भारत में वक्फ एक्ट पर संशोधन का मामला संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास है। जेपीसी में इस पर चर्चा हो रही है। जनता से सुझाव भी मांगे गए थे। वहीं, वक्फ एक्ट को लेकर भगोड़ा जाकिर नाइक सोशल मीडिया के जरिये भारतीय मुसलमानों को भड़का रहा है। वह एक के बाद एक वीडियो जारी कर रहा है। वह भारतीय मुसलमानों से कह रहा है कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ें और इस विधेयक को खारिज करें। वक्फ की संपत्ति पर केवल मुसलमानों का हक है। विधेयक पारित हो गया तो हम सभी पर खुदा का कहर बरपेगा। वक्फ एक्ट में संशोधन के जरिये भाजपा सरकार मुसलमानों की संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने जाकिर नाइक को फटकार लगाई है। वहीं, पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत में दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन मुस्लिमों के हित में है। उन्होंने वक्फ बोर्ड को लेकर भी अपनी बात रखी।
दिल्ली हज समिति की अध्यक्ष कौसर जहां कहती हैं कि वक्फ एक्ट में संशोधन मुसलमान समाज के हित में है। इससे पारदर्शिता बनेगी और भ्रष्टाचार खत्म होगा। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भाजपा की यही मंशा है कि मुसलमान समाज के पिछड़े से पिछड़े वर्ग तक को लाभ मिले। वक्फ बोर्ड को अभी कुछ लोग अपने हिसाब से चला रहे हैं। इसमें बदलाव से मुसलमान समुदाय को फायदा होगा। भाजपा नीत एनडीए सरकार से पहले की सरकारों ने मुसलमानों के हित में इस तरह से कभी नहीं सोचा। मुसलमानों के लिए जो रिफार्म हुए हैं, वह मोदी सरकार में ही हुए हैं। मुसलमानों के लिए भाजपा की सरकार ने सोचा है। योजनाओं में यह यह नहीं देखा जाता है कि वह हिंदू या फिर मुसलमान है। विपक्ष के लोग समस्याओं पर समाधान नहीं निकालते। खाली विरोध करने के लिए विरोध की राजनीति न करिये। पुरानी गलतियों पर किसी को होश नहीं था। इन गलतियों को ठीक करना शायद मोदी जी के ही भाग्य में है। मोदी सरकार का कार्यकाल मुस्लिम समाज की महिलाओं के लिए स्वाति नक्षत्र के समान है।
वक्फ कानून में क्या संसोधन हैं प्रस्तावित ?
- वक्फ बोर्ड के कार्यों में पारदर्शिता आए इसलिए वक्फ संपत्ति को निष्पक्ष तरीके से चिह्नित किया जाएगा। कोई भी विवाद होने पर समुचित तरीके से निस्तारण होगा
- मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्गों, शिया, बोहरा, आगाखानी को भी वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व दिया जाए
- केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में दो महिला सदस्यों का होना जरूरी
- वक्फ के पंजीकरण को डिजिटल तरीके से सुव्यवस्थित किया जाएगा
- वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में 90 दिनों तक अपील की जा सकती है
- कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर के पास वक्फ संपत्तियों के सर्वे कमिश्नर का अधिकार होगा
- किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करने से पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस दिया जाएगा
- केंद्रीय वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन सदस्य, मुस्लिम कानूनों के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के दो पूर्व जज, एक वकील, राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव या फिर संयुक्त सचिव होंगे
- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ अधिनियम – 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रस्ताव है।
- वक्फ बोर्डों को संपत्तियों के मूल्यांकन (वैल्यूएशन) के लिए जिला कलेक्टरों के दफ्तर में रजिस्ट्रेशन कराना होगा
- मुस्लिम समाज में हाशिये पर रखी जाने वाली महिलाओं को भी बोर्ड में प्रवेश मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी यह एक कदम है
इस पर छिड़ी है बहस
वक्फ एक्ट के सेक्शन 40 पर बहस हो रही है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को यह है कि अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो वह खुद से जांच कर सकता है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस अचल संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह वक्फ ट्रिब्यूनल के पास शिकायत दर्ज करा सकता है।
स्वतंत्र भारत में वक्फ पर पहला कानून 1954 में बना
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन कहते हैं कि भारत में रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक जमीन है। दुर्भाग्य से वक्फ बोर्ड की संपत्ति बढ़ती जा रही है। अंग्रेजों ने मुसलमानों की मजहबी संपत्ति (मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान आदि) की देखरेख के लिए 7 मार्च, 1913 को एक कानून बनाया। इसके बाद 5 अगस्त, 1923, 25 जुलाई, 1930 और 7 अक्तूबर, 1937 को इस कानून में कुछ और प्रावधान जोड़े गए। स्वतंत्र भारत में पहला वक्फ कानून 1954 में बना, जिसमें वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दिए गए। इसके बाद 1984 और 1995 में भी इस बोर्ड को शक्तिशाली बनाया गया। इस कानून के अनुसार यदि किसी गैर-मुस्लिम की संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज हो गई तो आदेश की तारीख से एक साल के अंदर वक्फ बोर्ड में मुकदमा करिए और यदि आपको आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो आपकी संपत्ति हमेशा के लिए गई। इसके बाद 20 सितंबर, 2013 को वक्फ कानून में कुछ संशोधन कर वक्फ बोर्ड को कई शक्तियां दी गईं। इनका इस्तेमाल जमीन कब्जाने के लिए किया जाने लगा है।
वक्फ कानून की कुछ धाराएं भी देखिये
धारा 40 – कोई भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड में एक अर्जी लगाकर अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दे सकता है। यदि किसी कारण से वह संपत्ति बोर्ड में पंजीकृत नहीं होती है तो भी 50 साल बाद वह संपत्ति वक्फ संपत्ति हो जाती है। सैकड़ों अवैध मजारें और मस्जिदें वक्फ संपत्ति हो चुकी हैं। किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसके मालिक को सूचित करना जरूरी नहीं है।
धारा 52 – यदि किसी की जमीन, जो वक्फ में पंजीकृत है, उस पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो वक्फ बोर्ड जिला दंडाधिकारी से जमीन का कब्जा वापस दिलाने के लिए कहेगा। नियमत: जिला दंडाधिकरी 30 दिन के अंदर जमीन वापस दिलवाएगा।
धारा 107 – वक्फ संपत्ति वापस लेने के लिए कोई तय समय-सीमा नहीं है, जबकि हिंदू धार्मिक संपत्तियों को ऐसी छूट नहीं है। ऊपर से 1991 में पूजा स्थल विधेयक कानून पारित कर हिंदुओं से यह अधिकार ले लिया गया है कि 15 अगस्त, 1947 से पहले टूटे मंदिरों को वापस नहीं ले सकते हैं।
धारा 89- वक्फ बोर्ड के विरुद्ध कोई भी दावा करने से पहले 60 दिन पूर्व नोटिस देना आवश्यक है। ऐसा कोई प्रावधान किसी हिंदू ट्रस्ट/मठ की संपत्ति के बारे में नहीं है। धारा 90 के अनुसार वक्फ प्राधिकरण के समक्ष दाखिल संपत्ति पर कब्जा या मुतवल्ली (केयरटेकर) के अधिकार से संबंधित कोई वाद लाया जाता है तो प्राधिकरण उसी व्यक्ति के खर्चे पर बोर्ड को नोटिस जारी करेगा, जिसने वाद दायर किया है।
धारा 91- यदि वक्फ बोर्ड की कोई जमीन सरकार द्वारा अधिगृहित की जानी है तो पहले वक्फ बोर्ड को बताया जाएगा।
धारा 104 (बी.), जो कि 2013 में जोड़ी गई – यदि किसी सरकारी एजेंसी ने वक्फ संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उसे बोर्ड या दावेदार को प्राधिकरण के आदेश पर छह महीने के अंदर वापस करना होगा।
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