बांग्लादेश में जहां कट्टरपंथी मजहबी संगठन इस बात को लेकर हंगामा कर रहे हैं कि हिंदुओं को उनकी दुर्गा पूजा तक न मनाने दी जाए, और लगातार अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करते जा रहे हैं तो ऐसे में वहाँ पर अल्पसंख्यक संगठनों के गठबंधन भी अपनी बात उठा रहे हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को लेकर 5 अगस्त के बाद दृष्टिकोण बदला है, उसने पूरे विश्व को हैरान कर दिया है। ऐसा नहीं था कि बांग्लादेश में पहले अल्पसंख्यक समुदाय को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त था, परंतु 5 अगस्त के बाद तो उन्हें जैसे हर स्थान से हटाया जा रहा है। यह ऐसा सुनियोजित जीनोसाइड है, जिसकी आवाज नहीं है, परंतु प्रभाव है।
किसी भी समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व उसका अधिकार होता है, और वह भी तब जब कोई देश अपनी पहचान अपने मजहबी यकीन के आधार पर चुनता है। जब मुल्क ने अपनी पहचान चुन ली है तो फिर वहाँ पर रह रहे अल्पसंख्यकों के पास भी यह विकल्प होना चाहिए कि वे अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएं। ऐसा ही एक कदम वर्ष 2022 में कुछ हिंदुओं ने मिलकर बांग्लादेश सनातन पार्टी बनाई थी, कि जिससे वे पूरी तरह से अल्पसंख्यकों की आवाज को संसद में उठा सकें। यदि देश धर्मनिरपेक्ष है तो बात अलग है, परंतु धार्मिक आधार पर बने हुए मुल्क में अल्पसंख्यकों को अपनी पहचान बनाए रखने के लिए उन्हीं के बीच से प्रतिनिधत्व चाहिए ही चाहिए।
बांग्लादेश में भी वर्ष 2022 में कुछ हिंदुओं ने मिलकर बांग्लादेश सनातन पार्टी बनाई थी, मगर जिसे शेख हसीना की सरकार ने कट्टरपंथी मजहबी लोगों के दबाव में आकर इस पार्टी को मान्यता नहीं दी थी। अब वही पार्टी बांग्लादेश की यूनुस सरकार से मांग कर रही है कि उसे पहचान दी जाए और रजिस्टर किया जाए जिससे कि वह चुनावों में भाग ले सके।
मगर यह मांग उन आठ मांगों से एकदम अलग है जो अल्पसंख्यक संगठनों ने यूनुस सरकार से की है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर लगातार बढ़ते हुए अत्याचारों के बीच बांग्लादेश के अल्पसंख्यक एक साथ आए हैं। बांग्लादेश कम्बाइन्ड माइनोरिटी अलाइअन्स ने दुर्गापूजा आरंभ होने से पहले ढाका में एक विशाल रैली का आयोजन किया। इस रैली में ढाका और चटगाँव से कई मंदिरों और विहारों के धार्मिक नेतृत्व ने भाग लिया था। इस रैली में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कई छात्र और साथ ही समुदाय से नेता सम्मिलित थे। इस रैली में पेशेवर लोग भी सम्मिलित थे।
इस रैली में उन तमाम घटनाओं को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया, जो 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अल्पसंख्यकों के साथ हुई हैं। यह पूरे विश्व ने देखा कि कैसे हिंदुओं को और मंदिरों को निशाना बनाया गया, कैसे बौद्ध विहार तोड़े गए और जलाए गए। और इसके साथ यह भी विश्व ने देखा था कि कैसे इस पूरे जीनोसाइडल चरण को केवल एक राजनीतिक प्रतिरोध बताकर नकारने का प्रयास किया गया।
#WATCH | Bangladesh Combined Minority Alliance organised a massive protest rally today in Dhaka, ahead of Durga Puja. The Alliance put forth an 8-point demand, including, the guarantee of justice for the persecution of minorities, and urged that the same be accepted.
Spiritual… pic.twitter.com/b0nNiOYJSW
— ANI (@ANI) October 4, 2024
अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के साथ बलात्कार किये गए, अल्पसंख्यक शिक्षकों को अपनी नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया, हत्याएं हुईं, उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा किया गया और घरों को जलाने की घटनाएं तो इतनी हैं कि शायद गिनती भी नहीं है।
इन आठ मांगों में सम्मिलित है कि अल्पसंख्यकों, विशेषकर सनातनी हिंदुओं के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाए। एक इसके लिए एक निष्पक्ष जांच आयोग का गठन किया जाए। और फ़ैक्ट ट्रैक ट्रायल आयोग बनाया जाए जिससे दोषियों को जल्दी दंड मिले और साथ ही पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास मिले।
अल्पसंख्यक सुरक्षा अधिनियम तत्काल बनाया जाए
एक अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन किया जाए। हिंदू धार्मिक कल्याण ट्रस्ट को “हिंदू फाउंडेशन” में अपग्रेड करें। इसी तरह, बौद्ध और ईसाई धार्मिक कल्याण ट्रस्ट को फाउंडेशन में अपग्रेड किया जाए और साथ ही “संपत्ति की वसूली और संरक्षण के लिए कानून” बनाएं और “संपत्ति वापसी अधिनियम” को ठीक से लागू किया जाए।
इसके साथ ही यह भी मांग की गई कि सभी सार्वजनिक/निजी विश्वविद्यालयों, विश्वविद्यालय महाविद्यालय और हर उच्च शिक्षा संस्थान में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए “पूजा स्थल” बनाएं और हर छात्रावास में प्रार्थना कक्ष आवंटित किया जाए। इन संगठनों की मांग है कि “संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्ड” का आधुनिकीकरण किया जाए और फिर अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कि शारदीय दुर्गा पूजा उत्सव पर 5 दिन का सार्वजनिक अवकाश घोषित करें। प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुख धार्मिक त्योहारों के लिए आवश्यक अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि अभी हाल ही मे ढाका में कट्टरपंथी मजहबी संगठनों ने यह मांग करते हुए रैली निकाली थी कि बांग्लादेश में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं तो दुर्गापूजा पर छुट्टी क्यों देनी है और दुर्गापूजा प्रतिबंधित तक करने की मांग की गई थी।
इन्हीं सब अत्याचारों के विरुद्ध अल्पसंख्यक संगठन अपनी मांगे लेकर आगे आए हैं।
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