सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पुराने टैक्स कानून के तहत नोटिस जारी कर सकता है आयकर विभाग
July 25, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पुराने टैक्स कानून के तहत नोटिस जारी कर सकता है आयकर विभाग

90,000 करदाताओं पर गिरेगी गाज, हजारों करोड़ का टैक्स दांव पर। आयकर विभाग को मिली बड़ी जीत, पुराने नियमों के तहत नोटिस जारी कर सकेगा

by Parul
Oct 4, 2024, 02:49 pm IST
in भारत, बिजनेस
मनोज मिश्रा की बेंच ने आयकर विभाग की 727 अपीलों को किया स्वीकार

मनोज मिश्रा की बेंच ने आयकर विभाग की 727 अपीलों को किया स्वीकार

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने आयकर विभाग को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि कराधान और अन्य कानून (TOLA) के तहत 1 अप्रैल 2021 के बाद भी पुराने नियमों के अनुसार नोटिस जारी किए जा सकते हैं। इस फैसले का असर 90 हजार से ज्यादा पुनर्मूल्यांकन नोटिस पर पड़ेगा। जो 2013-14 से 2017-18 तक के हैं और हजारों करोड़ रुपये के टैक्स से जुड़े हैं।

पुराने आईटी एक्ट के तहत आयकर विभाग 6 साल तक पुनर्मूल्यांकन कर सकता था। अगर 1 लाख या उससे ज्यादा की आय छूट गई हो। लेकिन 2021 में कानून में बदलाव किया गया। नए नियम के मुताबिक 50 लाख तक की छिपाई गई आय के लिए 3 साल तक कार्रवाई हो सकती है। 50 लाख से ज्यादा की राशि के लिए यह समय 10 साल तक बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, नए कानून में धारा 148A जोड़ी गई। इसके तहत आयकर विभाग को पहले एक कारण बताओ नोटिस देना होगा। साथ ही करदाता को अपनी बात रखने का मौका भी मिलेगा।

यह भी पढ़े- सुप्रीम कोर्ट में ‘ Yeah-Yeah ‘ बोलने पर CJI चंद्रचूड़ नाराज, वकील को लगाई फटकार

कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने पुराने कानून के तहत नोटिस जारी करने की समय सीमा बढ़ा दी थी। इसलिए 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 तक पुराने नियमों के तहत नोटिस भेजे गए। इस स्थिति ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया – क्या नए कानून लागू होने के बाद भी पुराने नियमों के तहत भेजे गए नोटिस मान्य होंगे?

इस मुद्दे पर देश भर के हाईकोर्ट में अलग-अलग फैसले आए। बॉम्बे, गुजरात और इलाहाबाद समेत सात हाई कोर्ट ने इन पुनर्मूल्यांकन नोटिस को खारिज कर दिया था। उनका मानना था कि नए प्रावधान करदाताओं के हितों की बेहतर रक्षा करते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अलग राय दी है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने आयकर विभाग की 727 अपीलों को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि 1 अप्रैल 2021 के बाद भी TOLA लागू रहेगा और आयकर अधिनियम को नए प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए। इस फैसले का मतलब है कि आयकर विभाग अब पुराने मामलों को फिर से खोल सकेगा। करदाताओं को पुराने नोटिस का जवाब देना होगा। हालांकि हर मामले की बारीकी से जांच करनी होगी। कुछ नोटिस अभी भी अमान्य हो सकते हैं।

यह भी पढ़े- बरेली कोर्ट की टिप्पणी, लव जिहाद-अवैध धर्मांतरण के जरिए देश में पाकिस्तान जैसे हालात बनाने का षडयंत्र

पूर्व ICAIअध्यक्ष वेद जैन ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 2016-17 और 2017-18 के कई मामले अमान्य हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि मंजूरी के लिए बढ़ाई गई समय सीमा सिर्फ 30 जून 2021 तक थी। चूंकि इन सालों के लिए मंजूरी जून/जुलाई 2022 में ली गई थी इसलिए वे धारा 151(ii) के तहत मान्य नहीं हैं।
जैन ने यह भी बताया कि 2015-16 के मामले समय सीमा के कारण खारिज हो जाएंगे। वे TOLA के दायरे में नहीं आते। 2013-14 और 2014-15 के लिए 1 अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 के बीच जारी किए गए ज्यादातर नोटिस मान्य होंगे। लेकिन जून/जुलाई 2022 में जारी किए गए नोटिस की सावधानी से जांच करनी होगी।

यह फैसला आयकर विभाग के लिए बड़ी जीत है लेकिन करदाताओं के लिए चिंता का विषय हो सकता है। अब पुराने मामलों को फिर से खोला जा सकता है। हालांकि हर मामले की अलग-अलग जांच होगी और कुछ नोटिस अभी भी अमान्य साबित हो सकते हैं।

यह भी पढ़े- मोरक्को: कुरान और इस्लाम के अपमान का आरोप, कोर्ट ने डॉक्टर को दी जेल की सजा

Topics: Business news todayreassessment noticesI-T departmentSupreme CourtD Y Chandrachudसुप्रीम कोर्टआयकर नोटिसBusiness NewsIT NoticeCourtSCverdictआयकर विभागTaxLawincome taxTOLAFinancial newsNoticesIndia business news
Share2TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Supreme Court

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Suprime Court

सुप्रीम कोर्ट करेगा राष्ट्रपति के 14 सवालों पर विचार

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों को जानकारी देते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट केस: SC पहुंची महाराष्ट्र सरकार, आरोपियों को रिहा करने के बॉम्बे HC के फैसले को दी चुनौती

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों को जानकारी देते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार

Lalu Prasad Yadav Land for job scam SC

Land for Job scam: लालू प्रसाद यादव को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही रोकने से किया इंकार

नेपाल का सुप्रीम कोर्ट

नेपाल: विवाहित बेटी को भी पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जानिये कब से होगा लागू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

US Warn Iran to cooperate IAEA

अमेरिका की ईरान को चेतावनी: IAEA को परमाणु सहयोग दो या प्रतिबंध झेलो

बॉम्बे हाई कोर्ट

दरगाह गिराने का आदेश वापस नहीं होगा, बॉम्बे HC बोला- यह जमीन हड़पने का मामला; जानें अवैध कब्जे की पूरी कहानी

PM Modi meeting UK PM Keir Starmer in London

India UK Trade Deal: भारत और ब्रिटेन ने समग्र आर्थिक एवं व्यापारिक समझौते पर किए हस्ताक्षर, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारतीय मजदूर संघ की एक रैली में जुटे कार्यकर्त्ता

भारतीय मजदूर संघ के 70 साल : भारत की आत्मा से जोड़ने वाली यात्रा

Punjab Drugs death

पंजाब: ड्रग्स के ओवरडोज से उजड़े घर, 2 युवकों की मौत, AAP सरकार का दावा हवा-हवाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उधमसिंह नगर जिले में मां के साथ मतदान किया।

उत्तराखंड: पंचायत चुनाव का पहला चरण, लगभग 62 प्रतिशत हुई वोटिंग, मां के साथ मतदान करने पहुंचे सीएम धामी

संत चिन्मय ब्रह्मचारी को बांग्लादेश में किया गया है गिरफ्तार

हिंदू संत चिन्मय ब्रह्मचारी को नहीं मिली जमानत, 8 महीने से हैं बांग्लादेश की जेल में

आरोपी मोहम्मद कासिम

मेरठ: हिंदू बताकर शिव मंदिर में बना पुजारी, असल में निकला मौलवी का बेटा मोहम्मद कासिम; हुआ गिरफ्तार

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर

India UK FTA: भारत-ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, जानिये इस डील की बड़ी बातें

बांग्लादेश के पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल हक।

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक गिरफ्तार, शेख हसीना के थे करीबी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies