शिकागो संभाषण दिवस (11 सितंबर) पर विशेष : विवेकानंद विचार ही विकास का आधार
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

शिकागो संभाषण दिवस (11 सितंबर) पर विशेष : विवेकानंद विचार ही विकास का आधार

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1893 को शिकागो में आयोजित धर्मसभा में जो कहा था, उनका वह उद्बोधन आज भी उतना ही प्रासांगिक है जितना उस समय था

by प्रवीण गुगनानी
Sep 11, 2024, 06:23 am IST
in भारत, विश्व, विश्लेषण, धर्म-संस्कृति, पश्चिम बंगाल
शिकागो विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद

शिकागो विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

स्वामी विवेकानंद ने भारत और भारतीयता को कितना आत्मसात कर लिया था, यह कविवर रवींद्रनाथ ठाकुर के इस कथन से समझा जा सकता है, ‘‘यदि आप भारत को समझना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद को संपूर्णत: पढ़ लीजिए।’’ नोबुल पुरस्कार से सम्मानित फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने स्वामी विवेकानंद के विषय में कहा था, ‘‘उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है, वे जहां भी गए, प्रथम ही रहे।’’ स्वामी विवेकानंद एक ऐसे विद्वान्, संत, चिंतक व अद्भुत पुरुष हुए, जिन्हें हर दृष्टि से केवल और केवल चमत्कारिक देव-पुरुष ही कहा जा सकता है। 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में जब यह तेजस्वी विचारक बोलने उठा तो वहां उपस्थित विश्व भर का प्रबुद्ध और संत समुदाय उनके एक एक शब्द को सुनकर जैसे जड़वत् होता चला गया और उन्हें श्रद्धाभाव से सुनते रहने के लिए मजबूर हो गया था। यह एक सर्वविदित गौरव गाथा है, जो प्रत्येक भारतीय सगर्व बोलता, सुनता है।

प्रवीण गुगनानी
राजभाषा सलाहकार, विदेश मंत्रालय

आजकल बहुधा नहीं, बल्कि सदैव ही यह कहा जाने लगा है कि शासन और प्रशासन को धर्म, संस्कृति और परंपराओं के संदर्भों में पंथनिरपेक्ष होकर विचार और निर्णय करने चाहिए। यहां पर एक यक्ष प्रश्न उभरता है कि पंथनिरपेक्षता आखिर है किस चिड़िया का नाम? आज हमारे देश के तथाकथित बुद्धिजीवी और प्रगतिशील कहलाने वाला वर्ग पंथनिरपेक्षता के जो मायने निकाल रहा है, क्या वह सही है? क्या पंथनिरपेक्षता शब्द के जो अर्थ चलन में उतार दिए गए हैं, वे रत्ती भर भी प्रासंगिक और उचित हैं? इस वैचारिक संदर्भ में भारत में जो अर्थशास्त्र का ‘बुरी मुद्रा, अच्छी मुद्रा का सिद्धांत’ लागू है वह संभवत: दुर्योग से विश्व में केवल हमारे यहां ही सांस्कृतिक जीवन में भी लागू हो रहा है! अर्थशास्त्र में मुद्रा सिद्धांत है कि ‘बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को प्रचलन से बाहर कर देती है।’

यह सिद्धांत भारत की वैचारिक परिधि में लागू हो गया लगता है! आज देखने में आ रहा है कि जहां पाश्चात्य विश्व के बुरे विचार, फैशन शैली, परंपराएं और पद्धतियां हमारी पीढ़ी को अच्छी लग रही हैं, वहीं भारतीय-हिंदू जीवनशैली को पश्चिमी देश बेधड़क और तेजी से अपनाते चले जा रहे हैं। वर्तमान में हमें इस पीड़ादायक तथ्य को स्वीकार करना होगा कि भारत की वैचारिक दुनिया में जिस प्रकार बुरे विचारों ने अच्छे विचारों को प्रचलन से बाहर कर दिया है या करते जा रहे हैं तब स्वामी जी के विचारों का प्रकाश ही हमें इस षड्यंत्रपूर्वक बना दिए गए कुचक्र से बाहर निकाल सकता है।

स्वामी जी ने जब शिकागो धर्म संसद में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा था कि ‘राष्ट्रवाद का मूल, धर्म व संस्कृति के विचारों में ही बसता है’ तब संपूर्ण पाश्चात्य विश्व ने उनके इस विचार से सहमति व्यक्त की थी और भारत के इस युग पुरुष के इस विचार को अपने-अपने देशों में जाकर प्रचारित और प्रसारित किया था, भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान प्रकट किया था। कुछ वर्ष पूर्व जब क्रिस्मस के अवसर पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ब्रिटेन एक ईसाई राष्ट्र है और ऐसा कहने में किसी को कोई भय या संकोच नहीं होना चाहिए’ तब निश्चित ही उनकी इस घोषणा की पृष्ठभूमि में विवेकानंद का यह विचार ही था। कितने आश्चर्य का विषय है कि आज जब समूचा विश्व पंथनिरपेक्षता के शब्दार्थों को स्वामी विवेकानंद के विचारों में खोज और पा रहा है, हम उनके ऐतिहासिक शिकागो संभाषण और उनके समूचे जीवन वृत्त का पठन-पाठन ही नहीं कर रहे हैं। इस संभाषण में उन्होंने गर्वपूर्वक कहा था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और हिंदू जीवनशैली के साथ जीवन-यापन करना ही इस आर्यावर्त का एक मात्र विकास मार्ग रहा है। उन्होंने कहा था भविष्य में विकास करने और एक आत्मनिष्ठ समाज के रूप में अस्तित्व बनाए रखने में एक मात्र यह मंत्र ही सिद्ध और सफल रहेगा।

स्वामी जी ने अपने उस ऐतिहासिक व्याख्यान में कहा था कि भारत के विश्व गुरु के स्थान पर स्थापित होने का एकमात्र कारण यहां के वेद, उपनिषद्, ग्रंथ और लिखित-अलिखित करोड़ों आख्यान और गाथाएं ही रही हैं। अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा था कि जिस भारत को विश्व सोने की चिड़िया के रूप में पहचानता है, उसकी समृद्धि और ऐश्वर्य का आधार हिंदू आध्यामिकता में निहित है। आज यदि हम इस तथ्य को प्रामाणिकता की कसौटी पर परखें तो हमें निश्चित ही यह भान होगा कि भारत के प्राचीन विचार में निहित गुरुकुल, विज्ञाननिष्ठ पर्व-त्योहार, आयुर्वेद, आयुर्विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, काल गणना, अणु विज्ञान, अर्थशास्त्र, नीति शास्त्र, वैमानिकी आदि के आलोक में यदि हमारा समाज चलता रहता तो आज हमारी विकास गति और विश्व में हमारा स्थान कुछ और ही होता। चरक, आर्यभट्ट, चाणक्य, धन्वन्तरि आदि न जाने कितने ऐसे भारतीय वैज्ञानिकों, चिंतकों, विचारकों, आविष्कारकों के नाम गिनाए जा सकते हैं जिनका ध्यान स्वामी विवेकानंद के मानस में ‘हिंदू भारत’ या ‘हिंदू जीवनशैली’ कहते हुए रहा होगा। शिकागो संभाषण के समय स्वामी जी के मस्तिष्क में यह भी रहा ही होगा कि भारत पर विदेशी आक्रमणों का इतिहास जितना पुराना और व्यापक है उतना विश्व में अन्यत्र दूसरा कोई उदाहरण नहीं है।

इनमें कुछ अत्यंत बर्बर आक्रामकों शकों, हूणों, चंगेजों, मंगोलों, अरबों, तोमानी, यवनों, तुर्कों, अफगानों, पठानों, मुगलों, यूरोपियनों और विशेषत: अंग्रेज आक्रांताओं ने यहां के तत्कालीन बेहतरीन सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, कृषि, भोजन, शिक्षा और प्रशासनिक ताने-बाने को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने, उनके अपने अनुरूप सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक और व्यापारिक चलन स्थापित किए, जो उनके लिए वरदान थे और भारत के लिए दोहन का स्रोत। ये दोहन अभी तक भी अभिशाप रहे हैं भारत के लिए। स्वामी जी के विचारों से प्रभावित होकर जब पाश्चात्य देशों का नेतृत्व अपने यहां कोई नीति बनाता है तब हम बड़े गौरवान्वित होते हैं, किंतु आज यह समीक्षा होनी ही चाहिए कि इस भूमि के मूल सांस्कृतिक विचारों का यहां कितना प्रभाव व प्रभुत्व है! संपूर्ण विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा राष्ट्र है, जहां बहुसंख्यक समाज को अपने विचारों, मान्यताओं और परंपराओं के पालन और रक्षण के लिए भी ‘साम्प्रदायिक’ होने का ताना सुनना पड़ता है।

भारतीयों को वैचारिक रूप से पिछड़ा कहने वाले लोग इस देश के नेतृत्व में या नेतृत्व को प्रभावित करने वाली बैठकों में दशकों तक बैठे नजर आते थे। पिछले एक दशक से यह वातावरण कुछ-कुछ परिवर्तित हो रहा है। अब हमें स्मरण रखना चाहिए कि विवेकानंद के विचारों का प्रवाह और दैनन्दिन जीवन में उनकी निरंतर, सतत उपयोगिता को बनाए रखना ही वह आधार है जहां से इस राष्ट्र को समग्र विकास का मार्ग मिल सकता है। यहीं से भारत को सांस्कृतिक अक्षुण्णता के साथ सोने की चिड़िया और विश्व गुरु बनाने वाले तत्व मिल सकते हैं। हमें इस सर्वकालिक तथ्य और ब्रह्मसत्य को पहचानना होगा, यही हमारे लिए शिकागो संभाषण से निकला हुआ पाथेय है।

Topics: Indian CultureHindu LifestylemanasWorld Gurus of Indiaहिंदू भारतHistorical Chicago ConversationHindu Indiaरवींद्रनाथ ठाकुरपाञ्चजन्य विशेषस्वामी विवेकानंद के मानसहिंदू जीवनशैलीभारत के विश्व गुरुऐतिहासिक शिकागो संभाषणभारतीय संस्कृतिSwami Vivekananda's Mind
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: स्कूलों में हिजाब बैन करने की जगह स्कर्ट्स पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामिक तुष्टिकरण ?

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies