केंद्रीय सुरक्षा समिति (CCS)ने पीएम मोदी की अध्यक्षता में भारत की अंतरिक्ष स्पाय क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक नई योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का नाम स्पेस-बेस्ड सर्विलांस फेज III (SBS-III) है। इसके तहत 52 नए स्पाय उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे, जिनकी लागत लगभग ₹27,000 करोड़ होगी। यह निर्णय भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ती सुरक्षा चिंताओं, खासकर भारतीय महासागर में चीनी जहाजों की गतिविधियों को देखते हुए लिया गया है।
SBS कार्यक्रम का परिचय
SBS कार्यक्रम की शुरुआत 2001 में हुई थी। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। इसके पहले चरण में चार उपग्रह लॉन्च किए गए थे। फिर 2013 में दूसरे चरण के दौरान छह और उपग्रह लॉन्च किए गए। अब इस तीसरे चरण में अगले पांच वर्षों 52 नए उपग्रह लॉन्च होने की उम्मीद है। इससे भारत की भू और समुद्री सीमाओं की स्पाय क्षमता में काफी वृद्धि होगी।
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नई तकनीक
इन नए उपग्रहों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाएगा। जिसकी मदद से ये उपग्रह एक-दूसरे से बात कर सकेंगे। जैसे, अगर एक उपग्रह किसी असामान्यता का पता लगाता है, तो वह दूसरे उपग्रह को और जानकारी इकट्ठा करने के लिए कह सकता है। इससे डेटा इकट्ठा करने और उसे समझने में मदद मिलेगी। ISRO के एक अधिकारी ने बताया कि यह तकनीक उपग्रहों की क्षमता को बढ़ाएगी और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। AI का समावेश निगरानी को और प्रभावी बनाएगा।
सैन्य और नागरिक उपयोग
SBS-III परियोजना का उद्देश्य केवल सैन्य क्षेत्र में नहीं है, बल्कि यह नागरिक उपयोगों के लिए भी बनाई गई है। यह सेटेलाइट आपदा प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी जैसे कार्यों में मदद करेगी। इसके अलावा, भारत ने अमेरिका से 31 हथियारबंद प्रीडेटर ड्रोन खरीदने को भी मंजूरी दी है, जो इस मिशन की क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
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रणनीतिक महत्व
इस समय भारत की सीमा के पास बढ़ती चीन की गतिविधियाँ के कारण इस योजना का बहुत महत्व है। इस योजना के द्वारा भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और अपनी सीमाओं पर अवैध निर्माण पर नजर रख पाएगा। खासकर चीन के द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हो रहे नई सड़कें और सैन्य ठिकानों का निर्माण पर निगरानी रखने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इन नए उपग्रहों से भारत को दुश्मन पनडुब्बियों और अन्य खतरों का पता लगाने में भी मदद मिलेगी। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है कि हम किसी भी खतरे का सही समय पर पता लगा पाये।
निजी क्षेत्र के साथ सहयोग
इस परियोजना में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा। ISRO 21 उपग्रह विकसित करेगा जबकि बाकी 31 उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा बनाए जाएंगे। इस तरह का सहयोग न केवल उपग्रहों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाएगा, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देगा।
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निरंतर निगरानी
SBS प्रणाली 24/7 काम करेगी, यानी यह दिन-रात काम करेगी। यह मौसम या समय से प्रभावित नहीं होगी और मानव निर्मित वस्तुओं पर लगातार डेटा एकत्र करेगी। इससे भारत अपनी सीमाओं पर हमेशा चौकसी रख सकेगा।
नए 52 स्पाय सैटेलाइट लॉन्च करने की यह योजना भारत के लिए अंतरिक्ष आधारित निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। दुनिया में बदलते राजनीतिक हालातों के बीच, यह पहल भारत की सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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