दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को ऐलान किया कि वो 2 दिन के अंदर सीएम की कुर्सी से इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद से आम आदमी पार्टी लगातार ये नरैटिव फैलाने की कोशिश कर रही है कि वह कट्टर ईमानदार हैं और इसलिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। लेकिन क्या यही सच है? ये सवाल सबकी जेहन में है।
सच क्या है
रिपोर्ट के मुताबिक, 13 सितंबर को केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद अचानक से केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। लेकिन सच्चाई को थोड़ा सा समझने की कोशिश करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने के बदले कुछ शर्तें रखी थीं।
क्या हैं शर्तें
- सीएम अरविंद केजरीवाल किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि ये बहुत ही आवश्यक न हो
- अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय भी नहीं जा सकेंगे
- वह कोर्ट ट्रायल को लेकर किसी भी तरह का कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं करेंगे
- इसके अलावा वो किसी भी गवाह से बात नहीं कर सकेंगे
- केजरीवाल इस केस से जुड़ी किसी भी फाइल पर अपनी पहुंच नहीं बना सकेंगे
- इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट में पेश होकर जांच में सहयोग करना पड़ेगा
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल बीते 156 दिनों तक जेल में थे। दिल्ली शराब घोटाले के मामले में उन्हें 13 सितंबर को कोर्ट ने जमानत दे दी थी। ईडी के मामले में उन्हें पहले ही जमानत दे दी गई थी।
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