बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का हौसला दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, जिससे हिंदू अल्पसंख्यकों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। धार्मिक स्वतंत्रता पर पड़ रहे इस दबाव ने देश के कई हिस्सों में सामाजिक तनाव को बढ़ा दिया है। खासकर दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों को लेकर हिंदुओं पर प्रतिबंध लगाए जाने लगे हैं, जो धार्मिक सहिष्णुता के लिए एक चिंताजनक संकेत है।
कट्टरपंथियों की धमकियाँ
बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूहों ने हिंदू समुदाय को खुली धमकियाँ दी हैं। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई भी दुर्गा पूजा मनाने की कोशिश करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। इस तरह के आक्रमक बयानों के चलते हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में डर और असुरक्षा की भावना फैल गई है। हाल ही में, एक हिंदू शिक्षक को दुर्गा पूजा के आयोजन पर अपनी आपत्ति व्यक्त करने के कारण अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जो इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
मंदिरों को मिल रही धमकी
खुलना के डकॉप क्षेत्र में कई मंदिरों को गुमनाम धमकी भरे पत्र मिले हैं, जिसमें मांग की गई है कि यदि दुर्गा पूजा का आयोजन करना है, तो मंदिर प्रबंधकों को 5 लाख टका का टोल देना होगा। पत्रों में साफ-साफ लिखा गया है कि यदि ये मांगें पूरी नहीं की गईं, तो पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, यदि पत्र को किसी भी तरीके से अधिकारियों या मीडिया के साथ साझा किया गया, तो गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है। यह स्थिति धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान इस स्थिति के पीछे के “मास्टरमाइंड” का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि हाल के विरोध प्रदर्शनों के पीछे कोई स्वाभाविक जन-विद्रोह नहीं था, बल्कि यह एक सावधानीपूर्वक तैयार किया गया और सुव्यवस्थित आंदोलन था।
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