उत्तर प्रदेश

लव जिहाद: मुस्लिम पुरुषों की साजिश, विदेशी फंडिंग का जिक्र, जानें जज की सख्त टिप्पणियां

Published by
Mahak Singh

उत्तर प्रदेश के बरेली की एक अदालत ने हाल ही में ‘लव जिहाद’ के आरोप में एक मुस्लिम युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जो इस प्रकार के मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसला है। अदालत ने न केवल इस मामले में आरोपी को दोषी ठहराया, बल्कि लव जिहाद के मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी भी की। अडिशनल सेशन न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण बातें कही, जिनका देशव्यापी महत्व है।

इस केस में आरोपी मोहम्मद अलीम ने पीड़िता को अपना नाम आनंद बताया और उससे हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली। इसके बाद उसने पीड़िता का यौन शोषण किया और उसके फोटो व वीडियो बना लिए, जिनका भय दिखाकर उसे ब्लैकमेल किया गया। कोर्ट ने इसे सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं माना, बल्कि इसके पीछे छिपी बड़ी साजिश और योजनाबद्ध तरीके की ओर इशारा किया।

न्यायाधीश की टिप्पणियां

न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने लव जिहाद को ‘डेमोग्राफिक वार’ का हिस्सा बताया, जिसके तहत एक धर्म विशेष के अराजक तत्व हिंदू महिलाओं को निशाना बनाते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य भारत में अपनी सत्ता स्थापित करना है। उन्होंने इसे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के धर्मांतरण के पीछे भारी विदेशी फंडिंग हो सकती है।

जबरन धर्मांतरण और कानूनी पहलू

कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण की निंदा की और उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी अधिनियम, 2021 के तहत सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी व्यक्ति को झूठ, छल, लालच या बल प्रयोग से धर्मांतरण करने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो यह देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

देश की एकता और भविष्य का खतरा

अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि समय रहते इन मामलों पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो देश को भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला न केवल व्यक्तिगत स्तर पर न्याय की मांग करता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता के लिहाज से भी अत्यधिक संवेदनशील है।

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