विश्लेषण

राम मंदिर मुद्दे पर फिर पकड़ा गया राहुल गांधी का झूठ

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर दिए गए एक भाषण में उनका झूठ फिर पकड़ा गया। हिन्‍दुओं को बांटने और वोट की राजनीति करनेवाला उनका यह बयान सिर्फ लोगों को गुमराह करने वाला साबित हुआ। उन्‍होंने हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान बहुत कुछ बोला। राष्‍ट्रपति के मान-सम्‍मान एवं प्रतिष्‍ठा को भी वे गिराते दिखे।

दरअसल, राहुल गांधी ने कहा, ‘अयोध्या में मंदिर खोला, वहां अडाणी दिखे, अंबानी दिखे, पूरा बॉलीवुड दिख गया, लेकिन एक भी गरीब किसान नहीं दिखा। सच है…इसलिए तो अवधेश ने इनको पटका है। अवधेश वहां के एमपी हैं। इसलिए तो वो जीता है। सबने देखा, आपने राम मंदिर खोला, सबसे पहले आपने राष्ट्रपति से कहा कि आप आदिवासी हो। आप अंदर आ ही नहीं सकती, अलाउ (अनुमति) नहीं है। आपने किसी मजदूर, किसान, आदिवासी को देखा, कोई नहीं था वहां। डांस-गाना चल रहा है। प्रेस वाले हाय-हाय कर रहे हैं, सब देख रहे हैं।’

राहुल गांधी के झूठ को तार-तार करते ये आंकड़े

राममंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित प्राणप्रतिष्‍ठा पूजन में मुख्‍य तौर पर 15 यजमान थे, जिनमें से 10 अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमंतू जातियों के यानी परंपरागत रूप से वंचित समूहों से थे एवं अन्‍य पांच में भी पिछड़े वर्गों और सामान्‍य वर्ग का प्रतिनिधित्‍व कर रहे थे।

प्राण-प्रतिष्‍ठा में मौजूद रहीं 134 संत परम्‍पराएं

विश्‍व हिन्‍दू परिषद (वीएचपी) अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि इस कार्यक्रम में पूरे देश का प्रतिनिधित्व देखने को मिला है। हमने समाज के हर वर्गों को बुलाया। वहीं, विहिप के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता विनोद बंसल ने आधिकारिक तौर पर बताया कि 134 संत परम्‍पराएं मौजूद रहीं। हिन्‍दू समाज के लगभग चार हजार सभी राज्यों के साथ, सभी भाषाओं में पूजा की विभिन्न पद्धतियों से जुड़े हुए साधु-संतों को आमंत्रित किया गया था, जोकि पहुंचे भी। हालांकि पूज्‍य संतों की कोई जाति-विरादरी नहीं होती, किंतु कुछ अज्ञानियों के ज्ञानवर्धन लिए यह जरूर बताया जा सकता है कि संत बनने के पहले ये सभी हिन्‍दू समाज की विभिन्न जातियों में जन्‍मे हैं। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी अलगाववादियों की गोद में बैठकर हिन्दू समाज को विभाजित करने की मानसिकता से बाहर आएँ।

हिन्‍दू समाज के प्रत्‍येक वर्ग को मिला यजमान बनने का सौभाग्‍य

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 14 लोग सपत्नीक शामिल हुए। यजमानों की सूची में पूर्वोत्तर से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण, देश के चारों कोनों को जगह दी गई थी। यजमान बनाने में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि हिन्‍दू समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिले। हरदोई के रहने वाले कृष्ण मोहन रविदासिया समाज से आते हैं। यह समाज गुरु रविदास उपदेशों पर अमल करता है । वह इसमें शामिल रहे। लखनऊ के रहने वाले दिलीप वाल्मीकि अपने समाज में चौधरी की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नव बौद्ध में आनेवाले कांबलों में से विट्ठलराव कांबले यहां सपत्‍नीक सम्‍म‍िलित रहे। वे कोंकण क्षेत्र में अनेक सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। महादेव गायकवाड़ वह नाम है जोकिघुमंतू जनजातियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयासरत हैं। महाराष्ट्र के लातूर से ताल्लुक रखते हैं और कैकाडी समाज से हैं। हरियाणा के पलवल निवासी अरुण चौधरी जाट समाज का प्रतिनिधि‍त्‍व कर रहे थे। तमिलनाडु से अझलारासन और काशी के रहने वाले कैलाश यादव रहे हों या असम से राम कुई जेमी, मुल्तानी से रमेश जैन अथवा मुल्तानी से रमेश जैन ये सभी यहां मुख्‍य यजमान बने थे। इनके अलावा भील जनजाति से रामचंद्र खराड़ी इसमें शामिल रहे। गुरुचरण सिंह गिल बयाना, नारोली गांव के रहने वाले हैं, इन्‍होंने सिख समाज का प्रतिनिधित्‍व यहां किया था। कवींद्र प्रताप सिंह, सोनभद्र के रहने वाले हैं, राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित हैं, इस पूजा में रहे। काशी के डोमराजा परिवार में जन्‍मे अनिल चौधरी, जिनका परिवार हरिश्चंद्र घाट की देखरेख आज भी करता है, इसमें सम्‍म‍िलित रहे। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र और उनकी पत्नी उषा मिश्र तो पहले से अनुष्ठान में शामिल रहे थे। कर्नाटक के कलबुर्गी जिले से आने वाले लिंगराज बसवराज अप्पा वीरशैव कम्युनिटी से हैं। यानी हिन्‍दू समाज के हर वर्ग-समुदाय का प्रतिनिधित्‍व यहां पूजा के समय रहा।

मजदूर भी बतौर मेहमान बुलाया गए थे

भगवान श्रीराम के प्राण-प्रतिष्‍ठा आयोजन में अनुसूचित जाति, जनजाति झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवारों को भी बड़ी संख्‍या में बुलाया गया था। इसके अलावा, मंदिर निर्माण में लगे मजदूर और श्रमिकों को भी बतौर मेहमान बुलाया गया था। श्रमिकों पर स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्प वर्षा की थी। विहिप के इन पदाधिकारी का कहना है कि कार्यक्रम के लिए 150 श्रेणियों के सात हजार से अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें संत, राजनेता, व्यवसायी, खेल जगत, कला जगत, अभिनेता, कवि, लेखक, साहित्यकार अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमंतू जाति सेवा, प्रशासनिक, पुलिस, सेना के अधिकारी, कार सेवकों के परिवार, कुछ देशों के राजदूत आदि शामिल हुए थे।

सभी हिन्‍दू वर्ग के पुजारियों की हुई है नियुक्‍ति

राम मंदिर के लिए जिन पुजारियों का चयन किया गया उनमें भी अनुसूचित जाति और, जनजाति, पिछड़ा वर्ग से पुजारी चुने गए। हालांकि, इससे पहले भी गैर ब्राह्मण पुजारी नियुक्त किए जा चुके हैं। दक्षिण भारत में अधिकांश गैर ब्राह्मण पुजारी मंदिरों में हैं। इस बारे में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि पुजारियों का चयन सिर्फ योग्यता के आधार पर किया गया है, न कि उनकी जाति के आधार पर। वहीं, स्वामी रामानंद कहते हैं, जाति-पाति पूछे न कोई, हरि का भजे सो हरि का होई। इसके बाद कहना यही है कि एक बार फिर राहुल गांधी झूठे साबित हुए हैं।

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