भारत की ताकत पहचान मोदी से आकर मिले मालदीव के मुइज्जू, हिन्द महासागर पर भारतीय मत के समर्थन में उतरा टापू देश

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मोदी और मुइज्जू की वार्ता के बाद जो साझा बयान जारी हुआ उसमें मालदीव का उल्लेख भारत के ‘निकट मित्र’ के तौर पर किया गया। मोदी ने खुद कहा है कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराने घनिष्ठ संबंध हैं। भारत और मालदीव निकटतम पड़ोसी हैं। ‘सागर’ दस्तावेज में भी मालदीव अपना ही स्थान रखता है।


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत आना सिर्फ किसी देश के शीर्ष नेता के किसी दूसरे देश के सरकारी दौरे की तरह नहीं देखा जा सकता। इसे जनवरी 2024 में मालदीव के तीन मंत्रियों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने से बिगड़े दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने की राष्ट्रपति मुइज्जू की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए। हालांकि उन मंत्रियों को पद से हटाकर मुइज्जू इस दिशा में एक संकेत दे चुके थे, लेकिन चीन से उनकी जो विशेष निकटता है, उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था।

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के गत अगस्त माह में मालदीव दौरे और उसके पहले मई में उस देश के विदेश मंत्री मूसा जमीर के भारत दौरे के दौरान रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश माना जा सकता है। मालदीव जानता है कि मुसीबत में चीन की बजाय उस पड़ोसी भारत पर भरोसा किया जा सकता है, जिसकी विदेश नीति में पड़ोसी देशों के लिए विशेष स्थान है।

कल शाम भारत के पांच दिन के दौरे पर सपत्नीक भारत पहुंचे राष्ट्रपति मुइज्जू ने आज प्रधानमंत्री मोदी से प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। रक्षा तथा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाशने के साथ ही दोनों देश हिंद महासागर के इलाके में स्थिरता तथा समृद्धि के लिए एक ‘विजन’ दस्तावेज पर राजी हुए हैं, यह बड़ी बात है। मालदीव ने इस विषय पर भारत के साथ खड़े होने का निर्णय लेकर एक जांबाज फैसला किया है। हिन्द महासागर का क्षेत्र इन दिनों गहमागहमी से गुजर रहा है, यह भारत की दृष्टि से रणनीतिक महत्व रखता है, लेकिन चीन की दखल यहां दिक्कतें पैदा करती रही है। पिछले ​तीन दशक में चीन ने वहां कई गतिविधियां शुरू की हैं जिनसे भारत ही नहीं, अमेरिका के रणनीतिकारों को भी चिंता पैदा हुई है।

दोनों नेताओं की इस बैठक के बाद मोदी ने कहा कि भारत मालदीव के आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है और उस नाते कई प्रकार का सहयोग कर रहा है। यह आगे भी जारी रहने वाला है। मालदीव को भारत की ओर से दिए गए एक बड़े कर्ज को लौटाने की अवधि में भारत पहले ही लंबी छूट दे चुका है।

सोमवार यानी आज सुबह जब मुइज्जू का राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया गया तो यह दूसरा मौका था जब मुइज्जू उस आंगन में खड़े थे। उससे पहले, जून माह में भी मुइज्जू इसी आंगन में आए थे जब मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।

मोदी और मुइज्जू की वार्ता के बाद जो साझा बयान जारी हुआ उसमें मालदीव का उल्लेख भारत के ‘निकट मित्र’ के तौर पर किया गया। मोदी ने खुद कहा है कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराने घनिष्ठ संबंध हैं। भारत और मालदीव निकटतम पड़ोसी हैं। ‘सागर’ दस्तावेज में भी मालदीव अपना ही स्थान रखता है।

मालदीव में आज ‘रूपे’ कार्ड शुरू हुआ है। दोनों देश अब यूपीआई से भी जुड़ेंगे। भारत मालदीव को अनेक परियोजनाओं में मदद करेगा। वहां नए व्यापारिक पोर्ट विकसित किए जाएंगे। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट भी तेज होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, दोनों देशों में साझेदारी का सबसे बड़ा स्तंभ है विकास। भारत ने भी मालदीव तथा वहां के नागरिकों को सिरमाथे बैठाया है। वार्ता में दोनों देशों के मध्य रक्षा तथा प्रतिरक्षा में सहयोग आगे बढ़ाने की बात हुई। हार्बर प्रोजेक्ट पर काम तेजी से जारी है।

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