भारत

पैर गए, हिम्मत नही

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WEB DESK

बीजापुर जिले के मंगनार गांव के हैं जुरुराम कतलाम। इनकी उम्र है 40 वर्ष। पहले वे अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। आज वे दोनों पैरों से लाचार हैं। नक्सलियों द्वारा लगाए बम के फटने से उनके दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बात 22 जून, 2024 की है।

सुबह-सुबह जुरुराम को समाचार मिला कि सालेपाल गांव में रहने वाली उनकी बड़ी बहन का निधन हो गया है। इसके बाद वे अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ सालेपाल गए। वहां बहन का अंतिम संस्कार करते-करते बहुत देर हो गई। देर शाम जुरुराम और अन्य लोग अपने घर के लिए निकले।

रात के लगभग साढ़े आठ बजे वे लोग गुफा गांव के पास नदी के किनारे से गुजर रहे थे। इसी बीच जुरुराम वहां लगाए गए विस्फोटक की चपेट में आ गए। इलाज चला, लेकिन पैर ठीक नहीं हो पाए हैं। हालांकि वे हिम्मती हैं और इसलिए कहते हैं कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, लेकिन उनके चेहरे पर इसकी टीस जरूर दिखती है।

कहते हैं कि जल्दी नक्सलियों का सफाया होना चाहिए। यह भी कहते हैं कि नक्सलियों के खात्मे के बाद ही हम जैसों को शांति मिलेगी।

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