देहरादून: देव भूमि उत्तराखंड के वनों में बाहरी राज्यों के मुस्लिम संगठनों के द्वारा स्थानीय मुस्लिम संगठनों के जरिए रिजर्व फॉरेस्ट में मुस्लिम वन गुज्जरों के अवैध रूप से कब्जे करवाने के मामले सामने आ रहे हैं। इस बारे में गृह विभाग को खुफिया विभाग से इनपुट मिले है, जिसके बाद वन विभाग में सरगर्मियां तेज हो गई है।
खबर है कि कांग्रेस शासनकाल में जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में जंगलों में रहने वाले मुस्लिम वन गुज्जरों को स्थानीय मूल निवासी का दर्जा देते हुए इनके नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिए गए हैं। जिसे लेकर स्थानीय जौनसारी जनजाति लोगों में रोष भी देखा जा रहा है। राज्य में जनसंख्या असंतुलन की खबरें इन दिनों चर्चा में है, छोटे-छोटे क्षेत्रों को लक्ष्य बनाकर मुस्लिम संगठन कैसे उत्तराखंड की डिमोग्रेफी को चेंज करने में लगे है इसका उदाहरण राज्य की वन भूमि है, जहां योजनाबद्ध तरीकों से मुस्लिम गुज्जर बसाए जा रहे हैं। फिर उनके बीच जाकर इस्लामिक मदरसे और मस्जिदें बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
पहले ये माना जाता था कि वन गुज्जर मांस नहीं खाते और जंगल के रखवाले होते हैं, अपने दुधारू पशु चराने के लिए वन गुज्जरों को जंगल के अधिकार मिले हुए थे। लेकिन, इनके बीच मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों की सक्रियता को देखते हुए उन्हें जंगलों से बाहर लाकर बसाया गया और बदले में सरकार ने इनकी सुख सुविधाओं का ख्याल भी रखा, किंतु कुछ समय बीत जाने के बाद वन गुज्जर समूह के समूह जंगलों में घुसपैठ कर वन भूमि पर अवैध कब्जे करने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 70 फीसदी वन है, जहां हजारों की संख्या में मुस्लिम वन गुज्जर अपनी घुसपैठ कर चुके हैं। इनमें ज्यादातर अवैध कब्जे किए हुए है और ये कब्जे छोटे-छोटे नहीं अपितु सैकड़ों हैक्टेयर में किए जा चुके हैं और वन विभाग इन्हें खाली कराने के लिए ढुलमुल रविय्या अपनाए हुए है।
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उत्तराखंड के मैदानी जिले उधम सिंह नगर और नैनीताल के वन क्षेत्र में मुस्लिम गुज्जरों ने सैकड़ों हेक्टेयर सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, कब्जाई गई जमीन पर मस्जिद मदरसे खोल दिए गए हैं, सेटेलाइट तस्वीरों से इसके पुख्ता प्रमाण भी मिल चुके हैं। इन मस्जिद मदरसों में बाहरी राज्यों से जमीयत से जुड़े मौलवी आकर इस्लामी शिक्षा दे रहे हैं। खास बात ये है कि पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग ने इस मामले में पिछले दिनों कागजी कार्यवही भी की थी। उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के तराई सेंट्रल, तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी फॉरेस्ट डिविजन के घने जंगलों में मुस्लिम गुज्जरों ने अवैध रूप से कब्जे कर हजारों हैक्टेयर सरकारी वन भूमि पर खेती करनी शुरू कर दी है, खास बात ये कि वन विभाग के अधिकारियों ने इस जानकारी कई महीनो तक छिपाए रखा? अब स्टेलाइट तस्वीरों ने उक्त अतिक्रमण की पोल खोल कर रख दी है।
तराई ही नहीं हरिद्वार, देहरादून, राजा जी पार्क, कालसी, चकराता त्यूनी, वन प्रभागों में भी वन मुस्लिम गुज्जरों के अवैध कब्जे सामने आए हैं। कुछ ऐसे वन गुज्जर गिरोह भी पकड़ में आए जो कि वन्यजीव शिकार में लिप्त है, टाइगर की खालें, हाथी दांत तस्करी में इनकी लिप्तता जाहिर हुई है।
अभी हाल ही में मुस्लिम वन गुज्जरों के लिए पैरवी करने वाली एक संस्था ने उत्तराखंड सरकार को एक पत्र लिख कर खटीमा क्षेत्र में तराई केंद्रीय वन प्रभाग के किलापुर रेंज और टांडा क्षेत्र में सत्तर मुस्लिम वन गुज्जर परिवारों को बसाने के लिए दबाव बनाना शुरू किया है। वन विभाग ने पिछले अनुभवों और मीडिया में आ रही खबरों के बाद से इन जंगल में जाने से रोका हुआ है। मुस्लिम गुज्जर ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी नाम की संस्था जंगलों में वन गुज्जरों के अवैध कब्जों की पैरवी के लिए पत्राचार कर रही है।
वन गुज्जरों को लेकर कुछ माह पहले खुफिया विभाग ने सरकार को एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें वन भूमि पर अवैध कब्जे किए जाने की जानकारी के साथ साथ अवैध रूप से बनी मस्जिद मजारों मदरसे और अन्य धार्मिक संस्थाओं का भी जिक्र किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सूचना को वन विभाग के उच्च अधिकारियों के सामने रखा तो उसके बाद वन महकमे में कुछ दिन तो हलचल हुई फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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जानकारी के मुताबिक, घने जंगलों से मुस्लिम गुज्जरों को ऐसे ही नहीं कुछ साल पहले बाहर किया गया था इसके पीछे कुछ वजहें थीं। तर्क ये दिया जाता रहा है कि टाइगर रिजर्व ,वाइल्ड लाइफ रिजर्व से मुस्लिम गुज्जरों इसलिए बाहर किया गया कि जंगल का स्वाभाविक स्वरूप बना रहे और वन्य जीव को कोई जीवन जीने में कोई बाधा न हो। कहा ये जाता था कि वन मुस्लिम गुज्जर मांस नहीं खाते और जंगल के रखवाले होते है। किंतु समय के बदलाव के साथ-साथ वन मुस्लिम गुर्जरों का सामाजिक, आर्थिक जीवन भी बदल रहा है और यहां भी मुस्लिम कट्टरपंथ प्रवेश करने लगा और ईद पर कुर्बानी होने लगी और धीरे-धीरे ये लोग रिजर्व फॉरेस्ट के जंगल में अपने झाले खत्ते के आसपास खेती के लिए वन कर्मियों से मिलीभगत कर सरकारी वन भूमि को कब्जाने लगे।
यहां मस्जिदें बन गई और लाउडस्पीकर लगा कर पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाने लगी है, बच्चों के लिए जमीयत के उलेमाओं ने यहां आकर कट्टपंथ के मदरसे खोल दिए है जहां हिंदी नहीं, बल्कि उर्दू अरबी पढ़ाई जा रही है। इन मदरसों मस्जिदों को बनाए जाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जिला अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है। जो कि नहीं ली गई है। ऐसे तीन मदरसे वन विभाग ने जाकर बंद करवाए है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनाए गए फैसलों के बाद वन विभाग ने और खास तौर पर राजा जी नेशनल पार्क, कॉर्बेट पार्क, वेस्टर्न सर्कल के रिजर्व फॉरेस्ट, से इन्हें जंगल से बाहर निकाल कर भूमि आबंटित कर एक तरफ बसा दिया। बताया जाता है कि इस भूमि आबंटन की प्रक्रिया के दौरान भी बंदर बांट हुई और बड़ी संख्या में यूपी से आए मुस्लिम गुज्जर भी यहां आकर बस गए।
ऐसा बताया गया कि जब 1983 में सर्वे हुआ था तब राजा जी पार्क में कुल 512 मुस्लिम गुज्जर और जब 1998 में सर्वे हुआ तो 1393 परिवार थे। जब कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में इन्हें जंगल से बाहर निकाल कर प्रत्येक परिवार को 0.87 हेक्टेयर (करीब एक हेक्टेयर) भूमि का आवंटन किया गया तो इनके संख्या 2500 से अधिक थी। सूत्रों के अनुसार आबंटन से पूर्व मुस्लिम गुजारो में जमीयत ए उलेमा हिंद संगठन की घुसपैठ हो चुकी थी। एक मुस्लिम गुज्जर की तीन तीन बीवियां, विधवाओ के मुस्लिम निकाह, रिश्ते नातेदारी दिखा कर जमीनों पर अधिकार जता कर आवंटन करा लिए और सरकारी वन भूमि को एक जमीन जिहाद षडयंत्र के तहत हथिया लिया जाने लगा है। बताया जाता है कि अब बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिम गुज्जरों ने अपनी जमीन के एक बड़े हिस्से को यूपी हरियाणा के मुस्लिम गुज्जरों को सौ-सौ रू के स्टांप पेपर पर बेच डाला है।
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जमीन खुर्द-बुर्द करने ये वन गुज्जर अपने जानवर लेकर पहाड़ों की तरफ पहले की तरह आने जाने लगे हैं, क्योंकि इन्हें “माईग्रेट” होने और जंगलों में जानवर ले जाने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। वन गुज्जरों ने जौनसार बावर के त्यूनी इलाके में भी अब अपने स्थाई डेरे बना लिए हैं इन डेरों में जमीयत के लोगो का आना-जाना है वहां मस्जिद मदरसे खुल गए हैं और इस्लामिक तालीम और गतिविधियां चल रही हैं। खुले मैदानों में नमाज अता की जाती है।
जौनसार बावर के चकराता त्यूनी आदि क्षेत्रों में मुस्लिम गुज्जर विरोधी आंदोलन उठ खड़े हुए है और स्थानीय लोगों ने इनके मदरसे तोड़ डाले हैं। जानकारी के मुताबिक, मुस्लिम गुज्जरों के नाम स्थानीय मतदाता सूची में कांग्रेस नेताओं ने दर्ज करवा दिए हैं, जिनकी संख्या हजारों में है और अब वो जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र का लाभ उठा कर नौकरियों में आरक्षण की मांग करने लगे हैं। तराई के जंगल में ऐसे कई मामले चिन्हित हुए हैं कि एक एक मुस्लिम गुज्जर परिवार पच्चास पच्चास हैक्टेयर जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा है, ये जंगल की जमीन कैसे वनाधिकारियों ने कब्जा होने दी ये एक गंभीर जांच का विषय है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि जंगल में जंगल की भूमि वन्य जीव जंतुओं के लिए है,यहां इंसानी दखल नहीं होना चाहिए, कुछ सूचनाएं हमे मिल रही है कि रिजर्व फॉरेस्ट,वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में भी लोग अवैध कब्जे का रहे है, हमने वन सचिव,पीसीसीएफ हॉफ और अन्य वन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जंगलों की सुरक्षा की जाए, अवैध कब्जे हटाए जाएं।
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