरकार को फटकार ​लगाई। भारत के विदेश विभाग ने आधिकारिक बयान जारी करके बांग्लादेश में हिन्दुओं के दमन पर आपत्ति दर्ज कराई।

इस बयान के जारी होने के कुछ ही घंटों के भीतर ‘मुख्य सलाहकार’ मोहम्मद यूनुस ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर पहुंच गए। वहां उन्होंने हिंदू समाज के प्रतिनिधियों से अलग से चर्चा की और पूजा की शुकामनाएं दीं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में जेशोरेश्वरी काली मंदिर में देवी के दर्शन करने के बाद स्वर्ण मुकुट भेंट किया था

इस बार कट्टर इस्लामी तत्वों के उन्माद की वजह से उस देश में कुल आबादी में 7—8 प्रतिशत बचे हिन्दू दुर्गा पूजा पूरे उत्साह के साथ न मना सके। पूजा मंडपों पर मजहबी उन्मादियों के हमलों का भय घेरे रहा क्यों कि पुलिस प्रशासन ने भी हिन्दू श्रद्धालुओं की कुछ खास सुरक्षा नहीं की थी। इसी दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेशोरेश्वरी काली मंदिर में देवी के दर्शन करने के बाद जो स्वर्ण मुकुट भेंट किया था वह भी चोरी कर लिया गया। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज ​सोशल मीडिया पर दुनिया ने देखा था।

इसके बाद, भारत सरकार ने यूनुस की अंतरिम सरकार पर गंभीर टिप्पणी करते हुए बयान जारी किया। भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय ने तांतीबाजार और जेशोरेश्वरी मंदिर की घटनाओं पर सरकार की ढिलाई की ओर इंगित किया। इसके बाद यूनुस की कट्टरपंथियों के इशारों पर चल रही सरकार ‘डेमेज कंट्रोल मोड’ में आई। सलाह हुई कि क्या किया जाए, और फिर यूनुस एक बार फिर सुप्रसिद्ध प्राचीन ढाकेश्वरी मंदिर जा पहुंचे और ‘शुभकामनाएं’ देने लगे। वहां हिंदुओं के साथ उन्होंने बातचीत करके ‘आगे सब ठीक होने’ की बात की।

यूनुस के इस ‘प्रयास’ को अंतरिम सरकार की ओर से सोशल ​मीडिया पर ‘प्रचारित’ किया गया। यूनुस की ओर से पोस्ट डाली गई जिसमें बताया गया कि ‘मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस शनिवार को देश में सबसे बड़े हिंदू उत्सव दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर हिंदू समाज को शुभकामनाएं देने ढाका के पवित्र ढाकेश्वरी मंदिर पहुंचे।’ मंदिर के आंगन में बैठकर ‘घड़ियाली आंसू’ बहाते हुए मुहम्मद यूनुस ने हिन्दुओ के बीच कहा कि सरकार चाहती है ऐसा बांग्लादेश बने कि इसके हर नागरिक को पूरे हक मिलें।

इसी ढाका के तांतीबाजार में पिछले दिनों एक दुर्गा पूजा मंडप को देसी बम से आग लगाने की घटना हुई। इस साल पूजा के दौरान मजहबी उन्मादियों के इशारों पर चल रहे इस्लामी बांग्लादेश में पूजा आयोजन से जुड़ीं 35 घटनाओं को अंजाम दिया गया।

ढाकेश्वरी में यूनुस ने अपनी पुलिस की पीठ थपथपाते हुए कहा कि दुर्गा पूजा निर्बाध हो सके, इस​के लिए पुलिस पूरी ईमानदारी से जुटी रही। ‘सरकार’ में एक मंत्री जहांगीर आलम चौधरी भी कुछ पूजा मंडपों में गए थे। उनका कहना है कि बांग्लादेश सरकार इस बार दुर्गा पूजा आयोजनों के लिए चार करोड़ टका का प्रावधान किया था।

बांग्लादेश ‘सरकार’ की ओर से हिन्दुओं को निडर होकर रहने की ‘सलाहें’ पहले भी दी गई थीं, लेकिन वे भी सिर्फ ‘दिखावा’ ही साबित हुईं। बांग्लादेश में बसे हिन्दू प्राचीनकाल से ही वहां दुर्गा पूजा मनाते आ रहे हैं। पूर्ववर्ती शेख हसीना की सरकार रहते तक ये उत्सव बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता था, लेकिन 5 अगस्त 2024 को हुए तख्तापलट के बाद से वहां ‘छात्रों’ की आड़ में मजहबी उन्मादी तत्व हावी हैं और हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यक ‘काफिरों’ का जीना मुहाल कर दिया गया है।

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