“मीडिया को भी है अभिव्यक्ति का अधिकार”, केरल उच्च न्यायालय से केरल सरकार को झटका
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

“मीडिया को भी है अभिव्यक्ति का अधिकार”, केरल उच्च न्यायालय से केरल सरकार को झटका

केरल उच्च न्यायालय में केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ. शेखर एल कुरियाकोसे ने उन तमाम रिपोर्ट्स पर आपत्ति व्यक्त की थी जो इस मामले में लगातार मीडिया में आ रही थीं।

by सोनाली मिश्रा
Oct 12, 2024, 02:01 pm IST
in विश्लेषण
Kerala High court BNS BNSS BSA
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

केरल उच्च न्यायालय ने 11 अक्टूबर को केरल राज्य आपदा प्रबंधन की यह मांग ठुकरा दी कि वायनाड़ में चल रहे राहत संबंधी कार्यों को कवर करने में मीडिया को रोक दिया जाए। केरल उच्च न्यायालय ने वायनाड में केरल सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत और पुनर्वास कार्यों में मीडिया कवरेज रोकने को लेकर किसी भी प्रकार से आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।

केरल उच्च न्यायालय ने यह कहा कि मीडिया की अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। दरअसल केरल राज्य में वायनाड़ में बाढ़ में आई हुई तबाही के बाद राहत और पुनर्वास उपायों में निधि के प्रयोग को लेकर कुछ प्रश्न कुछ मीडिया कर्मी उठा रहे थे। और इसी बात को लेकर केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण केरल उच्च न्यायालय में पहुंचा था कि वह ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स पर रोक लगे और मीडिया का आना वायनाड में रोके। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने ऐसी किसी भी मांग पर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। केरल उच्च न्यायालय ने मीडिया की महत्ता को इंगित करते हुए कहा कि मीडिया को दिए गए फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति के अधिकार को किसी भी प्रकार से रोक नहीं सकते हैं। न्यायालय ने कहा, “हम मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नियंत्रित करने वाले स्थापित कानून की अनदेखी नहीं कर सकते, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में पहले से उल्लिखित प्रतिबंधों के अतिरिक्त मीडिया पर उचित प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते।“

केरल उच्च न्यायालय में केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ. शेखर एल कुरियाकोसे ने उन तमाम रिपोर्ट्स पर आपत्ति व्यक्त की थी जो इस मामले में लगातार मीडिया में आ रही थीं। याचिककर्ताओं का यह तर्क था कि इससे कार्य करने वाले उन तमाम लोगों का मनोबल टूट रहा है, जो अपनी जान पर खेलकर राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं। याचिककर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि मीडिया में कुछ लोग राहत और बचाव कार्य के लिए आवंटित राशि को लेकर भी कुछ झूठी खबरें चला रहे हैं और जिसके कारण लोगों में भ्रम उत्पन्न हो रहा है। और यह भी कहा कि ये तमाम रिपोर्ट्स भ्रामक हैं।

इसे भी पढ़ें: NCPCR ने सभी राज्यों से मदरसा बोर्डों को बंद करने को कहा, गैर मुस्लिम छात्रों को RTE स्कूलों में प्रवेश देने की मांग

याचिकाकर्ता अर्थात केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का यह कहना था कि जो “हाफ ट्रुथ” वाली रिपोर्ट्स और भ्रामक रिपोर्ट्स हैं, उनसे जनता में भी गलत धारणा बन रही है और इसके कारण राज्य और केंद्र सरकारों के बीच संबंध प्रभावित हो सकते हैं और जिसके कारण राहत और बचाव कार्यों में बाधा आ सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार हो सकता है कि राहत राशि के संवितरण पर प्रश्न उत्पन्न करे।

इस पर केरल उच्च न्यायालय ने हालांकि किसी भी प्रकार का कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया, परंतु यह अवश्य कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी को समझे और एक जागरूक रिपोर्टिंग करे। उच्च न्यायालय ने यह कहा कि मीडिया के पास सरकार के कार्यों की आलोचना का अधिकार है। न्यायालय का यह भी कहना था कि मीडिया कर्मियों सहित सभी नागरिकों के लिए यह अनुमति अनिवार्य है कि वे अपने मत को स्वतंत्र होकर व्यक्त कर सके, क्योंकि इससे सरकार के अधिकारी भी नियंत्रण में रहते हैं। और यदि इस अधिकार को ही प्रतिबंधित कर दिया गया तो इससे देश से लोकतंत्र हटकर निरंकुश शासन आ जाएगा जो भारतीय गणतंत्र के सिद्धांतों के मूल के विपरीत है।

केरल उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता किसी भी लोकतान्त्रिक समाज का अभिन्न अंग है और प्रेस की स्वतंत्रता का हनन करके एक खतरनाक प्रवृत्ति को जन्म दिया जाएगा जहां पर आलोचना और असंतोष को दबाना अधिकार माना जाएगा। हालांकि, उच्च न्यायालय ने मीडिया से भी यह अपेक्षा की कि वह संवेदनशील मामलों पर जिम्मेदारी से रिपोर्टिंग करें।

मीडिया से डरते क्यों हैं कम्युनिस्ट?

यह बहुत हैरानी की बात है कि भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अभिव्यक्ति की आजादी का गाना गाने वाले कम्युनिस्ट अपनी सरकार आने पर मीडिया को ही प्रतिबंधित क्यों करते हैं? गुजरात दंगों से लेकर हाथरस के मामले तक हर जगह कम्युनिस्ट मीडिया ने जमकर भ्रम फैलाया है। बल्कि 2002 की रोटी तो अभी तक कम्युनिस्ट मीडिया खा रहा है और साथ ही कम्युनिस्ट नेता भी हिंदुओं के प्रति भ्रामक खबरों को प्रश्रय ही देते हुए अधिकतर पाए जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: ‘बांग्लादेश में हिंसक तख्तापलट ने हिन्दुओं पर अत्याचारों को दोहराया’: विजयदशमी के मौके पर बोले सरसंघचालक मोहन भागवत

भाजपा शासित किसी भी राज्य में किसी भी मामले पर भ्रामक ही नहीं बल्कि झूठी खबर भी अभिव्यक्ति का अधिकार होता है तो वहीं अपने शासित राज्य में लगभग हर मामले में मीडिया का कवरेज इन्हें अतिरेक लगता है या कहें राज्य के मामलों में हस्तक्षेप लगता है। ऐसा दोगला रवैया इनका क्यों है? क्यों कम्युनिस्ट शासन मीडिया की आवाज को दबाना चाहता है? क्यों वह स्वतंत्र मीडिया के कवरेज से डरता है?

Topics: अभिव्यक्ति की आजादीमीडियाकेरल हाई कोर्टवायनाड आपदा प्रबंधनWayanad disaster managementMediaFreedom of Expressionkerala high court
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Karnataka government Social media control bill

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का ‘फेक न्यूज कानून’ या विचारों का गला घोटने की साजिश?

गीर्ट विल्डर्स भारतीय छात्रा शर्मिष्ठा पनौली (दाएं) की गिरफ्तारी के विरोध में सामने आए हैं

Sharmishta को मिला Netherlands में कट्टर इस्लामवादियों की हेकड़ी निकालने वाले गीर्ट विल्डर्स का साथ

Tiananmen Genocide by China

तियानमेन नरसंहार: चीन में लोकतंत्र की मांग को टैंकों से कुचलने की भयावह कहानी

Sharmishtha Pnoli

शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को बार काउंसिल के चेयरमैन मनन मिश्रा ने कहा-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला

केरल यूनिवर्सिटी बिल पर बवाल : शिक्षकों की अभिव्यक्ति पर रोक..?

British PM Keir starmer grroming Jihad Muslims

ब्रिटिश PM कीर स्टारमर को अखबार ने कहा ‘देश द्रोही’, विश्लेषक ने इस्लामोफोबिया, अवैध अप्रवास समेत कई कारण गिनाए

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies