कर्नाटक राज्य न सिर्फ अपने सांस्कृतिक धरोहरों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के झरने भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं। अगर आप कर्नाटक घूमने का प्लान बना रहे हैं और यहां के वॉटरफॉल्स को एक्सप्लोर नहीं किया तो आपका सफर अधूरा ही रह जाएगा। आइए जानते हैं कर्नाटक के कुछ वॉटरफॉल्स के बारे में, जिन्हें आपको अपनी यात्रा के दौरान अवश्य देखना चाहिए।
जोग वॉटरफॉल भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। शरवती नदी पर स्थित यह झरना लगभग 830 फीट की ऊंचाई से गिरता है। मानसून के दौरान यहां का दृश्य बेहद मनोरम होता है। इसे चार भागों में विभाजित देखा जा सकता है – राजा, रानी, रोरर और रॉकेट। यह कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए आपको बेंगलुरु से करीब 8 घंटे का सफर करना होगा।
गोकेक वॉटरफॉल बेलगाम जिले में स्थित है और अपने चौड़े आकार के लिए प्रसिद्ध है। यह गोकेक नदी पर स्थित है और 170 फीट की ऊंचाई से गिरता है। यहां का प्राकृतिक वातावरण और झरने की गड़गड़ाहट पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मानसून के बाद इसका असली सौंदर्य देखने को मिलता है।
शिवासमुद्रम वॉटरफॉल कावेरी नदी पर स्थित है और इसे एशिया का पहला हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन भी कहा जाता है। यह झरना दो भागों में बंटा हुआ है – गगनचुक्की और भराचुक्की। बारिश के मौसम में जब कावेरी नदी अपनी पूरी ऊफान पर होती है, तब इस झरने का सौंदर्य अपने चरम पर होता है।
यह झरना सिद्दीपुरा के पास स्थित है और करीब 116 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। इसे केपी तात के नाम से भी जाना जाता है। चारों ओर का शांत वातावरण और प्रकृति की हरी-भरी वादियां इस झरने को और भी आकर्षक बनाती हैं।
कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में स्थित हेब्बे वॉटरफॉल एक खूबसूरत स्थान है। यह 168 मीटर की ऊंचाई से दो भागों में बंट कर गिरता है – डोड्डा हेब्बे (बड़ा) और चिका हेब्बे (छोटा)। इसके पास स्थित Coffee estates इस झरने के सौंदर्य को और भी बढ़ाते हैं। यह स्थान हाइकर्स और नेचर लवर्स के बीच बेहद लोकप्रिय है।
सतोडी वॉटरफॉल उत्तर कर्नाटक के येल्लापुर के पास स्थित है और एक अद्वितीय स्थान है। यह झरना कई छोटी-छोटी जलधाराओं से मिलकर बना है और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। इस झरने की शांति और प्राकृतिक सुंदरता इसे बेहद खास बनाती है।
इरुपु वॉटरफॉल कूर्ग जिले में स्थित है और इसका सौंदर्य आपके दिल को छू जाएगा। इसे लक्ष्मण तीर्था नदी के स्रोत के रूप में भी जाना जाता है, जो आगे चलकर कावेरी नदी में मिलती है। यह झरना धार्मिक महत्व भी रखता है और महाशिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
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