राहुल गांधी देश की राजनीति और विपक्ष के उन चेहरों में से एक हैं, जो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन अक्सर गलत कारणों से। पिछले कुछ सालों में “पप्पू” के नाम से तुलना होती रही। यह उपनाम सोशल मीडिया पर चढ़ा हुआ है, जिसका जमकर जिक्र होता है। राहुल गांधी की राजनीतिक सोच और नेतृत्व क्षमता को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा होती ही रहती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से पार्टी और सोशल मीडिया टीम लगातार छवि सुधारने में जुटी हुई है, ऐसे ही अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा जो कि अंकल सैम के नाम से जाने जाते हैं, उन्होंने एक बयान दिया है, “राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं, बल्कि वे एक गहरे रणनीतिकार हैं।” यह बयान राहुल गांधी की छवि को सुधारने का प्रयास है, लेकिन क्या यह काफी है?
राहुल गांधी इस समय अमेरिका में हैं और वहां से भारत सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं, लेकिन उन्हें शायद यह अंदाजा नहीं है कि उनके बोल भारत के खिलाफ भी हो जाते हैं। वह बार-बार चीन की तरफ देखते हैं। चीन का समर्थन कर देते हैं। हद तो यह हो गई उन्होंने भारत में सिखों को लेकर बहुत ही अजीबोगरीब बयान दिया। उनका कहना है कि भारत के गुरुद्वारों में सिख कड़ा और कृपाण लेकर जाएं। एक तरह से उन्होंने यह कहने की कोशिश की कि भारत में सिख असुरक्षित हैं।
राहुल गांधी इस समय विपक्ष के नेता हैं तो उन्हें संयमपूर्ण बयान देना चाहिए। बचकाने और माहौल खराब करने वाले बयानों से बचना चाहिए। यह बात सोशल मीडिया समेत अन्य मंचों से लोग उन्हें याद दिलाते भी रहते हैं। उनके बयानों से उनकी पार्टी भी असहज हो जाती है। सिखों को लेकर उनके बयान पर कांग्रेस के नेता उतर आए हैं। वहीं अकल सैम ने तो यहां तक कह दिया है कि राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं। वह बहुत पढ़े-लिखे और स्ट्रैटजिक हैं। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन अंकल सैम यह भी बोले कि राहुल गांधी का एजेंडा बड़े मुद्दों को सुलझाने का है। उनके पास ऐसा विजन है, जिस पर भाजपा करोड़ों रुपये खर्च करती है। स्वाभाविक है कि राहुल इस समय विदेश में हैं तो उनके लिए अंकल सैम माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन यह भी गौर करने वाली बात है कि राहुल के बयानों के बाद लोग उनके विजन को चीनी नजरिये से देखते हैं। जब वह देश में आग लगने की बात करते हैं तो लोग उन्हें क्यों नसीहत देते हैं कि वे आग लगाने की कोशिश न करें?
राहुल गांधी को केवल भारत में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मजाकिया टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है। उदाहरण के लिए, जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब “अ प्रॉमिस्ड लैंड” में राहुल गांधी को “नर्वस” और “कमजोर” नेता बताया, तो इसे एक मजाकिया टिप्पणी के रूप में देखा गया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी में एक “छात्र” की तरह “तैयारी” की कमी दिखती है। अमेरिकी नेता की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता की लीडरशीप क्वालिटी को घेरता है।
इसी तरह ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी एक बार राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा था कि वे “उनके जैसे किसी और नेता से नहीं मिले हैं,” और इसे हल्के अंदाज में कहा गया था, जो राहुल गांधी के राजनीतिक अनुभव की कमी को ओर इशारा है। सैम पित्रोदा का बयान राहुल गांधी के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण पेश करता है, लेकिन इसके साथ ही यह भी सत्य है कि राहुल गांधी को उनकी राजनीतिक यात्रा के दौरान कई बार गलतियां करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्होंने 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ “चौकीदार चोर है” जैसे नारे लगाए, जो उल्टा पड़ गया और कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
राहुल गांधी के समर्थक और आलोचक दोनों ही इस सवाल पर बंटे हुए हैं। जहां सैम पित्रोदा जैसे नेता उन्हें एक रणनीतिकार मानते हैं, वहीं उनके विरोधी अभी भी उन्हें एक मजाक का पात्र मानते हैं। राहुल गांधी के आलोचक उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, क्योंकि वे मानते हैं कि उन्होंने कई बार ऐसी गलतियां की हैं जो एक अनुभवी नेता से उम्मीद नहीं की जातीं।
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