गत दिनों कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक अत्यन्त महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि ‘भारत माता की जय’ का नारा वैमनस्य फैलाने वाला नहीं है। इसे किसी भी तरह से मत-पंथों के बीच नफरत या दुश्मनी को बढ़ावा देने के रूप में नहीं माना जा सकता।
इसके साथ ही न्यायाधीश एम. नागप्रसन्ना ने सुरेश कुमार, एम. विनय कुमार, सुभाष, रंजन और धनंजय के विरुद्ध धारा 153ए के अंतर्गत दर्ज एफ.आर.आर. को रद्द कर दिया। बता दें कि उपरोक्त पांचों व्यक्ति 9 जून, 2024 की रात को नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर जश्न मनाकर लौट रहे थे।
जब वे लोग उल्लाल तालुका के बोलियार गांव पहुंचे तो ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने पर कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। हमलावरों ने एक व्यक्ति के पेट में और दूसरे की पीठ में चाकू घोंप दिया। घटना की रात 11 बजे 23 हमलावरों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई। अगले दिन एक अन्य व्यक्ति पी.के. अब्दुल्ला ने भी धारा 153ए के अंतर्गत एक मामला दर्ज कराया था। उसी को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘धारा 153ए के अनुसार, यदि विभिन्न मत-पंथों के बीच शत्रुता को बढ़ावा दिया जाता है तो यह अपराध है। वर्तमान मामला आई.पी.सी. की धारा 153ए के दुरुपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह इन याचिकाकर्ताओं द्वारा दर्ज की गई शिकायत का जवाबी हमला है। बचाव पक्ष का कहना है कि याचिकाकर्ता ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे और देश के प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर रहे थे। शिकायतकर्ता द्वारा लगाए आरोपों में इनमें से किसी भी बात का उल्लेख नहीं है। याचिका आईपीसी की धारा 153ए के एक भी पक्ष को पूरा नहीं करती।’’
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