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गणपति महोत्सव पर इस्लामिक चरमपंथियों के हमले : कहीं देव प्रतिमा पर फेंके पत्थर तो कहीं अंडे और कचरा

Published by
SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । भारत में गणपति महोत्सव एक धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार के रूप में व्यापक धूमधाम से मनाया जाता है। हर वर्ष देशभर में गणेश चतुर्थी के दौरान उत्सवों और जुलूसों का आयोजन होता है, लेकिन 2024 में, इस पवित्र त्योहार को इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा कई जगहों पर निशाना बनाया गया। देश के विभिन्न हिस्सों में इस्लामिक समुदाय के कुछ तत्वों ने गणपति महोत्सव में खलल डालने के प्रयास किए, जिसके परिणामस्वरूप कई स्थानों पर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ।

कहां-कहां हुए हमले..?

पूरे देश में धूमधाम से मनाए जाने वाले गणपति महोत्सव के दौरान, इस बार कुछ राज्यों में हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। सूरत (गुजरात), कच्छ (गुजरात), मांड्या (कर्नाटक), औरंगाबाद (बिहार), महोबा (उत्तर प्रदेश), और भीलवाड़ा (राजस्थान) में इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा भगवान गणेश के पंडालों पर कथित तौर पर हमले किए गए।

गुजरात : सूरत और कच्छ में हमले

गुजरात के सूरत शहर के लाल गेट क्षेत्र में गणेश उत्सव के दौरान पत्थरबाज़ी की घटना दर्ज की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामिक समुदाय के कुछ नाबालिगों ने गणपति पंडालों और जुलूस पर हमला किया, जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया। इसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए।

कच्छ जिले में भी इसी तरह के हमले की खबरें सामने आईं, जहाँ गणपति विसर्जन के दौरान इस्लामिक चरमपंथियों ने हमले किए, जिससे वहाँ का माहौल भी बिगड़ा। इन घटनाओं ने राज्य प्रशासन को सतर्क कर दिया और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई।

कर्नाटक : मांड्या और हुबली में हमले

कर्नाटक में, विशेष रूप से मांड्या और हुबली में, गणेश चतुर्थी के धार्मिक जुलूसों पर इस्लामिक चरमपंथियों ने हमले किए। हुबली में 2022 में भी इसी तरह की घटनाएँ सामने आई थीं, जब गणपति जुलूसों को निशाना बनाया गया था। इस बार भी हमलों ने स्थानीय हिंदू समुदाय में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा किया, और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की माँग की गई।

बिहार और उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा

बिहार के औरंगाबाद और उत्तर प्रदेश के महोबा में भी गणपति महोत्सव के दौरान इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा हमले किए गए। इन राज्यों में सांप्रदायिक तनाव पहले से ही मौजूद था, और इन घटनाओं ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया। पुलिस प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हिंसा को नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन त्योहारों के दौरान होने वाली ऐसी घटनाओं ने हिंदू समुदाय को गहरे तक प्रभावित किया।

राजस्थान : भीलवाड़ा में हमले

भीलवाड़ा, राजस्थान में गणपति विसर्जन जुलूस पर हमले की घटना ने भी राज्य में तनाव बढ़ा दिया। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाए, लेकिन ऐसे हमलों से हिंदू समुदाय में असंतोष और डर फैल गया है।

हिंदू त्योहारों पर लगातार हमले : एक चिंताजनक प्रवृत्ति

यह पहली बार नहीं है जब गणपति महोत्सव या अन्य हिंदू त्योहारों को निशाना बनाया गया है। पिछले कुछ वर्षों में, देश के विभिन्न हिस्सों में इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा हिंदू त्योहारों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। 2022 में महाराष्ट्र के कामठीपुरा में गणेश मूर्ति पर अंडे फेंके गए थे, जिससे हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया था। गुजरात के वडोदरा में भी गणपति जुलूस पर इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा हमला किया गया था, जिसमें 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

मजहब के ठेकेदारों की चुप्पी पर सवाल..?

गणपति महोत्सव भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र से शुरू होकर यह पर्व पूरे देश में फैल चुका है और उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के सभी राज्यों में इसे मनाया जाता है। इसके बावजूद, महोत्सव के दौरान हुए मजहबी हमलों पर ‘धार्मिक सौहार्द्र’ और ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ जैसी बिना सर पैर की बातें करने वाले तुष्टिकरण के ठेकेदारों की चुप्पी ने गहरा सवाल खड़ा किया है।

वहीं सूरत और कच्छ (गुजरात), मांड्या (कर्नाटक), औरंगाबाद (बिहार), महोबा (उत्तर प्रदेश), और भीलवाड़ा (राजस्थान) में हुई गणपति हुई घटनाओं से हिंदू समुदाय में गुस्सा और निराशा फैल गई है। कई लोग जमीन से लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि इन हमलों पर मौलाना-मौलवी और अन्य मुस्लिम नेताओं ने अभी तक कोई कड़ी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है..? इसके साथ ही हिंदू समाज के लोग और कई राजनीतिक विश्लेषक इन घटनाओं पर चुप्पी साधने वाले राजनीतिक दलों और तथाकथित सेक्युलर नेताओं की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

कई लोग यह मांग कर रहे हैं कि इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। वहीं इन मामलों में अभी तक किसी बड़े मुस्लिम धार्मिक नेता या मौलाना की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे जनाक्रोश और भी बढ़ गया है।

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