श्रीनगर, (हि.स.)। बीएसएफ के महानिरीक्षक (कश्मीर फ्रंटियर) अशोक यादव ने शुक्रवार को माना कि सर्दियों का मौसम करीब आते ही कश्मीर घाटी में घुसपैठ करने के लिए नियंत्रण रेखा के पार लॉन्चिंग पैड पर करीब 150 आतंकवादी इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षाबल ऐसी किसी भी कोशिश को नाकाम कर देंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय भी कश्मीर घाटी में खतरे की कई सूचनाएं थीं लेकिन हमारी समन्वित योजना ने किसी भी हमले को नहीं होने दिया और चुनाव सफल रहे।
बीएसएफ के महानिरीक्षक (कश्मीर फ्रंटियर) अशोक यादव ने श्रीनगर में पत्रकारों से कहा कि हम लॉन्चिंग पैड पर आतंकवादियों की संख्या को भी ध्यान में रखते हैं, जो हमें किसी भी योजना को विफल करने के लिए हमारी रणनीति और वर्चस्व योजना को आकार देने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल यह सुनिश्चित करेंगे कि घुसपैठ के किसी भी प्रयास को विफल किया जाए। यह पूछे जाने पर कि अभी कितने आतंकवादी लॉन्चिंग पैड पर इंतजार कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि आमतौर पर लॉन्चिंग पैड पर आतंकवादियों की संख्या 130 से 150 के बीच होती है, जो कभी-कभी यह थोड़ी अधिक हो सकती है।
जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव कराने की चुनौतियों पर यादव ने कहा कि सुरक्षाबलों ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने कहा कि खतरे की कई सूचनाएं थीं लेकिन हमने किसी भी हमले को रोका और चुनाव सफल रहे। अशोक यादव ने कहा कि अब सर्दी आने वाली है, इसलिए तैयारियां चल रही हैं। सर्दी आने से पहले आतंकवादी अक्सर घुसपैठ की कोशिश करते हैं और हम उसी के अनुसार इलाके पर नियंत्रण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर संभावित घुसपैठ की कोशिशों के बारे में सूचनाएं हैं।
नार्को टेररिज्म के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार से मादक पदार्थ आते हैं और यह आतंकवाद के वित्तपोषण का एक अच्छा स्रोत है। नियंत्रण रेखा पर कुछ गांव हैं जैसे तंगधार और केरन सेक्टर जैसे कुछ संवेदनशील क्षेत्र हैं लेकिन हमने मोबाइल बंकर और महिला सैनिकों को भी तैनात किया है। ऐसी सूचना थी कि वे मादक पदार्थों की आमद को रोकने के लिए कुछ महिलाओं को कूरियर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है और हम इसे काफी हद तक कम करने में सफल रहे हैं।
बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि बल यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि सैनिकों को न केवल हथियार संचालन, फायरिंग, फील्ड क्राफ्ट और रणनीति जैसे सीमा प्रबंधन के पारंपरिक पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाए बल्कि नवीनतम तकनीक में भी प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि ड्रोन के बढ़ते मुद्दे को देखते हुए हम बेहतर सीमा सुरक्षा के लिए नई तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के तरीके पर प्रशिक्षण शामिल कर रहे हैं।
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