इजराइल में जारी अशांति ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। लेबनान और ईरान के द्वारा की जाने वाली सैन्य गतिविधियों के कारण इजराइल के नागरिकों का जीवन गंभीर खतरे में पड़ गया है। इस बीच, इजराइल की यहूदी जनसंख्या के साथ-साथ वहाँ रहने वाले हिंदुओं की संख्या भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो इस संकट के दौरान समझने योग्य है-
इजराइल में हिंदुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जो कुल जनसंख्या का केवल 0.01 प्रतिशत है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, इजराइल में लगभग 11,500 हिंदू निवास करते हैं। इस संख्या का यह मतलब नहीं है कि हिंदू समुदाय इजराइल में अनुपस्थित है; बल्कि, यह इस बात का संकेत है कि इजराइल की जनसंख्या मुख्यतः यहूदियों की है और हिंदू जनसंख्या एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अस्तित्व में है।
इजराइल में रहने वाले हिंदू समुदाय में विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग शामिल हैं, जिनमें भारतीय प्रवासी, छात्रों, और अन्य पेशेवर शामिल हैं। यह समुदाय आमतौर पर शांति और सह-अस्तित्व के मूल्य को मानता है और इजराइल के सामाजिक ताने-बाने में अपनी भूमिका निभाता है।
परिस्थितियों के कारण हिंदू समुदाय के लोग भी चिंतित हैं। हवाई हमलों और हिंसक झड़पों के चलते आम नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है, और इजराइल में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
इजराइल में बढ़ती अशांति के कारण नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हवाई हमलों में नागरिकों की हताहत संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे पूरे देश में चिंता का माहौल है।
इजराइल ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए अपने दुश्मनों का सामना करने की कोशिश की है, लेकिन इस प्रक्रिया में आम नागरिकों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
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