उत्तर प्रदेश

मूत्र और थूक जिहाद के खिलाफ गाजियाबाद में महापंचायत, कट्टरपंथियों के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार की मांग

Published by
Kuldeep singh

देश में आजकल मूत्र और थूक जिहाद चल रहा है। गाजियाबाद में जूस में पेशाब मिलाकर बेचने और जूस में थूक मिलाकर बेचने की घटनाओं के खिलाफ गाजियाबाद में हिन्दू संगठनों ने लोनी इलाके के टीला गांव स्थित शिव मंदिर में महापंचायत का आयोजन हुआ। इस दौरान साधु-संतों ने खाद्य और पेय पदार्थों में थूक और मूत्र मिलाने वाले लोगों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस महापंचायत में साधु-संतों के अलावा दर्जनों गांवों के हजारों लोग शामिल हुए। महापंचायत के दौरान स्वामी दीपांकर, साध्वी प्राची जैसे दिग्गज भी शामिल हुए। इस मौके पर स्वामी दीपांकर ने लोगों को जातियों में न बंटकर एक होकर, हिन्दू बनकर सनातनी होकर भारत में रहूंगा, जातियों में बंटकर नहीं रहूंगा। गर्व से को हम हिन्दू हैं और हिन्दुस्तान हमारा था, है और रहेगा और हमारा ही रहेगा। अब वक्त आ गया है कि पूरा समाज एक हो जाएं।

साध्वी प्राची ने शंकराचार्यों पर साधा निशाना

हिन्दू संगठनों के द्वारा बुलाई गई महापंचायत के दौरान साध्वी प्राची ने हिन्दू समुदाय की 36 बिरादरियों से एक होकर अपने धर्म की रक्षा करने की अपील की। साध्वी प्राची कहती हैं कि दूसरे समुदाय के लोग हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसाने के लिए अपना नाम बदलकर हिन्दू नाम रखते हैं। ऐसे में अगर उन्हें हिन्दू नाम इतने ही अच्छे लगते हैं तो वो अपना मजहब त्यागकर हिन्दू क्यों नहीं बन जाते हैं। इस मौके पर भी एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कुछ मांगें भी की गई।

पारित किए गए प्रस्ताव की मुख्य बातें

  • सभी प्रकार के जिहाद करने वाले विधर्मियों को रासुका के तहत गिरफ्तार किया जाए और इस तरह के अधर्मियों के लिए मृत्युदंड जैसा कठोर कानून बनाया जाए।
  • एक सप्ताह के अंदर मुस्लिम समुदाय के लोग एक महापंचायत करके इस तरह के लोगों का बहिष्कार करें, साथ ही इस तरह के अपराधियों के खिलाफ मौत की सजा का फतवा जारी करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो हिन्दू समुदाय के लोग 36 बिरादरी के लोग देशभर के मुस्लिमों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे।
  • जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए 2 बच्चों का कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
  • इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सभी को अपने प्रतिष्ठानों का नाम लिखने का निर्देश देने की मांग की गई है।

 

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