छत्तीसगढ़

कष्टों से भरा जीवन

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WEB DESK

50 वर्षीय कीर्तिराम साहू जिला नारायणपुर के बंगलापरा के रहने वाले हैं। 04 मार्च, 2006 को उनकी बंगलापारा परीक्षा केन्द्र में सुरक्षा ड्यूटी लगी थी। सिपाही जयसिंह ठाकुर, भगतु ठाकुर, बसंत कुजूर और काशमीर कुजूर डयूटी पर थे। परीक्षा खत्म होने के बाद सारी औपचारिकताएं पूरी होने पर सभी सिपाही घर लौटने लगे।

जयसिंह ठाकुर कुछ खरीदारी करने की बात कहकर अकेले ही बाजार चले गए। उनके मित्रों ने उन्हें अकेले जाने से मना भी किया लेकिन वह थोड़ी देर में खरीदारी कर लौटने की बात कहकर बाजार चले गए। जैसे ही वह बाजार पहुंचे नक्सलियों ने दहशत फैलाने के लिए वहां अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

लोगों ने जहां-तहां छिपकर किसी तरह अपनी जान बचाई। इसी दौरान एक गोली बाजार में मौजूद कीर्तिराम साहू की जांघ में लगी। गोली लगने के चलते वह जीवनभर के लिए दिव्यांग हो गए। वह परिवार के अकेले कमाने वाले हैं। किसी तरह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

आज भी वे इस घटना को याद करते हुए सहम उठते हैं। वह आज तक इस घटना को नहीं भुला पाए हैं। इस घटना के चलते उन्हें और उनके परिवार को बहुत कष्टों के साथ समय काटना पड़ रहा है।

अब बेटी को कभी नहीं देख सकेंगी

कोसी माड़वी और उनक पति हुंगा माड़वी छीसगढ़ के माओवाद प्रभावित जिले दंतेवाड़ा के ग्राम गुड़से के रहने वाले हैं। 9 अक्तूबर, 2020 की सुबह आठ बजे के लगभग पति-पत्नी अपनी बड़ी बेटी से पाले कवासी से मिलने के लिए निकले थे। वह गांव सूरनार में रहती है। बस्तर में सड़क मार्ग का जितना विकास होना चाहिए था, माओवादी आतंक के कारण नहीं हो सका है।

इसलिए यातायात का कोई साधन भी नहीं मिलता। लोग पैदल ही एक गांव से दूसरे गांव जाते हैं। कोसी और हुंगा भी पैदल ही सूरनार जा रहे थे। रास्ते में एक गांव आया, जिसका नाम तेलम है। वहां माओवादियों ने सड़क किनारे आईईडी लगा रखा था। कोसी माड़वी का पैर उस पर पड़ गया। जोरदार धमाका हुआ और वह लहुलूहान हो गईं।

उनका चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया था। विस्फोट में उनकी दोनों आंखें चली गईं। हाथ-पैर और शरीर के अन्य हिस्सों में भी गभीर चोटें आर्इं। अब वह कभी अपनी बेटी को नहीं देख सकेंगी। उनसे जब पूछा कि बम किसने लगाया था? क्यों लगाया था? वह दो टूक जवाब देती हैं- क्या पता किसने लगाया था। लेकिन जिसने भी बम लगाया, उसने बुरा किया।

शरीर पहले जैसा नहीं

बोती कोर्राम कोण्डागांव जिले के चलका गांव में रहती हैं। वे 35 वर्ष की हैं। तीन वर्ष पहले नक्सलियों उनके पति शत्रुघ्न कोर्राम की हत्या कर दी थी। 15 फरवरी, 2021 को नक्सलियों द्वारा की गई गोलीबारी में बोती कोर्राम भी घायल हुई थीं। उन्हें जांघ और पिंण्डली में गोलिया लगी थीं। इसी दौरान एक आईईडी भी फटा था। उसके छर्रे भी बोती कोर्राम को लगे। हालांकि इलाज के बाद शरीर से गोलियां तो निकाल दी गईं, पर पहले की तरह चल नहीं पातीं।

बस जान बच गई

ममता सोरी बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के छोटे डोंगर गांव में रहती हैं। 38 वर्षीया ममता नारायणपुर से छोटे डोंगर आ रही थीं। 3 फरवरी, 2015 की सुबह वह छोटे डोंगर जाने वाली बस में सवार हुईं।

रास्ते में कौलनार के राकसनाला पहुंचते ही सड़क पर जोरदार धमाका हुआ। दरअसल, नक्सलियों ने सड़क पर आईईडी लगा रखा था। बस जब राकसनाला पहुंची तो उसका अगला पहिया आईईडी पर पड़ गया।

विस्फोट में बस का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। लोगों को कुछ समझ नहीं आया। अभी वे संभलते कि इससे पहले ही नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि इस हमले में किसी की जान नहीं गई। ममता सोरी आगे की सीट पर बैठी हुई थीं। उन्हें कमर और हाथ में गहरी चोटें आईं।

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