हरियाणा और जम्मू वो कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बुरी प्रदर्शन से एक बार फिर से राहुल गाँधी की राजनीतिक भविस्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया हैं। राहुल गाँधी ने दोनों राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में जोरशोर से पार्टी का प्रचार किया था। कांग्रेस पार्टी २०२४ के लोकसभा चुनाव में आशा से अधिक सीट जितने के बाद जोश में थी। मगर परिणाम पूरी तरह विपरीत रहा।
कांग्रेस पार्टी राहुल गाँधी के नेतृत्व में 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल का नेता बनने के लायक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2019 में कांग्रेस पार्टी ने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में अपना नेता चुना और उनके राजनितिक सूझबुझ के कारण पार्टी 2024 में विपक्ष का नेता बनने की क्षमता प्राप्त कर सकी। मगर ममता बनर्जी और गाँधी परिवार की जोड़ी ने सोची समझी रणनीति के तहत उनको उनके लोकसभा सीट बहरामपुर में ही चुनाव हरवा दिया । इसके हार के कारण राहुल गाँधी आसानी से विपक्ष के नेता बन गए वो बंगाल में मममता बनर्जी के खिलाफ मुखर आवाज़ को कमजोर किया गया।
राहुल गाँधी का विधानसभा चुनाव में प्रचार पार्टी के लिए घाटा का सौदा बनता हैं। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद हुए विधानसभा चुनावों का आकलन करते हैं तो पाते हैं की कांग्रेस ज्यादा मौको पर चुनाव हारी हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के साथ ही इन ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश वो सिक्किम में विधानसभा के चुनाव भी हुए थे।
मगर इन चारो राज्यों में हरियाणा वो जम्मू कश्मीर राज्य की तरह ही बुरी हार हुईं थी। राहुल गांधी की बहुप्रचारित भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए लेकिन विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की सीटें 75 फीसदी कम हो गईं। अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या 4 सीटों से घटकर एक पर आ गई। सीटों के अलावे 2019 के विधानसभा चुनाव के संबंध में कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर भी 11।29 प्रतिशत की कमी हो गई। राहुल गांधी की यात्रा अरुणाचल प्रदेश में पापुम पारे जिले से होकर गुजरी। इस जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर भाजपा ने निर्विरोध जीत हासिल की। वही जिले की सागली सीट 2019 में कांग्रेस पार्टी के खाते में थी लेकिन 2024 में भाजपा ने इस सीट पर निर्विरोध जीत दर्ज़ किया। वही अन्य सीट दोईमुख सीट पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा मगर इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का वोट काफी कम हो गया। अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 2019 में 25 सीटों पर सीधे मुकलबले में थी। जिसमे कांग्रेस पार्टी ने 4 सीटें जीतीं और 21 सीटों पर उपविजेता रही, जबकि 2024 में कांग्रेस पार्टी सिर्फ 1 सीट जीती और 3 सीटों पर ही उपविजेता रही। इसलिए राहुल गांधी की यात्रा के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का सीधे सीटों पर टक्कर 2019 में 25 सीटों से घटकर 2024 में 4 सीटों पर आ गई।
भारत जोड़ो न्याययात्रा के दौरान राहुल गांधी ने ओडिशा में 4 दिन बिताए और 341 किमी की यात्रा तय किया। मगर कांग्रेस पार्टी को इस यात्रा का कोई भी फायदा नहीं हुया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 0।88 प्रतिशत कम हुया। कांग्रेस पार्टी ओडिशा में 2019 की तरह ही 2024 में केवल कोरापुट की सीट ही जीत सकी । कोरापुट सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ हैं और कांग्रेस पार्टी ने यह सीट 1977 में भी जीती थी। लोकसभा के साथ ही हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की 5 सीटें बढ़ीं मगर कांग्रेस पार्टी के वोट प्रतिशत में 2.80 की गिरावट आई। ओडिशा में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा दो जिलों झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ से होकर गुजरी। झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ जिलों में विधानसभा की 9 सीटें हैं। मगर 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं हुया और 2019 के विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस पार्टी सिर्फ राजगांगपुर सीट ही जीत सकी। ये दोनों जिले लोकसभा के बारगढ़ और सुंदरगढ़ सीटों के अंतर्गत आती हैं और इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी का वोट प्रतिशत 2019 से कम हो गया।
ओडिशा में 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 9 सीटें जीतीं और 31 सीटों पर उपविजेता रही थी वही 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 14 सीटें जीतीं और 12 सीटों पर उपविजेता रही। 2019 के विधानसभा चुनाव में ओडिशा में कांग्रेस पार्टी 40 सीटों पर सीधे मुकाबले में थी, जो 2024 में घटकर केवल 26 सीटें ही रह गई। ओडिशा में 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर लगभग 3 प्रतिशत कम हो गया। ओडिशा में कांग्रेस पार्टी का ऐसा प्रदर्शन तब हुया जब राज्य में में भारत जोड़ो न्याय यात्रा चार दिनों तक चली थी।
आंध्र प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने 4 दिनों की यात्रा की थी इसके बाजवूद भी कांग्रेस पार्टी अपने खाता तक नहीं खोल पायी हैं, आंध्र प्रदेश में विगत दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई हैं । यह कांग्रेस पार्टी की विडंबना है कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी 175 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी सीधे मुकाबले तक में नहीं आ पायी हैं । आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, नागालैंड और सिक्किम जैसे ऐसे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश है जहां कांग्रेस पार्टी का राज्य विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
राहुल गाँधी की यात्रा के बाद कांग्रेस पार्टी तेलंगाना का विधानसभा चुनाव जीती मगर वो चुनाव कांग्रेस पार्टी भारत राष्ट्र समिति सरकार के खिलाफ जनता का जनादेश कहा जाना ज्यादा उपयुक्त होगा। चंद्रशेखर राव लम्बे समय से मुख्यमंत्री थे और उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर था। यहाँ तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव कामारेड्डी सीट से अपनी चुनाव भी हार गए।
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