कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक बाबूलाल ने कहा, ‘‘भारतीय महिला को सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं है, वह पहले से ही सशक्त है। महिलाओं को पुरुष नहीं बनाते, बल्कि महिलाएं पुरुषों का निर्माण करती हैं। माताएं ही अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देकर सभ्य समाज का निर्माण करती हैं।’’ वरिष्ठ आईपीएस और एडीजी रेलवे अनिल पालीवाल ने कहा, ‘‘महिला सुरक्षा का मुद्दा समाज और संस्कृति से जुड़ा है। 90 प्रतिशत मामलों में महिलाएं जिनसे अपराध होता है, वे उनके परिचित होते हैं। महिला सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने की जरूरत है।’’
समर्थ सेवा न्यास की अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि महिला सुरक्षा का विषय सिर्फ महिलाओं का नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का है। उन्होंने कानून की कमजोरियों और सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। अधिवक्ता मूमल राजवी ने कहा कि अजमेर कांड कितना घिनौना कृत्य था, जिसने 250 बालिकाओं के जीवन को तबाह कर दिया। कुछ बालिकाओं ने आत्महत्या कर ली।
इस मामले के आरोपी युवा कांग्रेस से जुड़े थे और अजमेर दरगाह के खादिमों के परिवार से थे। बहुत से आरोपी ऐसे थे जो बरी हो गए। 32 वर्ष बाद केवल 6 आरोपियों को सजा मिली है। अपराध के प्रति चुप्पी अपराधियों को निडर बनाती है। इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
1999 से 2003 तक अजमेर में शिक्षा ग्रहण करने वाली पुष्पा यादव ने कहा, ‘‘उस समय लोग इस मामले की चर्चा करने से भी डरते थे। घर वाले दरगाह की ओर जाने से भी मना करते थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय अजमेर में कैसा वातावरण रहा होगा।’’ कार्यक्रम में क्षेत्रीय कार्यवाह गेंदालाल, डिपार्टमेंट आफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग के निदेशक डॉ. जय सिंह सहित काफी संख्या में महिलाएं और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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