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‘सनातन की जानकारी नहीं थी, मैं हिंदू-विरोधी हो गई’, इस्लामिक कन्वर्जन की साजिशों की शिकार अनघा जयगोपाल का वीडियो वायरल

Published by
सुनीता मिश्रा

कभी पहचान छिपाकर, कभी प्यार के जाल में फंसाकर, कभी शादी का झांसा देकर तो कभी किसी और बहाने से हिंदू लड़कियों का शोषण करने और फिर धर्म परिवर्तन कराने के कई मामले आए दिन सामने आते हैं। इस्लामिक कन्वर्जन की साजिशों की शिकार डॉ. अनघा जयगोपाल भी उन्हीं में से एक हैं। केरल के त्रिशूर की रहने वाली अनघा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने धर्मांतरण और फिर सनातन धर्म में वापस आने के अपने अनुभव को साझा किया है। अनघा ने अपना जीवन आर्ष विद्या समाजम के माध्यम से हिंदुओं को जागृत करने के लिए समर्पित कर दिया है।

‘सनातन धर्म की सही जानकारी न होना इस्लाम के गड्ढे में ले आया’

वह ॐ नमः शिवाय बोलते हुए अपनी बात शुरू करती हैं और बताती हैं कि उनकी बड़ी बहन अनुषा और छोटी बहन अमृता भी आर्ष विद्या समाजम से जुड़ गई हैं। उन्होंने बताया, ”मैं उस दर्दनाक अनुभव को आप सबके साथ साझा कर रही हूं, जो हमारे परिवार ने चार साल पहले झेला था। मेरा जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। बहुत छोटी उम्र से ही हम घर पर कई प्रकार के अनुष्ठान और दैनिक पूजा देखते हुए बड़े हुए। मुझे केवल कुछ अनुष्ठानों के अलावा इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि सनातन धर्म क्या है? भारत का इतिहास क्या है और समकालीन चुनौतियां क्या होती हैं? सही जानकारी न होने के कारण ये मुझे इस्लाम के गड्ढे में ले आया। मैं भी हर किसी की तरह अच्छी पढ़ाई करके, अच्छी नौकरी पाकर, अपने परिवार की देखभाल करना चाहती थी। मैं एक अच्छी फिजियोथेरेपिस्ट बनने का सपना लेकर कॉलेज गई थी। लेकिन वहां मेरे लिए कुछ और ही इंतजार कर रहा था।”

अनघा ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, ”वह एक ऐसा समय था जिसने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। मैं अपने कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में रहती थी, मेरे रूममेट्स में मुस्लिम अधिक थे। हमारी बातचीत में धर्म कॉमन टॉपिक बन गया। सबसे पहले उन्होंने मुझसे हिंदू धर्म के बारे में सवाल पूछना शुरू किया।”

‘खुद को हिंदू कहने पर शर्म आती थी’

इसके बाद उन्होंने ‘केरल स्टोरी’ फिल्म का जिक्र करते हुए कहा, ”आप सभी ने इस फिल्म को देखा होगा। मैंने भी फिल्म की मुख्य किरदार शालिनी उन्नयन के जैसे सवालों का सामना किया। मैं उनके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाई, क्योंकि मुझे अपने धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन दिनों मुझे खुद को हिंदू कहने पर भी शर्म आती थी। मैं ऐसी क्यों हो गई थी। इसके बारे में अपने परिवार को भी कोई सटीक जवाब नहीं दे पाई। मुझे अपने धर्म के बारे में बस यही जानकारी ​दी गई थी कि हम अपने पूर्वजों के बताए रास्ते पर ही चलते हैं, लेकिन मैं इस जवाब से संतुष्ट नहीं थी। मैंने इसका जवाब तलाशने की बहुत कोशिश की, परन्तु सफल नहीं हुई। उस समय जब मैं कन्फ्यूज स्टेज में थी। मेरे दोस्तों ने मुझसे इस्लाम के बारे में बात करना शुरू किया। उन्होंने बताया इस्लाम दुनिया का सबसे अच्छा मजहब है। अगर मैं उनसे इस्लाम के बारे में सवाल करती तो वो मुझे सभी जवाब देते थे। क्योंकि उन्होंने बचपन से ही मदरसा में इस्लाम की शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन मैं सनातन धर्म की बेसिक चीजों को भी नहीं जानती ​थी। इसलिए मुझे उनके विचारों से प्रभावित होने में समय नहीं लगा।”

‘मंदिर, देवी देवताओं और हिंदुओं से नफरत होने लगी’

उस वक्त अनघा अपनी पहचान खोने लगी थी। पहले वो मानती थीं कि सभी ईश्वर एक हैं। लेकिन बाद में उसे लगा कि अल्लाह की एकमात्र ईश्वर है। इस्लाम में उसको सबसे पहले सिखाया गया कि सभी गैर मुस्लिम काफिर हैं। उन्होंने बताया, ”पहले मैं बिंदी, कुमकुम, चंदन लगाती थी, लेकिन धीरे-धीरे मैं मुस्लिम महिला की तरह कपड़े पहनने लगी। गाना, नाचना सब कुछ मेरे लिए हराम हो गया। मुझे लगने लगा कि मंदिर जाना और मंत्रों का जाप करना व्याभिचार जितना ही गलत है। धीरे-धीरे हिंदू धर्म, देवी देवताओं, अनुष्ठान और हिंदुओं के प्रति मुझमें नफरत बढ़ती गई।”

‘भारत के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देना मुख्य लक्ष्य’

अघना के अनुसार, इस्लाम वाले वाट्सएप ग्रुप में जिनकी वह मेंबर थी, उन सभी में भारत के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाले मैसेज शेयर किए जा रहे ​थे। सभी मैसेज का टोन यही था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और यहां विभिन्न तरीकों से इस्लाम का वर्चस्व होना चाहिए। सभी मुसलमानों को इस्लाम की जड़ें मजबूत करने के लिए इसके लिए आगे आना चाहिए।

‘सीएए और एनआरसी मुसलमानों के हित में नहीं’

उन्होंने यह भी बताया, ”मेरे मुस्लिम फ्रैंड ने मुझे ओपनली बताया कि उनकी योजना स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, आईटी सेक्टर में अपना डोमिनेंस स्थापित किया है और इस तरह से सभी गैर मुसलमानों को इस्लाम में परिवर्तित करना है। उसके मुस्लिम दोस्तों ने ये भी कहा कि सीएए और एनआरसी भारत के मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के लिए हैं। इनका डटकर मुकाबला करना चाहिए।”

‘प्रधानमंत्री मोदी से सबसे ज्यादा नफरत करती थी’

वह कहती हैं, ”क्या आप जानते हैं कि उस समय मैं किससे सबसे ज्यादा नफरत करती थी। वो कोई और नहीं बल्कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हैं। मैं उस समय भयानक मानसिक स्थिति में पहुंच गई थी। उस समय मेरा ऐसा ब्रेन वॉश किया गया कि मैं भारत के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकती थी। इसके बाद मैं अपनी पूरी फैमिली को इस्लाम में परिवर्तित करने में लग गई। लेकिन सफल नहीं हुई। मेरे फ्रैंड्स ने मुझे कुरान से संबंधित अनुवाद और जाकिर नाइक की वीडियो भेजे। उसे पढ़कर और सुनकर मैं हिंदू विरोधी होती गई। कुछ समय बाद मैंने अपने परिवार को बताया कि मैंने इस्लाम कबूल कर लिया है। भगवान श्रीकृष्ण को मानने वाला मेरा परिवार इस बात को सहन नहीं सका। खुशी के दिन दुख में बदल। मेरे माता-पिता हमेशा रोते रहते थे। उनके पास मेरे सवालों के जवाब नहीं थे। मैं अपने घर पर ही नमाज पढ़ने लगी और जब कभी नमाज नहीं पढ़ पाती तो अंदर ही अंदर बेहद दुखी होती थी। मुझे हर पल ये डर सताने लगा कि अगर मैंने समय पर नमाज नहीं पढ़ी और छोड़ दी तो अल्लाह मुझे सजा देगा। पहले मैं चोरी छिपे नमाज पढ़ती थी, लेकिन कुछ समय बाद मैंने खुले में नमाज पढ़ने का फैसला किया।”

वह बताती हैं, ”मैंने सनातन धर्म में लौटने का फैसला किया। शिव के बिना कोई शक्ति नहीं है। आचार्य श्री मनोज ने मेरी आंखे दी। उनके कारण ही हम आज आपके सामने बोल पा रहे हैं। हम उनके ऋणी हैं। जो कभी हिंदू धर्म को नष्ट करने पर अमादा थी उन्होंने हमें सनातन धर्म का ध्वजवाहक बना दिया।”

वायरल वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि सभी अपने बच्चों से धर्म के बारे में जरूर बात करें। उन्हें अपने धर्म के बारे में शिक्षा दें, नहीं तो वे बर्बाद हो जाएंगे।

बता दें कि सुदीप्तो सेन की फिल्म ‘केरल स्टोरी’ वर्ष 2023 में रिलीज हुई थी। फिल्म के रिलीज होने के बाद कई पीड़िताओं ने खुद सामने आकर अपनी आपबीती सुनाई थी। उन्होंने कहा था कि यह वही है जो आज न केवल केरल और भारत के कई जगहों पर, बल्कि दुनिया भर में हो रहा है। समाज में क्या हो रहा है यह फिल्म सटीक ढंग से दर्शाती है।

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