पंजाब में धान की फसल पककर तैयार हो चुकी है और एक अक्तूबर से इसकी सरकारी खरीद शुरू होने वाली है, लेकिन राज्य में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ने लगी हैं। भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के तमाम दावों के बावजूद, इस समस्या पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं दिखाई दे रहा है। बीते तीन दिनों में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि पिछले दो सालों की तुलना में कहीं ज्यादा है।
आंकड़ों में तेजी, भगवंत मान सरकार सवालों के घेरे में
15 सितंबर से लेकर अब तक पंजाब में पराली जलाने के 16 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2022 में इस दौरान 15 मामले और 2023 में सिर्फ 6 मामले सामने आए थे। इस बार अमृतसर जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं, जहां अब तक 14 मामले दर्ज हो चुके हैं। पिछले तीन दिनों में अमृतसर में 9 मामले, तरनतारन में 1 और फिरोजपुर में 1 मामला दर्ज हुआ है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि भगवंत मान सरकार के वादे और उनके दावे केवल कागजी रह गए हैं।
चुनावी वादों पर उठ रहे सवाल
2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पराली जलाने पर काबू पाने के बड़े-बड़े वादे किए थे। भगवंत मान ने दिल्ली में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार के मॉडल को लागू करने की बात कही थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पराली जलने की घटनाएं न सिर्फ किसानों के लिए समस्या पैदा कर रही हैं, बल्कि इससे उत्तरी भारत, विशेषकर दिल्ली में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ सकता है।
दिल्ली पर मंडराता प्रदूषण का खतरा
पंजाब की पराली जलाने की घटनाएं हर साल दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर प्रदूषण का कारण बनती हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, दिल्लीवासियों को अब पहले से ही सतर्क होने की आवश्यकता है। पराली जलाने से बढ़ने वाला वायु प्रदूषण एक बार फिर भगवंत मान सरकार की नाकामी को उजागर कर रहा है।
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सके। अगर जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया, तो यह न सिर्फ किसानों और पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होगा, बल्कि आने वाले चुनावों में आम आदमी पार्टी के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकता है।
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