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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पुराने टैक्स कानून के तहत नोटिस जारी कर सकता है आयकर विभाग

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Parul

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने आयकर विभाग को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि कराधान और अन्य कानून (TOLA) के तहत 1 अप्रैल 2021 के बाद भी पुराने नियमों के अनुसार नोटिस जारी किए जा सकते हैं। इस फैसले का असर 90 हजार से ज्यादा पुनर्मूल्यांकन नोटिस पर पड़ेगा। जो 2013-14 से 2017-18 तक के हैं और हजारों करोड़ रुपये के टैक्स से जुड़े हैं।

पुराने आईटी एक्ट के तहत आयकर विभाग 6 साल तक पुनर्मूल्यांकन कर सकता था। अगर 1 लाख या उससे ज्यादा की आय छूट गई हो। लेकिन 2021 में कानून में बदलाव किया गया। नए नियम के मुताबिक 50 लाख तक की छिपाई गई आय के लिए 3 साल तक कार्रवाई हो सकती है। 50 लाख से ज्यादा की राशि के लिए यह समय 10 साल तक बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, नए कानून में धारा 148A जोड़ी गई। इसके तहत आयकर विभाग को पहले एक कारण बताओ नोटिस देना होगा। साथ ही करदाता को अपनी बात रखने का मौका भी मिलेगा।

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कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने पुराने कानून के तहत नोटिस जारी करने की समय सीमा बढ़ा दी थी। इसलिए 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 तक पुराने नियमों के तहत नोटिस भेजे गए। इस स्थिति ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया – क्या नए कानून लागू होने के बाद भी पुराने नियमों के तहत भेजे गए नोटिस मान्य होंगे?

इस मुद्दे पर देश भर के हाईकोर्ट में अलग-अलग फैसले आए। बॉम्बे, गुजरात और इलाहाबाद समेत सात हाई कोर्ट ने इन पुनर्मूल्यांकन नोटिस को खारिज कर दिया था। उनका मानना था कि नए प्रावधान करदाताओं के हितों की बेहतर रक्षा करते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अलग राय दी है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने आयकर विभाग की 727 अपीलों को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि 1 अप्रैल 2021 के बाद भी TOLA लागू रहेगा और आयकर अधिनियम को नए प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए। इस फैसले का मतलब है कि आयकर विभाग अब पुराने मामलों को फिर से खोल सकेगा। करदाताओं को पुराने नोटिस का जवाब देना होगा। हालांकि हर मामले की बारीकी से जांच करनी होगी। कुछ नोटिस अभी भी अमान्य हो सकते हैं।

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पूर्व ICAIअध्यक्ष वेद जैन ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 2016-17 और 2017-18 के कई मामले अमान्य हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि मंजूरी के लिए बढ़ाई गई समय सीमा सिर्फ 30 जून 2021 तक थी। चूंकि इन सालों के लिए मंजूरी जून/जुलाई 2022 में ली गई थी इसलिए वे धारा 151(ii) के तहत मान्य नहीं हैं।
जैन ने यह भी बताया कि 2015-16 के मामले समय सीमा के कारण खारिज हो जाएंगे। वे TOLA के दायरे में नहीं आते। 2013-14 और 2014-15 के लिए 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 के बीच जारी किए गए ज्यादातर नोटिस मान्य होंगे। लेकिन जून/जुलाई 2022 में जारी किए गए नोटिस की सावधानी से जांच करनी होगी।

यह फैसला आयकर विभाग के लिए बड़ी जीत है लेकिन करदाताओं के लिए चिंता का विषय हो सकता है। अब पुराने मामलों को फिर से खोला जा सकता है। हालांकि हर मामले की अलग-अलग जांच होगी और कुछ नोटिस अभी भी अमान्य साबित हो सकते हैं।

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