मणिपुर के लोगों के लिए सितंबर का महीना एक बार फिर तनाव लेकर आया। 1 सितंबर की दोपहर को इम्फाल पश्चिम जिले के दो मैतेई बहुल गांवों पर एक ड्रोन ने बम गिराए। 2 सितंबर को ड्रोन बम हमले में इम्फाल पूर्वी जिले में इंडिया रिजर्व बटालियन के तीन बंकर तबाह हो गए। ड्रोन हमलों के लिए कुकी उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, क्योंकि उनका निशाना इम्फाल घाटी में मैतेई बहुल आबादी थी। दोनों ड्रोन हमलों के बाद अपने-अपने क्षेत्र की रक्षा कर रहे मैतेई और कुकी समूहों के बीच भारी गोलीबारी हुई। दोनों समुदायों के बीच हुई झड़पों ने पिछले कुछ दिनों में और भी हिंसक रूप ले लिया है। इन झड़पों में अब तक 12 लोग मारे गए हैं। राजनीतिक घटनाक्रम भी तेजी से बदल रहा है। कुछ अपुष्ट खबरें आई हैं कि कुकी समुदाय स्व-शासन के लिए एक अलग ‘कुकिलैंड’ की मांग कर रहा है।
ड्रोन हमलों ने मणिपुर में 16 महीने से चल रहे संघर्ष में एक और आयाम जोड़ दिया है। अब सुरक्षाबलों और लोगों को आसमान से आने वाले ड्रोन के खतरों से भी लड़ना पड़ रहा है। गोलीबारी और घात लगाकर किए गए हमले भी हो रहे हैं। नवीनतम ड्रोन हमलों का एक अलग प्रभाव होने की संभावना है और इससे हिंसा का स्तर बढ़ सकता है। पिछले सप्ताह में दोनों समुदायों के बीच संघर्ष की अनेक सूचनाएं मिलीं हैं। कुकी समूहों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से हमले किए जा रहे हैं।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
मणिपुर का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किमी है और घाटी का तल सिर्फ 2000 वर्ग किमी है। इसकी आबादी 30 लाख से कुछ अधिक है, जिसमें लगभग 55 प्रतिशत हिंदू मैतेई, 20 प्रतिशत नागा और 16 प्रतिशत कुकी हैं। शेष जनसंख्या मुस्लिम और अन्य समुदायों की है। मैतेई और कुकी 3 मई, 2023 से संघर्ष की स्थिति में हैं। गत वर्ष तब अचानक हिंसा भड़क उठी जब मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया। बता दें कि मैतेई समुदाय लंबे समय से कुकी समुदाय के समान अपने लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहा है, ताकि वे पहाड़ियों पर जमीन खरीद सकें। इसके बाद कुकी समुदाय ने उच्च न्यायालय के आदेश का हिंसक विरोध किया।
हालांकि अभी इस आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। सुरक्षा बलों ने दोनों संघर्षरत गुटों के बीच एक प्रकार का ‘बफर जोन’ बनाकर हिंसा के स्तर को कम किया था। दोनों गुट अपने-अपने इलाकों तक ही सीमित थे। यहां तक कि राजधानी इम्फाल, जहां कुकी की उपस्थिति बहुत कम है, में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को हर समय सतर्क रहना पड़ रहा है। दोनों गुटों के युवकों को रात में पहरा देते देखना आम बात है। दोनों गुटों के पास हथियार हैं इसलिए जरा भी उकसावे पर प्रदेश में हिंसा और बढ़ सकती है।
अब तक, निगरानी उद्देश्य के लिए स्थानीय रूप से इकट्ठे किए गए पुर्जों से बने ड्रोन या चीनी क्वाडकॉप्टर का उपयोग मणिपुर में दोनों गुटों द्वारा किया गया है। एक ड्रोन मूल रूप से एक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है, जिसमें कोई पायलट या चालक दल नहीं होता। क्वाडकॉप्टर चार रोटार वाला एक बुनियादी ड्रोन है और इनका उपयोग रिमोट-नियंत्रित डिवाइस के द्वारा अनेक गतिविधि के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
बुनियादी ड्रोन काफी विकसित हो गए हैं और व्यावसायिक रूप से आसानी से उपलब्ध हैं। ड्रोन कैमरों के जरिए रात में फोटोग्राफी भी हो सकती है। यही नहीं, ये ड्रोन यातायात, आपात घटनाओं, दूरदराज के क्षेत्रों आदि पर नजर रखने के लिए उपयोगी हैं। ड्रोन की वजन उठाने की क्षमता आकार के हिसाब से है और हमने देखा है कि पाकिस्तान ड्रोन के माध्यम से जम्मू क्षेत्र और पंजाब में हल्के हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक भेज रहा है। मणिपुर में ड्रोन का सशस्त्र उपयोग, संभवत: देश में अपनी तरह का पहला, एक खतरनाक संकेत है।
भारत विरोधी ताकत
बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना शासन को सत्ता से बेदखल करने के बाद भारत विरोधी ताकतों का मकसद भारत के पूर्वोत्तर को अस्थिर करना है। म्यांमार की पीपुल्स डिफेंस फोर्स का मणिपुर से लगे सीमावर्ती इलाकों पर नियंत्रण है। यह गुट चीन के नियंत्रण में है और आतंकवादियों को सशस्त्र ड्रोन तकनीक बेच सकता है। यह चिंताजनक है, क्योंकि दोनों ड्रोन हमलों में बेहद सटीकता थी, जो आतंकवादियों को अच्छे प्रशिक्षण का संकेत देती है। हिंसा के स्तर में अचानक वृद्धि का एक अर्थ यह भी है कि इसके पीछे विदेशी धन और तत्व हैं। कुछ हद तक इस संघर्ष में चर्च की भागीदारी भी देखी जा रही है। बिगड़ते सुरक्षा हालात को देखते हुए राज्य में अतिरिक्त केंद्रीय बलों को भेजा जा रहा है।
असम राइफल्स की ओर से एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। यहां तक कि सीआरपीएफ ने राज्य पुलिस को एक एंटी ड्रोन सिस्टम सौंपा है। ये उपाय ड्रोन को हवा में नष्ट करने में सक्षम होने चाहिए और निवारक के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा, सुरक्षा बलों को आतंकवादी ठिकानों से ऐसे उपकरणों को पकड़ने के लिए खुफिया जानकारी हासिल करनी होगी। किसी भी ड्रोन को उड़ान भरने से रोकने के लिए फ्रीक्वेंसी जैमिंग के साथ कुछ तकनीकी उपायों को लागू किया जा सकता है। ऐसी तकनीक का उपयोग हवाई अड्डों के आस-पास किया जाता है।
मणिपुर में आंतरिक राजनीतिक गतिविधि में भी तेजी आई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और 20 मैतेई विधायकों ने 8 सितंबर को राज्यपाल से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। ऐसा माना जा रहा है कि ज्ञापन में केंद्र से मणिपुर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करने और अलग ‘कुकीलैंड’ की मांग को खारिज करने का आग्रह किया गया है। साथ ही ज्ञापन में केंद्र से दो कुकी समूहों, कुकी नेशनल आर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के साथ हस्ताक्षरित सस्पेंशन आफ आपरेशंस (एसओओ) समझौते को निरस्त करने का भी आग्रह किया गया है, जो 2008 से प्रचलित है। यह स्पष्ट है कि निर्वाचित विधायक अपने-अपने समुदाय का पक्ष ले रहे हैं।
इसी बीच राज्य में मुख्यमंत्री के इस्तीफे की अफवाहें भी उड़ी हैं। इसलिए, मणिपुर में शांति स्थापित करने और एक निश्चित समय सीमा के भीतर सामान्य स्थिति लाने का समय आ गया है। कुछ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। राज्य में राजनीतिक वर्ग स्पष्ट रूप से जातीय आधार पर विभाजित है और विश्वास की कमी है। इन परिस्थितियों में, मणिपुर में राज्यपाल शासन लगाने का सही समय दिख रहा है।
विशेष रूप से केंद्रीय बलों को जहां आवश्यक हो, सख्ती से कदम उठाने होंगे। खुफिया ढांचे को मजबूत करना होगा, क्योंकि मौजूदा ड्रोन हमलों ने सत्ता प्रतिष्ठान को आश्चर्यचकित कर दिया है। दोनों गुटों की निरस्त्रीकरण प्रक्रिया को भी तेज करना होगा। इनके साथ सिविल सोसाइटी, पांथिक नेताओं, गैर-सरकारी संगठनों, महिला समूहों, मानवाधिकार एजेंसियों, मीडिया पर नजर रखने वाले और बुद्धिजीवियों को बहुत ही तटस्थ, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हस्तक्षेप करना होगा। अगले कुछ महीने सामान्य रूप से भारत के उत्तर पूर्व और विशेष रूप से मणिपुर में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। मणिपुर में सेवा करने के अपने पिछले अनुभव के आधार पर, मुझे उम्मीद है कि राज्य में बिगड़ती स्थिति को त्वरित, निर्णायक और दृढ़ कार्रवाई से ठीक किया जा सकता है।
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