नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित ‘शी शक्ति’ कार्यक्रम में महिलाओं के अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीजेआई ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों की बात करना केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के सभी सदस्यों का मुद्दा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। महिलओं को आज भी खुद को साबित करना पड़ता है। जबकि पुरुषों के लिए ऐसा नहीं है।
उन्होंने उल्लेख किया कि “हमारी सोच महिलाओं के लिए रियायतें देने से आगे बढ़नी चाहिए ताकि स्वतंत्रता और समानता के आधार पर जीवन जीने के उनके अधिकार को पहचाना जा सके”। सीजेआई ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं को कोई छूट नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें समान अवसर और सुरक्षा की आवश्यकता है।
सीजेआई ने हंसा मेहता का भी जिक्र किया, जिन्होंने भारतीय महिलाओं के अधिकारों का चार्टर तैयार किया था। मेहता ने कहा था कि पुरुषों के संदर्भों को मानवता के पर्याय के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
सीजेआई ने बताया कि श्रमिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 37% है। जीडीपी में योगदान 18% है। हमें इस स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है। समाज के सभी वर्ग और समुदाय इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। यह सिर्फ महिलाओं के विषय में नहीं बल्कि समाज को और बेहतर बनाने के बारे में है। हमें हर शाम इस विषय पर गंभीर रुप से बातचीत करनी चाहिए।
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