7 अक्टूबर, 2023 का दिन इजरायल के इतिहास में एक काला दिन बन गया। एक साल पहले आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला किया। इस हमले ने इजरायल की सुरक्षा को बुरी तरह हिला दिया। 1200 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे गए। 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया। यह इजरायल के लिए बड़ा सदमा था। हमले की पहली बरसी पर इजरायल ने 10 दिन का शोक घोषित किया है।
इजरायली सेना ने कहा है कि जंग जारी रहेगी ताकि भविष्य में ऐसा हमला न हो सके। इजरायल रक्षा बलों (IDF) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हेरजी हलेवी ने कहा है कि संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ‘7 अक्टूबर को एक साल बीत चुका है। जब हम अपने नागरिकों की सुरक्षा के मिशन में असफल हुए थे। हम अब 10 दिनों के आत्म-विश्लेषण में हैं। 7 अक्टूबर केवल याद करने का दिन नहीं है, यह आत्मनिरीक्षण का भी दिन है।’
उन्होंने कहा, ‘एक पूरा साल गुजर चुका है और हमने हमास को सैन्य मोर्चे पर हराया है। हम संगठन की आतंकवादी क्षमताओं के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। हमने हिज्बुल्लाह को भी गंभीर चोट पहुंचाई है। जिसने अब अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को खो दिया है। हम रुकने वाले नहीं हैं। हम सभी मोर्चों पर आक्रामक, रणनीतिक और सक्रिय रुख अपनाएंगे। हम हर सीमा पर अपनी रक्षा रणनीतियों को मजबूत कर रहे हैं।’
हलेवी ने यह भी कहा, ‘हम समझते हैं कि अपने लोगों की सुरक्षा के लिए IDF को और मजबूत होना पड़ेगा। हम अपने दुश्मनों की क्षमताओं को नष्ट कर रहे हैं और सुनिश्चित करेंगे कि ये फिर से तैयार न हो सकें। हमारा लक्ष्य 7 अक्टूबर जैसी घटना को दोहराने से रोकना है।’
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गाजा से दक्षिणी इजरायल पर हालिया रॉकेट हमले
इस बीच रविवार को गाजा से दक्षिणी इजरायल पर तीन रॉकेट दागे गए। यह हमला गाजा में चल रहे इजरायली सैन्य अभियानों की पहली वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले हुआ। इजरायली सेना ने बताया कि एक रॉकेट को रोक दिया गया था। जबकि अन्य खुले क्षेत्रों में गिरे। घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
101 बंधक अभी भी लापता
हमास हमले के दौरान बंधक बनाए गए 250 लोगों में से 101 अब भी लापता हैं। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि जब तक सभी बंधकों का पता नहीं लगाया जाता, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
इजरायल का काउंटर अटैक
इजरायल की कार्रवाई में करीब 41000 मौतें हुई। लाखों लोग गाजा से विस्थापित हुए। इजरायल ने हमास के कई बड़े नेताओं को मार गिराया। इस्माइल हानिया और मोहम्मद डेफ भी इनमें शामिल थे। 1973 के योम किप्पुर युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य अभियान है। यह युद्ध इतिहास में दर्ज हो गया है। 2008 के बाद से यह पांचवां फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध है।
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ईरान का संभावित प्रवेश
विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध में ईरान की एंट्री से स्थिति और बिगड़ सकती है। ऐसे में इजरायल को निकट भविष्य में संघर्षों के लिए तैयार रहना होगा।
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