हैदराबाद मुक्ति दिवस: भारत से अलग होने पर अड़ा था निजाम, जिन्ना को भी लिखा पत्र, लेकिन सामने थे लौहपुरुष
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

हैदराबाद मुक्ति दिवस: भारत से अलग होने पर अड़ा था निजाम, जिन्ना को भी लिखा पत्र, लेकिन सामने थे लौहपुरुष

हैदराबाद की रियासत ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था, वहां पर 80% जनता हिन्दू थी और भारत में विलय चाहती थी, परन्तु वहां का निजाम अपनी रजाकार सेना के माध्यम से उन्हें दबा रहा था।

by सोनाली मिश्रा
Sep 17, 2024, 11:15 am IST
in भारत
सरदार पटेल

सरदार पटेल

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजी शासन से स्वतंत्र हुआ तो अंग्रेजों ने चाल चलते हुए भारत की रियासतों के सामने दो विकल्प दे दिए थे कि या तो वे भारत में रहें या पाकिस्तान की ओर जाएं। पाकिस्तान की ओर से चालें चली जा रही थीं। भारत की ओर से लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल एक दीवार बनकर खड़े थे एवं भारत की आत्मा से किसी भी प्रकार के खिलवाड़ के विरुद्ध थे।

हैदराबाद की रियासत ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था, वहां पर 80% जनता हिन्दू थी और भारत में विलय चाहती थी, परन्तु वहां का निजाम अपनी रजाकार सेना के माध्यम से उन्हें दबा रहा था। उस समय हैदराबाद रियासत ने पूरा प्रयास किया कि भारत में उसका विलय न हो! उसने अंग्रेजों से इसे स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर राष्ट्र-मंडल देशों में शामिल करने का आग्रह किया, जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया। उसने जिन्ना को भारत से युद्ध की स्थिति में सहायता के लिए पत्र लिखा जिसके लिए जिन्ना साहस नहीं जुटा पाए, इसलिए मना कर दिया और कुछ दिनों में जिन्ना की मृत्यु भी हो गई। बाद में पाकिस्तान ने पुर्तगाल को हैदराबाद की मदद करने को कहा किंतु पुर्तगाल सामने नहीं आया।

यह कल्पना ही करना कठिन है कि कैसे एक रियासत इस प्रकार का विरोध कर रही थी, वह भी तब जब वहां की 80% जनता भारत में विलय करना चाहती थी। जनता की तड़प और संघर्ष को समझा जा सकता है! हैदराबाद का निजाम उस्मान अली खान विलय न करने पर अड़ा था जबकि जनता चाहती थी भारत में विलय करना। रजाकार सेना हिन्दुओं का लगातार दमन कर रही थी और लगातार निजाम इस बात पर टिका हुआ था कि वह अपनी स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थिति को नहीं त्यागेगा किन्तु भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार है जिसमें हैदराबाद के लिए स्वायत्तता की शर्तें रखी गईं जो प्रायः एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के पास होती हैं। इन शर्तों मे विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ भारत के किसी भी युद्ध की स्थिति में हैदराबाद राज्य के भारत के साथ पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध मे शामिल न होने के विशेषाधिकार की मांग की गई।

सरदार पटेल के पास खुफिया सूत्र लगातार सूचनाएं भेज रहे थे और जिसके अनुसार निजाम जहां भारत को अपनी बातों में उलझाए था तो वहीं विदेशों से हथियार मंगवा रहा था। यह स्थिति चलती रही और कई दौर की बातचीत के बाद, नवंबर 1947 में हैदराबाद ने भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें राज्य में भारतीय सैनिकों को तैनात करने के अलावा अन्य सभी व्यवस्थाओं को जारी रखा गया। मगर भारत का विरोध करते हुए हिन्दुओं पर रजाकार सेना के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। हिंसा, लूट और बलात्कार की गतिविधियों से राज्य के बहुसंख्यक हिंदुओं का जीवन हैदराबाद की रियासत में नरक बनता जा रहा था। दुर्भाग्य की बात यह थी कि जहां निजाम की ओर से रजाकारों के माध्यम से बहुसंख्यक हिन्दुओं पर लगातार अत्याचार किए जा रहे थे, तो वहीं सौहार्द की एक बनावटी तस्वीर विश्व के सम्मुख दिखाई जा रही थी।

हिन्दू भी अपने अस्तित्व और संघर्ष की लड़ाई लड़ रहे थे और इस संघर्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके साथ था। वह हैदराबाद की मुक्ति के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे। 15 अगस्त के बाद स्थानीय हिंदुओं ने निज़ाम के विरुद्ध जनसंघर्ष तेज कर दिया था। निज़ाम की सेना, रजाकार और रोहिल्ला लड़ाके सत्याग्रहियों पर अत्याचार कर रहे थे और पकड़कर जेलों मे डाल रहे थे। जनवरी 1948 मे निज़ाम ने बाहर से भाड़े के गुंडे बुलवाकर सत्याग्रहियों पर जेल के भीतर भी हमले करवाए।

दुर्भाग्य और विडंबना यही है कि एक ओर भारतीय भावना वाले हैदराबाद के नागरिकों पर लगातार अत्याचार हो रहे थे, तो वहीं भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ऊहापोह में फंसे थे कि सेना भेजी जाए या नहीं! परन्तु कहते हैं कि हर अत्याचार का एक दिन अंत होता ही है। हैदराबाद के निजाम द्वारा जब हर प्रकार के अत्याचार की सीमा पार हो गयी और विदेशों से हथियार खरीदे जाने के उदाहरण भारत के सामने आए तो सरदार पटेल ने हैदराबाद से कहा कि वह समझौते का उल्लंघन कर रहा है। परन्तु सत्ता के मद में चूर निज़ाम की तरफ से भारत सरकार की आपत्तियों का उचित उत्तर और समाधान देने के स्थान पर भारत सरकार की तमाम आपत्तियों को सिरे से नकार दिया गया।

भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल ने हैदराबाद के निज़ाम के कदमों को गंभीरता से लेते हुए सेना को सितंबर 1948 मे हैदराबाद राज्य के विलय के लिए कार्रवाई का आदेश दे दिया। 13 सितंबर से 17 सितंबर 1948 तक चले इस 109 घंटे के अभियान को “ऑपरेशन पोलो” नाम दिया गया। 17 सितंबर को हैदराबाद के निजाम ने अपनी सेना के साथ आत्मसमर्पण कर दिया और हैदराबाद का सफलतापूर्वक भारत में विलय हो गया।
हालांकि 109 घंटे का ही अभियान था, परन्तु यह भी सत्य है कि यह समय पूरे डेढ़ बरस की देरी से आया था। इतने दिनों तक हैदराबाद की रियासत के हिन्दुओं ने अत्याचार और दमन के जिस चक्र का सामना किया, वह सहज नहीं था, वह कल्पना से परे था। और इस पर भी कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हैदराबाद के लिए उठाए जाने वाले क़दमों को लेकर आशान्वित नहीं थे। वह भारतीय सेना को लेकर इसलिए सशंकित थे क्योंकि उनका मानना था कि हैदराबाद में सेना भेजने से कश्मीर में भारतीय सैनिक भेजने से भारतीय सैनिक ऑपरेशन को नुकसान पहुंचेगा।

कई पुस्तकों में सरदार पटेल एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच की असहजता को विस्तार पूर्वक बताया गया है। हैदराबाद की मुक्ति स्वतंत्र भारत की एक अद्वितीय घटना है क्योंकि यह हिन्दुओं की उस अदम्य संघर्ष शक्ति को बताती है जो उन्हें धरोहर में प्राप्त हुई है। यह उस राष्ट्रीयता की भावना का अनुपम उदाहरण है, जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक सिरे में बांधती है।

हैदराबाद में रजाकारों की सेना के सामने हार न मानना और लगातार जीत का प्रयास करते रहना सभ्यता को बचाए रखने के निरंतर संघर्ष को परिलक्षित करती है! आज का दिन उन असंख्य बलिदानियों के साथ ही साथ भारत के प्रथम गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का भी दिन है, ताकि संघर्ष एवं संघर्सं के उपरान्त जीत की महत्ता को समझा जा सके।

Topics: पाकिस्तानहैदराबाद मुक्ति दिवसनिजामलौहपुरुषसरदार वल्लभ भाई पटेल
Share4TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, भारत ने किया बेअसर : रक्षा मंत्रालय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

पाकिस्तान का झूठ बेनकाब: भारतीय प्लेन गिराने के दावे की सच्चाई पाक के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद ही बता दी

भारत के एनएसए अजीत डोवल

Operation Sindoor: NSA Doval ने जिन्ना के देश के एनएसए से कहा-भारत तनाव नहीं चाहता, लेकिन हिमाकत की तो कड़ा जवाब मिलेगा

पाञ्चजन्य ब्रेकिंग न्यूज

Breaking News : पाकिस्तान के लाहौर समेत कई शहरों में बम धमाके, अब कराची भी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies