नए बांग्लादेश का स्वरूप क्या होगा, यह अब लगभग तय होता दिख रहा है। एक खबर और तस्वीर जो लगभग 10 दिन से अधिक पुरानी है, वह दब गई और उस पर अधिक बात नहीं हुई। वह थी ढाका के स्कूलों और कॉलेज के छात्रों का खिलाफत के पक्ष में किया गया प्रदर्शन! एक नहीं बल्कि कई स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने खिलाफत की मांग की। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि यह उन बच्चों ने किया, जिन्हें खानदानी या कहें एलीट माना जाता है।
ढाका की सड़कों पर 30 सितंबर को स्कूल ड्रेस में लड़के उतरे। उनके हाथों में काले रंग के झंडे थे और उस पर सफेद रंग से अरबी में कुछ लिखा था। बांग्लादेश वाच नामक हैंडल ने इन तस्वीरों और वीडियो को साझा करते हुए लिखा, “या तो शरिया या फिर शहादत”
मुक्ति का एक ही रास्ता: खिलाफत, खिलाफत!”
इससे पहले नवाब हबीबुल्ला स्कूल एंड कॉलेज के छात्रों ने भी जिहाद के समर्थन में रैली निकाली थी।
"Either Shariah (Islamic Law) or Shahadat (Martyrdom)"
"Only one way to salvation: Caliphate, Caliphate"
Some of the slogans from a large procession brought out yesterday by students of #Dhaka College, one of #Bangladesh's premier higher secondary secular edu. institutions.… pic.twitter.com/PHiOWtfIuA
— Bangladesh Watch (@bdwatch2024) September 29, 2024
29 सितंबर को voice of Bangladeshi hindus नामक हैंडल ने इसी रैली का एक चित्र साझा किया। इसमें एक यूजर ने लिखा था, “खिलाफत के लिए स्कूल, कॉलेज छात्रों में जागरूकता बढ़ रही है। खिलाफत के लिए मांग लगातार तेज होती जा रही है। इससे पहले विभिन्न यूनिवर्सिटी में ही खिलाफत की मांग होती थी, मगर अब स्कूल और कॉलेज के भी छात्र खिलाफत की मांग कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह सकारात्मक बदलाव है। खिलाफत की स्थापना के बिना बंगाल की मुक्ति नामुमकिन है!”
ढाका कॉलेज में यह रैली निकाली गई थी। ऐसा माना जाता है कि इस रैली में हिज़्ब उत तहरीर का हाथ हो सकता है और यह भी संभव है कि इस रैली से उसका असर बढ़े। ढाका कॉलेज के साथ-साथ कई स्कूल और कॉलेज के छात्र भी खिलाफत की मांग को लेकर काले झंडे के साथ सड़क पर उतरे। 6 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में यह देखा गया कि स्कूल और कॉलेज के छात्र जातीय संसद भवन की ओर सफेद रंग के झंडे के साथ जा रहे हैं। उनपर काले रंग से कुछ लिखा गया है। ittefaq.com.bd में एक चित्र है, जिसमें सफेद रंग के झंडे लिए हुए छात्र हैं। यह झण्डा आम तौर पर तालिबानियों का कहा जाता है।
रैली में सेंट जोसेफ हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेज के छात्र थे। यह रैली Conscious Teachers and Students, St. Joseph’s Higher Secondary School द्वारा निकाली गई थी। हैरानी की बात यही है कि यह ढाका में ए+ रैंकिंग वाले सात कॉलेजों में से एक है और कैथोलिक मिशनरियों द्वारा चलाया जाता है। रेली में छात्रों ने राष्ट्रीय संसद तक मार्च किया और देश में खिलाफत की स्थापना की मांग की।
वहीं उससे पहले नोटरे डैम कॉलेज के भी छात्रों ने खिलाफत की मांग के लिए रैली निकाली थी, और यह कॉलेज भी ईसाई मिशनरी ही चलाती है। ये लोग भारत में किसी हिन्दू पुजारी द्वारा इस्लाम के खिलाफ की गई टिप्पणी के खिलाफ यह रैली निकाल रहे थे और खिलाफत का समर्थन कर रहे थे। एक और जुलूस विल्स लिटिल फ्लावर स्कूल के छात्रों ने निकाला था। हैरानी की बात यही है कि यह स्कूल लन्दन विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का पालन करने वाला संस्थान है। इसमें भी छात्रों के हाथों में सफेद रंग के झंडे थे और जिनपर काले रंग से लिखा हुआ था।
इन जुलूसों में जिस प्रकार से इस्लामिक स्टेट और तालिबान जैसा झण्डा लहराया गया, वह चिंताजनक तो है, परंतु यह भी सत्य है कि जो स्थितियों को देख और समझ रहा है, उनके लिए हैरान करने वाला नहीं है, क्योंकि कट्टरता लगातार बढ़ रही है। बांग्लादेश की पुलिस के अनुसार उन्होनें ऐसे दस लोगों को हिरासत में लिया है, जिन्होनें ऐसे झंडों के साथ प्रदर्शन किया था। यह भी गौरतलब है कि शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद जेलों से कई आतंकवादी भी भाग गए थे। इस्लामिक स्टेट बांग्लादेश में प्रतिबंधित है और इसके साथ ही हिज़्ब उत तहरीर भी प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। ढाका में आईजीपी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि जो भी आतंकी संगठन के समर्थन में रैली निकालते हुए पाया जाएगा, उसे हिरासत में लिया जाएगा।
बीबीसी बांग्ला के अनुसार ढाका में विभिन्न स्थानों पर हुए छात्रों के इन प्रदर्शनों में फिलिस्तीन में जीनोसाइड को रोकने की भी मांग की गई थी। बीबीसी बांग्ला के अनुसार ढाका में कई स्कूलों और कॉलेज छात्रों ने काले झंडों के साथ राजधानी में इन मांगों के साथ प्रदर्शन किया था। सोशल मीडिया reddit पर भी इन झंडों को लेकर हुई रैली को लेकर लोग डरे हुए दिखाई दिए। इसमें एक एक्स मुस्लिम ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा था कि उसे बांग्लादेश को लेकर चिंता है। इस पर लोगों ने कई टिप्पणियां कीं।
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