चीनियों के इस अजीबागरीब शगल ने पाकिस्तान में गधों के मालिकों की चांदी हो गई है। जिन गधों को पाकिस्तान के देहातों में भी ‘गंवार’ और ‘बेकार’ माना जाता था अब वे मालामाल होने का जरिया हो गए हैं। उनकी कीमतें यकायक आसमान छूने लगी हैं। ढेरों गधे पाकिस्तान से चीन का सफर कर रहे हैं।
कुछ साल पहले जिन्ना के देश में एक चलन देखने में आया था, और वह यह था कि वहां की गरीब और कम उम्र लड़कियों को चीन के लोग ‘शादी’ करके चीन ले जाया करते थे। उन्हें वहां ले जाकर चीन में चलने वाले अवैध देह—कारोबार में धकेल दिया जाता था या नौकरानी बनाकर उन पर हुक्म चलाया जाता था। इधर कुछ समय से चीन वालों का दिल जिन्ना के इस्लामी देश के गधों पर आया है। जाने क्या खूबी दिखी उन्हें पाकिस्तानी गधों में कि वे उन्हें 3 लाख पाकिस्तानी रुपयों तक में खरीदने को तैयार हैं। पाकिस्तानी अवाम को शायद तसल्ली है कि चलो, निर्यात करने को और कुछ नहीं तो पाकिस्तानी गधे ही सही।
चीनियों के इस अजीबागरीब शगल ने पाकिस्तान में गधों के मालिकों की चांदी हो गई है। जिन गधों को पाकिस्तान के देहातों में भी ‘गंवार’ और ‘बेकार’ माना जाता था अब वे मालामाल होने का जरिया हो गए हैं। पाकिस्तानी गधे जो ठहरे। उनकी कीमतें यकायक आसमान छूने लगी हैं। ढेरों गधे पाकिस्तान से चीन का सफर कर रहे हैं। यानी पाकिस्तानी लोगों से ज्यादा गधे हवाई जहाज और पानी के जहाज की सैर कर रहे हैं। चीन में ये पाकिस्तानी गधे देखते ही देखते नए मालिकों के सुपुर्द किए जा रहे हैं और वे मालिक ‘स्टेटस सिम्बल’ की तरह पाकिस्तानी गधों को शान से अपने घर के बाहर बांधकर ‘शो’ करते हैं।
अब पाकिस्तानियों के मन में यह भी चल रहा है कि उनके मुल्क का दोस्त जिनपिंग का चीन पाकिस्तानी गधों के रास्ते दोस्ती बढ़ा रहा है। बताते हैं, चीन में गधे इसलिए भी पाले जा रहे हैं क्योंकि चीन की जो प्राचीन चिकित्सा पद्धति है उसमें और साज-श्रृंगार की चीजों में पाकिस्तान के गधों की चमड़ी प्रयोग की जाती है। पाकिस्तान के ही एक चैनल ने बताया है कि एक पाकिस्तानी गधा 3 लाख तक का बिक रहा है। बोझ लादने में काम आने वाला यह निरीह पशु इतना कीमती हो जाएगा, यह पाकिस्तानी गधों के मालिकों को भी उम्मीद नहीं थी।
कुछ समय हुआ, एक रिपोर्ट आई थी कि दुनिया में सबसे ज्यादा अगर किसी देश में हैं तो वह पाकिस्तान ही है। यानी पाकिस्तान में गधों की कोई कमी नहीं है। देहात और छोटे शहरों आदि में गधा गाड़ियां खूब चलन में हैं, यहां तक कि माल ढुलाई के अलावा इस पर सवारियां भी ढोई जाती रही हैं। लेकिन चीन में एकाएक इनकी मांग ऐसी बढ़ी है कि अब उन गधा—गाड़ी वालों का काम चौपट होता जा रहा है, उनके लिए अपना परिवार पालना मुश्किल होता जा रहा है।
कराची में गधों का बाजार गर्म है। वहां के एक जिले ल्यारी में हर हफ्ते एक गधा हाट लगती है जहां गधे खरीदे—बेचे जाते हैं। अचानक से गधों की कीमत बढ़ने की वजह से ल्यारी में जो आसपास के गांवों के लोग गधे खरीदने आते थे वे अब कम होते जा रहे हैं। पाकिस्तानी गधों के कारोबारी चीन वालों को कहीं ज्यादा कीमत में गधे बेचने में दिलचस्पी ले रहे हैं। कुछ हजार वाले स्थानीय लोगों की ऐसे में कोई पूछ नहीं है।
गधों के मामलों में चीन को लेकर एक और बात मशहूर है कि वहां साल में लाखों गधे कट रहे हैं। गधे की चमड़ी उतारकर दवाएं बनाई जाती हैं। पारंपरिक चीनी दवा का आज भी चीन में खूब प्रचलन है। गधे की चमड़ी से कोलेजन बनता है उसे दूसरी बूटियों के साथ मिलाया जाता है। चीन के इस काम में आज से 7—8 साल पहले ऐसी तेजी आई कि गधे ढूंढे जाने लगे और चीन के गधे चुकने लगे तो पाकिस्तान की तरफ नजर गई क्योंकि यहां तो गधों की कमी नहीं थी। चीनी पारंपरिक दवाओं को लेकर यूरोपीय घुमंतुओं की ऐसी दीवानगी बढ़ गई कि इन दवाओं का सालाना उत्पादन हजारों टन तक जा पहुंचा।
लेकिन गधा गाड़ी वालों की अपनी पीड़ा है। पहले उन्हें हाट से गधे 8 से 12 हजार रुपये तक में मिल जाया करते थे, लेकिन अब तो कीमत उनकी जेब से बाहर हो गई है। गधा गाड़ी वाले परिवार का पेट भरने की दिक्कत झेल रहे हैं। सरकारी आंकड़ा है कि जिन्ना के देश में 6 लाख 60 हजार गधे घूम रहे हैं। इसलिए उस इस्लामी देश में गधों की कमी नहीं है और इसीलिए कम्युनिस्ट चीन उसे बड़ा पसंद कर रहा है।
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