पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की चल रही परियोजनाओं के लिए आवश्यक जमीन का कब्जा ठेकेदारों को सौंपने के लिए निर्देश दिए है। हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को 15 अक्टूबर तक या उससे पहले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के ठेकेदारों को जगह दी जाए।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की आवश्यकताओं के लिए जमीन स्थानांतरित की जाए। न्यायालय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 15 अक्टूबर से पहले एक शपथपत्र दाखिल करना होगा। जिसमें लैंड एक्वायर के खाली और भारमुक्त कब्जे की पुष्टि हो। इस शपथपत्र को 16 अक्टूबर को कोर्ट में प्रस्तुत करना जरूरी होगा।
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कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से अधिग्रहित भूमि ठेकेदारों को सौंपे जाने के बाद, परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाए। न्यायालय ने परियोजनाओं की प्रगति की लगातार निगरानी करने की बात भी कही है। वहीं इस मामलें में पंजाब के पुलिस महानिदेशक और संबंधित उपाधीक्षकों को वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए परियोजनाओं की निगरानी कनरे का निर्देश दिया गया है।
न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंड पीठ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तर्क दिया कि राज्य में पायलट परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन फंड जारी होने में देरी के कारण भूमि अधिग्रहण की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पा रही हैं।
इससे प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने में असमर्थ है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने ये भी कहा कि 18 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव और पंजाब पुलिस महानिदेशक को निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन राज्य की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1966 की धारा 3-डी के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी की जा रही है, जिससे मुआवजा राशि का वितरण भी नहीं हो पा रहा है।
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