विश्लेषण

जीवन बन गया बोझ

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WEB DESK

छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती जिले बीजापुर में एक गांव है-तिमापुर। यहीं के निवासी हैं 31वर्षीय अवलम मारा। इनका काम था बांस काटना और बेचना। 22 फरवरी, 2017 को ठिठुरन भरी सुबह थी। उसी ठंड के बीच वे सुबह सात बजे अपने पिता अवलम पांडू और एक अन्य ग्रामीण कुंजाम पांडू के साथ बांस काटने जंगल के लिए निकले। ये सभी जंगल के बीच गांव से लगभग 7-8 किलोमीटर दूर ही गए थे।

अवलम अपने पिता और कुंजाम पांडू से आगे चल रहे थे। अचानक अवलम का पैर एक वस्तु पर पड़ा। वह बम था। दबाव पड़ते ही बम फट गया। इसके बाद तो अवलम की चीखें निकल पड़ीं। इस धमाके में अवलम ने अपना दायां पैर सदैव के लिए खो दिया। पहले वे अपने परिवार का पालन करते थे, लेकिन आज वे बैसाखी के सहारे चल रहे हैं। वे जीविकोपार्जन के लिए शारीरिक मेहनत नहीं कर सकते हैं।

यानी वे जीवनभर के लिए पराश्रित हो गए हैं। उनकी यह हालत उन नक्सलियों के कारण हुई है, जिन्होंने जंगल में बम लगाया था। अवलम कहते हैं कि नक्सलियों का नाश होना ही चाहिए।

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