उत्तर प्रदेश

‘मदरसे कर रहे बच्चों को मजहबी कट्टरता की ओर प्रेरित’, NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा

एनसीपीसीआर के अनुसार मदरसे सरकार के द्वारा तय पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं। बच्चों को मजहबी कट्टरता की ओर प्रेरित करते हैं

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Parul

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। एनसीपीसीआर का कहना है कि मदरसे में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा मजहबी तालीम पर केन्द्रित है। जो बच्चों के व्यापक विकास में बाधक है।

एनसीपीसीआर के अनुसार मदरसे सरकार के द्वारा तय पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं। बच्चों को मजहबी कट्टरता की ओर प्रेरित करते हैं। यूपी, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के कई मदरसों में गैर-मुस्लिमों को इस्लामी शिक्षा देने के मामले में भी सामने आये हैं। जो भारत के अनुच्छेद 28(3) के विरुद्ध है।

मदरसे की शिक्षा, शिक्षा के अधिकार के अन्तर्गत नहीं आती है। इस कारण मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे RTI के अन्तर्गत मिलने वाले लाभों से वंचित रह जाते हैं। उन्हें मिड-डे-मील, यूनिफॉर्म और प्रशिक्षित टीचरों जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। मदरसों में पढ़ाने वाले कई शिक्षक केवल कुरान व धार्मिक ग्रन्थों की जानकारी के आधार पर नियुक्त किये जाते हैं। उनके पास शिक्षक बनने हेतु जरूरी ट्रेनिंग का अभाव होता है। जिस कारण बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आती है।

आयोग ने कहा कि मदरसे ना केवल बच्चों की शिक्षा का एक निराशाजनक मॉडल है बल्कि वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 29 का भी उल्लंघन करते हैं। जिसके अनुसार सरकार निर्धारित पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया आवश्यक है।

एनसीपीसीआर ने बताया कि देवबंद का दारुल उलूम मदरसा देश के अन्य कई मदरसों को संचालित करता है। यह मदरसा अपनी वेबसाइट पर कई आपत्तिजनक बातें व फतवे जारी करता है। जिसके द्वारा वह बच्चों में गैर-मुस्लिमों के खिलाफ नफरत पैदा करता है।

इसके साथ ही कई मदरसों पर विदेश से फंडिंग लेने के आरोप हैं। नेपाल की सीमा के पास खोले कई मदरसे अपनी आय-व्यय का हिसाब व मदरसे खोलने के लिए चन्दे देने वालों के नाम एसआईटी को नही बता पाये।

इलाहबाद हाइकोर्ट ने बताया असंवैधानिक

22 मार्च को इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी में सरकारी अनुदान से चल रहे मदरसों को बंद करने का आदेश दिया था। हाइकोर्ट के अनुसार मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। साथ ही सरकार को 14 साल तक के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

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