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यूरोप में पैर पसार रहीं कट्टर इस्लामी ताकतें, इजरायल पर ईरान के हमले के बाद जर्मनी में दंगों की आशंका, पुलिस हुई सख्त

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सोनाली मिश्रा

यूरोप में कट्टर इस्लामी ताकतें पैर पसारती जा रही हैं। फिलिस्तीन के समर्थन के नाम पर यह देखा गया कि इजरायल के विरोध में वहां लगातार विरोध-प्रदर्शन हुए। जहां यूरोप में सरकारी तौर पर अधिकांश देश इजरायल के पक्ष में हैं तो वहीं उन्हीं देशों में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो लगातार यहूदियों और इजरायल का विरोध कर रहा है।

अभी जब ईरान ने इजरायल पर हमला किया तो जर्मनी के बर्लिन में कुछ लोगों ने खुशी जताते हुए प्रदर्शन किया। जर्मन वेबसाइट bild.de के अनुसार इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल से घृणा करने वाले कई लोग राजधानी की सड़कों पर उतर आए। बर्लिन में “अल्लाह-हू-अकबर” के नारे लगे और इस वेबसाइट के अनुसार “रॉकेट ऑन इजरायल” जैसी भी बातें लोगों ने बोलीं।

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हालांकि बर्लिन पुलिस ने कहा कि वह न तो इस घटना की पुष्टि करती है और न ही इससे इनकार करती है। वहीं इसी वेबसाइट पर एक और समाचार मिलता है, जिसमें लिखा है कि इजरायल से नफरत करने वाले पुलिस अधिकारियों की कार को जलाना चाहते थे। मंगलवार को बर्लिन में फिलिस्तीन की आजादी को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उसी प्रर्दशन में एक 43 वर्ष कई महिला ने एक कार को आग में झोंकने की कोशिश की और उसमें उस समय एक अधिकारी भी बैठा हुआ था। हालांकि उस महिला को अब गिरफ्तार कर लिया गया है, फिर भी यह बहुत खतरनाक है। यह घटना इसलिए और भी अधिक खतरनाक है क्योंकि अब 7 अक्टूबर आने वाला है।

कोई भी यह नहीं भूला होगा कि 7 अक्टूबर 2023 को किस प्रकार हमास ने इजरायल पर हमला करके हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और कई लोगों को बंधक बना लिया था। 250 लोगों को बंधक बनाया गया था। और इस जघन्य हमले को जहां इस्लामी ताकतों और कम्युनिस्ट ताकतों ने क्रांति कहकर सराहा तो वहीं यूरोप के देशों में इजरायल के प्रति समर्थन बढ़ गया था। हमलों के तुरंत बाद लगभग हर यूरोपीय देश ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया था और उसके बाद से ही लगातार इजरायल ने हमास पर हमले किये और हाल ही में लेबनान पर भी हमला करके हिजबुल्ला प्रमुख नसरुल्ला को मौत के घाट उतार दिया था।

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जब ईरान ने इजरायल पर हमले किये तब भी ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों ने इसकी निंदा की। जब पिछले वर्ष हमास ने इजरायल के नागरिकों पर हमला करके उन्हें दर्दनाक मौत दी थी, तब जर्मनी के तत्कालीन चांसलर ऑलफ स्क्लाउज़ ने हमलों की निंदा करते हुए कहा था कि हमास का यह हमला भयानक और बर्बर है। यहूदी राज्य के इस कठिन समय में हम इजरायल के साथ हैं।
मगर इसी एक वर्ष में उन्हीं देशों में फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी आंदोलन भी देखे गए और हिंसा भी देखी गई। जर्मनी, अमेरिका सहित लगभग हर यूरोपीय देश में इजरायल के विरोध में प्रदर्शन हुए। अब जब 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल पर किये गए हमलों की बरसी आ रही है तो यूरोपीय देशों में इजरायल विरोधी प्रदर्शन और तेज होने की आशंका है।

इसी बीच इसी वेबसाइट के अनुसार बर्लिन पुलिस अब 7 अक्टूबर को लेकर आशंकित है कि उस दिन दंगे हो सकते हैं और वह दंगों से निपटने की तैयारी भी कर रही है। bild के साथ बात करते हुए सरकार के यहूदी विरोधी आयुक्त फेलिक्स क्लेन ने बताया कि हाल ही के दिनों में इजरायल से नफरत करने वाले एक केंद्र के रूप में बर्लिन उभरकर आया है। राज्य को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए और उन सभी वैध विकल्पों पर कार्य करना चाहिए, जो उपलब्ध हैं। जिन यहूदी विरोधी प्रदर्शनकारियों के पास जर्मनी की नागरिकता नहीं है उन्हें मौजूदा कानूनों के अंतर्गत उनके देश वापस भेज दिया जाना चाहिए।

पूरे जर्मनी में हमास द्वारा इजरायल पर किये गए हमले की बरसी पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे और उनकी जानकारी भी सरकार के पास है। यह आयोजन इजरायल और हमास दोनों के ही समर्थन में किये जाने हैं।

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