कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का एक बयान चर्चा में है। उन्होंने कहा कि एक वक्त ऐसा भी था जब देश के गृहमंत्री को ही लाल चौक पर जाने से डर लगता था। उन्होंने अपनी किताब ‘फाइव डेकेड्स ऑफ पॉलिटिक्स’ के विमोचन के मौके पर यह बात कही। शिंदे ने कहा, ”गृहमंत्री बनने से पहले मैं विजय धर (शिक्षाविद) के पास मिलने जाता था और उनसे सलाह भी मांगता था। उन्होंने मुझे ऐसी असली सलाह दी कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक। लाल चौक में जाकर घूमना नहीं, बल्कि कुछ लोगों से मिल और डल झील में घूमते चलो। उस सलाह से मुझे बहुत पब्लिसिटी मिली और लोगों में संदेश गया कि एक ऐसा होम मिनिस्टर है, जो बिना डर के जाता है, लेकिन असल में लाल चौक पर जाने से मेरी … थी ये मैं किसे बताऊं।” उनके इस बयान के बाद हॉल ठहाके से गूंज उठा।
शिंदे ने आगे कहा कि यह सिर्फ आपको हंसाने के लिए कहा था, एक पूर्व पुलिसकर्मी इस तरह नहीं बोल सकता। सुशील कुमार शिंदे के इस बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक्स पर लिखा, ‘कांग्रेस के राज में, देश के गृहमंत्री भी कश्मीर जाने से डरते थे। लेकिन अब पीएम मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र की सुरक्षा इतनी मजबूत है कि विपक्ष के नेता भी कश्मीर में बिना किसी भय के बर्फ से खेलते हैं।” वहीं, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पूर्व गृहमंत्री की कही बातों की आलोचना करते हुए लिखा, ”फर्क साफ है, जहां कांग्रेस शासन में गृहमंत्री कश्मीर में निकलने से डरते थे। वहीं अब मोदी युग में जम्मू-कश्मीर में सालाना 2-3 करोड़ पर्यटक आ रहे हैं।”
यूपीए सरकार के दौरान गृहमंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे के इस कबूलनामे के बाद 25 जनवरी 1992 को एकता यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया एक भाषण भी खासा चर्चा में है। उस भाषण में वर्तमान प्रधानमंत्री ने बिना जान की परवाह किए आतंकियों को ललकारते हुए कहा था कि कान खोलकर सुन लो, 26 जनवरी में चंद घंटे बाकी हैं। लाल चौक में फैसला हो जाएगा कि किसने अपनी मां का दूध पिया है। आखिरकार 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी समेत दर्जनों भाजपा नेताओं ने झंडा फहराकर एकता यात्रा को समाप्त किया था।
दरअसल, उस वक्त 23 जनवरी 1992 को आतंकवादियों ने फगवाड़ा में एकता यात्रा के लिए कश्मीर जा रहे यात्रियों की बसों पर हमला कर दिया था। इस हमले में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद आतंकियों ने श्रीनगर की दीवारों पर लिख दिया था कि जिसने अपनी मां का दूध पिया है, वो लाल चौक पर आकर तिरंगा फहराकर दिखाए। अगर वो जिंदा लौट गया तो हम उसे इनाम देंगे।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से वहां बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। लाल चौक पर जहां कभी पाकिस्तान और आईएसआईएस के झंडे दिखाई देते थे आज वहां तिरंगा लहराता है।
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