नई दिल्ली । छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से सैकड़ों वनवासी नक्सल हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्र हुए। इन पीड़ितों ने नक्सलियों द्वारा किए गए अमानवीय अत्याचारों के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इनका आरोप है कि नक्सलियों ने उनके जीवन को नर्क बना दिया है और वे लंबे समय से आतंक के साए में जी रहे हैं।
बस्तर की एक मासूम बच्ची, जो दिल्ली की चकाचौंध में थोड़ी राहत महसूस कर रही थी, क्योंकि उसका जीवन बस्तर में हमेशा खतरे और डर के बीच बीतता है। उसकी मां ने बताया कि नक्सलियों ने छोटे बच्चों तक को नहीं बख्शा और निर्दयता से उनकी जान ली।
प्रदर्शन में शामिल कई वनवासी नक्सल आतंक के कारण अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंग खो चुके हैं। किसी के पैर नहीं हैं, किसी के हाथ, तो कई लोग अपनी आँखों की रोशनी तक गंवा चुके हैं। नक्सलियों द्वारा इन पर केवल इसलिए जुल्म ढाए गए, क्योंकि इन्होंने नक्सलियों का समर्थन नहीं किया। इन लोगों का कहना है कि नक्सली सिर्फ हिंसा और आतंक फैलाने में लगे हैं और बस्तर के भोले-भाले वनवासियों को अपनी लाल विचारधारा के नाम पर कुचल रहे हैं।
नक्सलवाद खत्म करने की मांग
प्रदर्शन में शामिल वनवासी समुदाय की एक ही मांग थी—नक्सलवाद का खात्मा। उन्होंने जोर देकर कहा कि नक्सलियों ने गरीबों के नाम पर सिर्फ शोषण किया है और उन्हें लगातार हिंसा और भय के वातावरण में रहने को मजबूर किया है।
प्रसिद्ध लेखक राजीव कुमार ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा, “नक्सलियों ने कभी गरीबों की मदद नहीं की, वे सिर्फ लाल आतंक और हिंसा को बढ़ावा देते हैं।”
गृहमंत्री से मुलाकात
प्रदर्शन के बाद, नक्सल पीड़ितों का एक दल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने उनके आवास पहुंचा। इस दल में 70 लोग शामिल थे, जिन्होंने गृहमंत्री के समक्ष अपनी व्यथा रखी और न्याय एवं पुनर्वास की मांग की। गृहमंत्री शाह ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने नक्सल प्रभावित लोगों के साहस की सराहना करते हुए कहा कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए कृतसंकल्पित है।
इस मुलाकात के दौरान, कई ऐसे लोग शामिल थे जिन्होंने नक्सलियों के हाथों अपने प्रियजनों को खोया है या स्वयं गंभीर शारीरिक हानि झेली है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास, विकास और सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता देने के लिए पीड़ितों ने सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की।
मुख्यमंत्री साय के प्रयासों की सराहना
पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व की भी प्रशंसा की और कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों ने उन्हें यह हिम्मत दी कि वे दिल्ली आकर अपनी आवाज उठा सकें। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य और सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है, जिससे प्रभावित लोगों में नई उम्मीद जगी है।
एक पीड़ित ने कहा, “हमने अपने परिवार और अंगों को खोया, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से हमें यह हिम्मत मिली कि हम अपनी बात देश की राजधानी में लाकर रख सकें। मुख्यमंत्री साय ने हमें भरोसा दिलाया कि हमें न्याय मिलेगा।”
राष्ट्रपति से मुलाकात की तैयारी
पीड़ितों का यह दल 21 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मुलाकात करेगा और उन्हें ज्ञापन सौंपेगा। इस ज्ञापन में नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास, सुरक्षा बलों की तैनाती और विकास कार्यों में तेजी लाने की मांग की जाएगी।
यह प्रदर्शन न केवल नक्सल हिंसा के खिलाफ वनवासी समुदाय की पीड़ा को व्यक्त करता है, बल्कि पूरे देश को इस समस्या की गंभीरता से अवगत कराने का एक प्रयास है। पीड़ितों की एक ही मांग है—शांति और विकास।
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