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चोर की दाढ़ी में तिनका, Bangladesh के ‘विदेश सलाहकार’ ने कहा-‘हिंदुओं पर अत्याचार सिर्फ भारत के Media का दिमागी खलल’

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WEB DESK

5 अगस्त के बाद बांग्लादेश के लगभग सभी जिलों में हिन्दुओं को चुन—चुनकर निशाना बनाया गया, और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। खुलना में मंदिरों से दुर्गापूजा से पहले प्रत्येक मंदिर को 5 लाख टका चुकाने की धमकी चिट्ठी भेजकर दे दी गई है। नहीं तो कट्टरपंथी मुस्लिम वहां पूजा नहीं करने देंगे।


शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ करने के बाद बांग्लादेश में सत्ता में आई अंतरिम सरकार किस हद तक झूठी और कट्टरपंथी सोच वाली है, इसके उदाहरण आएदिन मिलते रहे हैं। वहां विदेश मामलों के ‘सलाहकार’ ने अब इसका एक ताजा उदाहरण सामने रखा है। इस ‘सलाहकार’ को वहां 5 अगस्त के बाद से लगातार हिन्दुओं पर किए जा रहे अत्याचार दिखाई नहीं दिए हैं, न ​ही उसे इस बारे में कोई खबर ही मिली है कि कहीं किसी हिन्दू को मजहबी उन्मादियों ने आहत किया है। उसके अनुसार, ‘यह सब तो बस भारत के मीडिया का पैदा किया शगल है, असल में तो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है।’

इस ‘सलाहकार’ का नाम है तौहीद हुसैन और यह मजहबी उन्मदियों की कठपुतली बने देश के विदेश मामले देख रहा है। तौहीद का कहना है कि हिंदुओं के विरुद्ध कोई हिंसा नहीं हो रही है। और यह बयान उसने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में दिया है जहां संयुक्त राष्ट्र की आम सभा चल रही है, जिसमें भाग लेने वह ‘मुख्य सलाहकार’ मोहम्मद यूनुस के साथ गया है। यूनुस को वहां बसे बांग्लादेशी हिन्दुओं का भारी विरोध झेलना पड़ा है।

तौहीद ने बांग्लादेश में पीढ़ियों से बसे हिंदुओं तथा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध को सिरे से नकारते हुए कहा कि नहीं नहीं, बांग्लादेश में ऐसा कुछ नहीं हुआ है

तौहीद ने बांग्लादेश में पीढ़ियों से बसे हिंदुओं तथा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध को सिरे से नकारते हुए कहा कि नहीं नहीं, बांग्लादेश में ऐसा कुछ नहीं हुआ है, बस जो कुछ थोड़ा बहुत हुआ भी है तो उसे भारत के मीडिया ने गलत ढंग से सामने रखा है। तौहीद को यह ध्यान नहीं रहा कि उससे सवाल पूछने वाले पत्रकार हैं जो इंटरनेट के इस जमाने में दुनियाभर की खबर रखते हैं।

अब समझिए किन लोगों के हाथ में वह देश चला गया है शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद। सेना, पुलिस, अंतरिम सरकार, सब कट्टरपंथी मुल्ला—मौलवियों के हाथों के खिलौने बनकर रह गए हैं। हिन्दुओं को हर सरकारी नौकरी से चुन—चुनकर निकाला जा रहा है। हिंदू मंदिरों को जलाया गया, तोड़ा गया, दूषित किया गया है। अब इस बार तो पीढ़ियों से हर बड़े मंदिर में मनाई जाती रही दुर्गापूजा के आयोजन पर भी संशय छाया हुआ है। ढाकेश्वरी मंदिर में असमंजसता के बादल हैं।

5 अगस्त के बाद बांग्लादेश के लगभग सभी जिलों में हिन्दुओं को चुन—चुनकर निशाना बनाया गया, और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। खुलना में मंदिरों से दुर्गापूजा से पहले प्रत्येक मंदिर को 5 लाख टका चुकाने की धमकी चिट्ठी भेजकर दे दी गई है। नहीं तो कट्टरपंथी मुस्लिम वहां पूजा नहीं करने देंगे।

लेकिन विदेश ‘सलाहकार’ इन सब घटनाओं से अनभिज्ञ हैं, उन्हें शायद दुनिया के सेकुलर मीडिया पर भरोसा है कि हिंदुओं पर अत्याचार की खबरों को भ्रामक विमर्श तले दबा दिया जाएगा। तभी उन्हें वहां हिन्दू पीड़ित नजर नहीं आ रहे हैं। तौहीद के बेशर्म बयान की अमेरिकी हिन्दुओं ने ही नहीं, दुनियाभर के सभ्य समाज ने निंदा की है। हिन्दू दमन को ‘भारत के मीडिया का झूठ’ बोलकर वे इस सचाई को छुपा नहीं सकते हैं।

लंदन में विरोध प्रदर्शन करते बांग्लादेशी हिन्दू

यह पूछने पर कि ‘बांग्लादेश की अंतरिम ‘सरकार’ हिंदुओं पर किए जा रहे हिंसक हमलों के बारे में क्या सोचती है, उनको कैसे बंद कराएगी?’, तौहीद का कहना था कि ‘इतना तो है कि ऐसी कुछ घटनाओं के बारे में सुनने में आया है, लेकिन ऐसी किसी हिंसक घटना को सीधे हिंदुओं पर दमन जैसा दिखाना ठीक बात नहीं है। भारत का मीडिया इन घटनाओं को मिर्च—मसाला लगाकर पेश न करे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार सभी नागरिकों की हिफाजत की हर तरह से कोशिश कर रही है। हिंदू भी हमारे ही तो नागरिक हैं, उनका ध्यान रखा जा रहा है।’ ​उस इस्लामी देश के ‘सलाहकार’ का इस प्रकार का बयान देना साफ दिखाता है कि वे किसके इशारे पर काम कर रहे हैं और वहां हिन्दुओं की किस प्रकार की ‘हिफाजत’ की जा रही है।

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