उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मानसून के थमते ही फिर से जोर पकड़ने लगी है। 30 सितंबर को कुल 20,497 श्रद्धालु चारधाम के दर्शन के लिए पहुंचे, जिसमें सबसे ज्यादा 7,350 तीर्थयात्री केदारनाथ धाम में दर्शन करने पहुंचे। अब तक इस पूरे यात्रा काल में करीब 38 लाख श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं। केदारघाटी में आई आपदा के बाद राज्य सरकार ने जिस तेजी से राहत कार्य किए और यात्रा को फिर से सुचारु किया, उससे श्रद्धालुओं का विश्वास सरकार पर और गहराया है। बाबा केदार के दर्शन के लिए भारी संख्या में तीर्थयात्री उमड़ रहे हैं, जो यात्रा की लोकप्रियता और सुरक्षा इंतजामों पर उनके भरोसे को दर्शाता है।
धामी सरकार की तत्परता और यात्रा प्रबंधन की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। 31 जुलाई को केदारघाटी में आई भीषण आपदा के बाद राज्य सरकार ने तेजी से राहत और बचाव कार्य कर सामान्य स्थिति बहाल की, जिसकी सराहना यात्रियों ने दिल खोलकर की। पैदल मार्ग और ठहराव स्थलों पर फंसे करीब 18,000 यात्रियों को सुरक्षित निकालने और यात्रा को फिर से सुचारु रूप से शुरू करने में सरकार की त्वरित कार्यवाही की भूमिका अहम रही।
अब यात्रा के दूसरे चरण में तीर्थयात्रियों की संख्या में और इजाफा हो रहा है। अक्टूबर और नवंबर महीने के लिए बड़ी संख्या में यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। 30 सितंबर को ही हेमकुंड और गोमुख समेत कुल 22,244 तीर्थयात्री चारधाम यात्रा पर पहुंचे। इनमें बदरीनाथ में 6,811, गंगोत्री में 3,619, यमुनोत्री में 2,717, हेमकुंड में 1,632 और गोमुख में 115 श्रद्धालु शामिल हैं।
इस साल रिकॉर्ड तोड़ सकती है चारधाम यात्रा
30 सितंबर तक इस साल कुल 37.91 लाख श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं। पिछले साल 56.13 लाख तीर्थयात्री यात्रा में शामिल हुए थे, जबकि 2022 में यह संख्या 46.29 लाख थी। कोरोना महामारी के चलते 2020 और 2021 में यात्रा पर काफी असर पड़ा था, जिसमें क्रमशः 3.30 लाख और 5.29 लाख श्रद्धालु ही यात्रा कर पाए थे। इस बार यात्रा का जोर देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि यह यात्राकाल पिछले साल के रिकॉर्ड को भी पार कर सकता है।
17 दिन की देरी से शुरू हुई इस साल की यात्रा
इस साल चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हुई, जबकि पिछले वर्ष यह यात्रा 23 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो गई थी। केदारनाथ के कपाट पिछले वर्ष 25 अप्रैल को खुले थे, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुले थे। इस साल की यात्रा में 17 दिन की देरी हुई, लेकिन इसके बावजूद यात्रा ने तेजी से रफ्तार पकड़ी है और यह नवंबर तक जारी रहेगी।
केदारघाटी आपदा के बाद यात्रा पर पड़ा असर
31 जुलाई की रात को केदारघाटी में आई भीषण आपदा के कारण यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोकना पड़ा। हालांकि, मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सरकार ने त्वरित कार्यवाही कर सामान्य स्थिति बहाल की और यात्रा को फिर से शुरू कर दिया। आपदा के बाद सरकार की तत्परता और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों ने यात्रा को जल्द ही फिर से गति प्रदान की।
बेहतर यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था
- चारधाम यात्रा के सुगम संचालन के लिए सरकार ने व्यापक प्रबंधन किया है:
- केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर 20 पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।
- पार्किंग प्रबंधन के लिए क्यूआर कोड-आधारित प्रणाली लागू की गई है।
- यात्रा पर निगरानी के लिए 850 सीसीटीवी कैमरे और 8 ड्रोन तैनात किए गए हैं।
- यात्रियों की सुविधा के लिए 56 पर्यटन सहायता केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- ट्रैक रूट पर 657 पर्यावरण मित्र तैनात हैं, जो साफ-सफाई और पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रहे हैं।
- स्वास्थ्य विभाग की ओर से 50 स्क्रीनिंग कियोस्क और 156 एंबुलेंस तैनात की गई हैं, जबकि 49 स्थायी स्वास्थ्य सुविधाएं और 26 चिकित्सा राहत पोस्ट, 22 विशेषज्ञ, 179 चिकित्सा अधिकारी और 299 पैरामेडिकल स्टाफ तैनात।
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य की आर्थिकी का भी एक प्रमुख हिस्सा है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं, और उनकी सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।
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