देश ने हाल ही में एक बहुत ही अनमोल रत्न खो दिया है। रतन टाटा, जिन्होंने टाटा को वैश्विक ब्रांड बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अब हमारे बीच नहीं हैं। उनका योगदान न केवल व्यापारिक क्षेत्र में बल्कि समाज के हर स्तर पर महत्वपूर्ण रहा है। रतन टाटा की सोच और दृष्टिकोण ने टाटा समूह को हर घर तक पहुंचाया, जिससे टाटा का नाम अब एक प्रतीक बन गया है।
टाटा ब्रांड की पहचान में नमक से लेकर चाय, कार से लेकर हवाई जहाज, सुई से लेकर बड़े ट्रक तक, घड़ी से लेकर एयर कंडीशनर तक की उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहाँ टाटा का उत्पाद न हो। रतन टाटा ने हमेशा मुनाफे के लिए लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं किया; बल्कि, उन्होंने अपने उत्पादों के माध्यम से आम जनता के स्वास्थ्य और स्वाद का भी ध्यान रखा।
आयोडीन युक्त नमक
जब देश में लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों से पीड़ित थे, तब रतन टाटा ने एक ऐसा समाधान निकाला, जिससे लोगों का स्वाद और स्वास्थ्य दोनों बेहतर हो सके। टाटा केमिकल्स ने 1983 में भारत में पैकेट में पहला आयोडीन युक्त नमक ब्रांड लॉन्च किया था। यह नमक आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है और टाटा नमक हर घर में पहली पसंद बन गया है। जब भी नमक के विभिन्न ब्रांडों की बात होती है, टाटा नमक सबसे पहले लोगों के मन में आता है। इसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता के कारण आम लोगों में टाटा ब्रांड के प्रति कोई संदेह नहीं है।
जानकारी के अनुसार, टाटा समूह ने 1927 में गुजरात के ओखा से देश में नमक बनाने का काम शुरू किया। उस समय किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि गुजरात में नमक बनाया जा सकता है। कंपनी ने 1983 में पैकेट में आयोडीन युक्त नमक बेचना शुरू किया। इस नमक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आयोडीन और आयरन की कमी को दूर करने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
आज देश में टाटा नमक विभिन्न किस्मों में उपलब्ध है। इसके सभी गुणों के बावजूद इसकी कीमत अन्य ब्रांड्स की तुलना में बेहद किफायती है। कम पैसे में उच्च गुणवत्ता का नमक उपलब्ध होने के कारण लोग इसे अपनाते हैं। टाटा नमक ने न केवल भारतीय बाजार में एक विशेष स्थान बनाया है, बल्कि यह लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने में भी मददगार साबित हुआ है।
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