देहरादून: दून भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी खालिद मंसूरी को यूपी के सहारनपुर जिले कुतुबशेर थाने की पुलिस गिरफ्तार कर ले गई है। इस घटना के बाद बीजेपी, उसके अल्प संख्यक मोर्चा और वक्फ बोर्ड में खासी प्रतिक्रिया है।
बताया जाता है कि बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व में वक्फ बोर्ड के चैयरमैन शादाब शम्स का जवाब तलब किया है, जिसके बाद श्री शम्स ने वक्फ बोर्ड के सीईओ सिराज उस्मान से जांच पड़ताल करने को बोला है कि आखिर कैसे खालिद मंसूरी, विकास नगर जामा मस्जिद का मुतवल्ली बनाया गया? जानकारी के अनुसार, इसके लिए वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्ति से पहले चरित्र प्रमाण पत्र आवश्यक है। इस मामले में चेयरमैन द्वारा सीईओ से विधिक राय भी लिए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
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उल्लेखनीय है खालिद मंसूरी यूपी से भगोड़ा अभियुक्त था और उस पर 15 हजार इनाम भी पुलिस ने रखा हुआ था, आरोपी पर 384/17/153/2011 धारा 363/366 के तहत एक मामला दर्ज था। एक मामला 2017 का दर्ज बताया गया, जिसके बाद उसे भगोड़ा घोषित किया गया, दो दिन पूर्व यूपी पुलिस ने उसे सेलाकोई से गिरफ्तार किया, बताया जाता है वो यूपी छोड़ कर, यहां देहरादून जिले के विकास नगर में रहता था।
पहले वो कांग्रेस में बाद में बीजेपी अल्प संख्यक मोर्चे का पदाधिकारी बन गया था। ये भी जानकारी मिली है कि वो अपने राजनीतिक आकाओं की मदद से ही विकासनगर जामा मस्जिद का मुतवल्ली जब बन गया तब भी उसे लेकर यहां हल्का विवाद हुआ था।
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बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता होने के नाते उसकी स्थानीय थाना चौकी पुलिस प्रशासन में खासी चलती थी। उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से बाहरी राज्यों के अपराधियों के यहां बॉर्डर एरिया में छिप कर रहने की चर्चाएं रही है। अभी कई ग्राम प्रधानों के फर्जी दस्तावेजों के मामले भी कोर्ट में चल रहे हैं। इन्हीं लोगों की वजह से यहां जनसंख्या असंतुलन के मामले भी सामने आ रहे हैं।
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