भारतीय रेलवे दुनिया में रेल के विभिन्न ताने-बानों में सबसे विशाल और विस्तृत है। रोजाना करीब 22 हजार ट्रेनों में करीब पौने तीन करोड़ यात्री अपनी मंजिल तय करते हैं। रेलवे देश के गरीब, मध्यम एवं उच्च मध्यम वर्ग के लिए यातायात का लोकप्रिय साधन होने के साथ—साथ, देश में करीब 25 फीसदी से अधिक माल परिवहन करने वाला साधन है। इतना ही नहीं, यह हमारी सीमावर्ती सैन्य छावनियों एवं अन्य रणनीतिक केन्द्रों तक सैनिकों की आवाजाही एवं सामरिक आपूर्ति को सुचारु एवं सुलभ बनाने का अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है।
यूं तो भारतीय रेलवे का इतिहास 1852 से शुरू हुआ था, लेकिन आजादी के बाद रेलवे की प्रगति दर धीमी ही रही। हालांकि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद कायाकल्प का संकल्प तेजी से आकार ले रहा है। गत 10 वर्ष में रेलवे ने कुल 30,743 किलोमीटर पटरियां बिछायी हैं।
44,199 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतिकरण किया है। 1324 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। रेलवे के कारखानों में लोकोमोटिव एवं नये अत्याधुनिक सवारी डिब्बों के उत्पादन में रिकॉर्ड कायम हो रहे हैं। भारतीय रेल जापान रेलवे के सहयोग से मुंबई से अमदाबाद के बीच हाईस्पीड रेल परियोजना को तेजी से पूरा करने की ओर अग्रसर है। गतिशक्ति योजना के तहत कार्गो टर्मिनलों के निर्माण से रेलवे की मालवहन व्यवस्था का आधुनिकीकरण करने के साथ ही सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की सफलता के बाद मौजूदा एलबीएच कोचों के साथ ‘पुश—पुल’ तकनीक पर आधारित अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन का निर्माण के अलावा पूर्ण स्वदेशी तकनीक पर आधारित दुर्घटना रोधी प्रणाली ‘कवच’ के विकास ने भारतीय रेलवे को एक नये युग में पहुंचा दिया है।
हो रहा है कायाकल्प
संक्षेप में कायाकल्प के चार प्रमुख मोर्चों पर भारतीय रेलवे ने उल्लेखनीय अंतर प्रदर्शित किये हैं। 1. वंदे भारत एक्सप्रेस और अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन, 2. 1324 अमृत भारत विकसित स्टेशन, 3. पटरियों का क्षमता विस्तार एवं विद्युतिकरण, और 4. पूर्णत: स्वदेशी तकनीक एवं डिजायन पर आधारित संरक्षा प्रणाली कवच। इसके अलावा खानपान, सुरक्षा, साफ सफाई आदि में गुणात्मक परिवर्तन आये हैं। कोविड काल में संरक्षा के लंबित कार्यों को जिस प्राथमिकता से पूरा कराया गया, उससे रेल दुर्घटनाओं में बहुत कमी आयी है। वैसे रेल दुर्घटनाएं भारत में कोई नई बात नहीं हैं।
ऐसा अक्सर ट्रेनों का पटरी से उतर जाना, ट्रैक पर अवांछित वस्तुओं, वाहनों आदि से टकराना, तकनीकी खामियों, मानवीय गलती एवं ढांचागत त्रुटियों के कारण होता रहा है। लेकिन हाल में कुछ दुर्घटनाओं के बाद, सुरक्षा बलों ने जांच की और पाया कि इनमें से कुछ मामलों में साजिश की आशंका है। कई घटनाओं की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने संकेत दिया कि ये हादसे किसी षड्यंत्र के तहत किए हो सकते हैं। हाल के दिनों में कम से कम 17 मामलों में शरारत एवं आपराधिक साजिश का पता चला है। इसी बीच कुछ दिन पहले पाकिस्तानी आतंकवादी फरहतुल्लाह गोरी के एक वीडियो ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
हाल की कुछ प्रमुख रेल दुर्घटनाएं
4.2.2024- वंदे भारत ट्रेन पर पथराव, खिड़कियों के शीशे तोड़े गये।
2.6.2024-मालदा स्टेशन पर शरारती तत्वों ने 18 मिनट तक सिग्नल लाइट को कागज से ढक दिया था।
12.7.2024 -आरपीएफ पोस्ट सिउरी पर लोकल ट्रेन में तोड़फोड़ की गई। उकसाने वाला मुख्य आरोपी शेख लादेन पकड़ा गया।
16.7.2024-भिवंडी रोड में पटरी पर गैस सिलेंडर, हथौड़ा रखा पाया गया।
11.8.2024-सोरम, उत्तर प्रदेश से पटरी से छेड़छाड़ कर रहे अयान खान (16) को गिरफ्तार किया गया।
1.8.2024-ऊंचाहार (लखनऊ डिवीजन) में पटरी पर गैस सिलेंडर, साइकिल रख दी गई। मजहबी उन्मादी गुलजार गिरफ्तार किया गया।
4.8.2024-भद्रक में रेल लाइन क्रॉसिंग के बीच लकड़ी का टुकड़ा फंसाया गया।
5.8.2024-पटरी पर गैस सिलेंडर, साइकिल, कैंची या अन्य घरेलू सामान रखकर वीडियो बनाने की शरारत की गई।
17.8.2024-गोविंदपुरी-भीमसेन के मध्य साबरमती एक्सप्रेस पटरी से उतरी, जिसके पीछे साजिश का अंदेशा। लोको पायलट ने बताया, रेलगाड़ी पटरी पर रखे पुराने रेलवे ट्रैक के 3 फीट लंबे टुकड़े और एक धातु क्लैंप से टकराकर पटरी से उतरी।
18.8.2024-गढ़ा-कछपुरा लाइन पर आपस में जंजीर से बंधे लोहे के छह सरियों से नैनपुर-जबलपुर गाड़ी का इंजन टकराया।
20.8.2024-अलीगढ़ के अफसान नामक मजहबी उन्मादी ने पटरी पर मोटरसाइकिल का एलोय व्हील रखा जिससे ट्रेन टकराई। ट्रैक के पास झाड़ियों से एक और एलॉय व्हील तथा प्लास्टिक बैग बरामद किया गया।
23.8.2024-साबरमती-जोधपुर वंदे भारत एक्सप्रेस बरेली के पास ट्रैक पर रखे पत्थर से टकराई।
आतंक से जुड़े तार?
2002 के गुजरात में गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकवादी हमले के षड्यंत्रकारी फरहतुल्लाह ने टेलीग्राम पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उसने अपने स्लीपर सेल के गुर्गों को दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर ट्रेनों को पटरी से उतारने का फरमान जारी किया। आतंकवादी के इस वीडियो के सामने आने के बाद इन दुर्घटनाओं पर जब दोबारा नजर डाली गयी तो बहुत गंभीर सवाल खड़े हुए कि, क्या ये दुर्घटनाएं जानबूझकर कराई गईं, या ये किसी आतंकवादी षड्यंत्र का हिस्सा हैं?
राजनीति से दूर जांच-पड़ताल में लगीं सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि फरहतुल्लाह का वह वीडियो संदेश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर बनवाया और सोशल मीडिया पर प्रसारित कराया गया। करीब 12 मिनट के इस वीडियो में यह आतंकवादी भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। इसमें वह कह रहा है, ‘‘केवल हथियार उठाना ही जरूरी नहीं है बल्कि अन्य तरीकों से भी भारत को कई पहलुओं पर नुकसान पहुंचाया जा सकता है।’’ वीडियो में एक युवक को रेल की पटरियों पर चाकू लेकर चलते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा इस वीडियो में अनेक पुलों और रेलमार्गों को दिखाया गया है जिनसे होकर ईंधन आदि महत्वपूर्ण सामानों की ढुलाई होती है।
यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, सभी घटनाओं की विस्तृत जांच की जा रही है। कई अखबारों में इस बारे में आये समाचार एवं साजिश की रिपोर्ट परेशान करने वाली हैं। मेरा मानना है कि रेलवे को आरोप—प्रत्यारोप में नहीं घसीटा जाना चाहिए। यह देश के आम लोगों के यातायात का साधन है और इसे राजनीति से परे ही रखा जाना चाहिए। हर किसी को मिल कर इस बात पर गौर करना चाहिए कि रेलवे का संचालन सुचारु रूप से हो सके। — अश्विनी वैष्णव, रेल मंत्री, भारत
फरहतुल्लाह कहता है, ‘‘… हर इलाके में जिहादी अपने अपने दस्ते बनायें और हर दस्ता अलग रणनीति से काम करे ताकि सुरक्षा एजेंसियां उन तक ना पहुंच पाएं।’’ वह आगे कह रहा है, ‘‘भारत सरकार ने अपनी जांच एजेंसी ईडी के जरिए ‘हमारे’ लोगों की जायदाद जब्त की है। बैंक खाते सील किए जा रहे हैं और हमारी संपत्ति पर बाकायदा बुलडोजर चलाया जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि भारत सरकार को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। इस मुंहतोड़ जवाब के जरिए इनके नेताओं को निशाना बनाया जाए। फाइनेंशियल चेन और सप्लाई चेन को निशाना बनाया जाए। रेलवे लाइन को उखाड़ा जाए।’’ वीडियो में तीन मिनट तक उस जिहादी ने तथाकथित मुजाहिदीनों से ‘फिदायीन जंग’ शुरू करने का भी आह्वान किया। खुफिया अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि वीडियो सोशल मीडिया पर करीब एक पखवाड़े से चल रहा है।
इस जिहादी मानसिकता का यह वीडियो सामने आने के दौरान ही, गत जुलाई एवं अगस्त महीनों में ऐसी कम से कम दस घटनाएं हुई हैं जिनमें पटरियों को बाधित किया गया। इन घटनाओं में जिन आरोपियों को पकड़ा गया है और उनके तौर-तरीकों को देखें तो ये अपराधी उस पाकिस्तानी आतंकवादी के ‘दिशानिर्देशों’ का पालन करते दिखे। राजस्थान में वंदे भारत ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की गयी। उससे पहले उत्तर प्रदेश में दो रेलगाड़ियों को पटरी से उतारने की कोशिश हुई। 23 और 24 अगस्त को वंदे भारत ट्रेन को पटरी से उतारने के लिए एक ही स्थान पर कंक्रीट के अवरोधक रखे गए थे।
महज 15 दिन के भीतर तीन रेलगाड़ियों को पटरी से उतारने की साजिश के साथ ही, उत्तर प्रदेश के कानपुर, ऊंचाहार, अलीगढ़ आदि स्थानों पर ट्रैक पर गैस सिलेंडर, ऐलॉय व्हील, साइकिल, पत्थर के बोल्डर, कंक्रीट के ब्लॉक आदि रखना, फिश प्लेटों को उखाड़ना आदि आतंकी घटनाओं का पता चला। देश के कई स्थानों से ऐसी खबरों और वायरल वीडियो का एक सिलसिला सा चल पड़ा। क्या इसे बस एक संयोग माना जा सकता है? इन घटनाओं की प्राथमिक जांच में सभी आरोपियों के नाम से साफ है कि वे सब एक ही मजहब के लोग हैं।
रेल मंत्री की पीड़ा
सरकार की सबसे बड़ी चिंता है रेल परिसंपत्ति एवं जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आमजन के विश्वास को टूटने नहीं देना। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से जब रेल दुर्घटनाओं में बाहरी साजिश के बारे में प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उनके मन में देश के सबसे बड़े यातायात साधन की दुर्घटनाओं में जानमाल की हानि एवं राजनीतिक छींटाकशी को लेकर पीड़ा उभरी थी। उन्होंने कहा कि रेलवे एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके विकास में सभी के सहयोग की जरूरत है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से रेलवे के प्रति नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है। ऐसी भी रिपोर्ट आई हैं कि कुछ लोग जानबूझकर रेल हादसे करवा रहे हैं। इन सभी मामलों की बहुत गहराई से जांच की जा रही है।
कहीं रेलवे के भोजन पर भी तो नहीं बुरी नजर?
इन खबरों का भी रेल यात्रियों पर असर पड़ा है कि शरारती तत्व कहीं रेलवे के खानपान में गड़बड़ी तो नहीं कर रहे। झांसी की श्रीमती उमा शर्मा का कहना है कि रेल मंत्री और सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की भी जांच करनी चाहिये कि रेलवे के खानपान में अचानक से खाने के दूषित होने जैसी की शिकायतों के बढ़ने के पीछे कहीं कोई साजिश तो नहीं है। कहीं उन्मादी जानबूझकर भारतीय रेलवे को अपमानित करने के लिए खुद ऐसी घटनाएं तो नहीं कर रहे हैं!
उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, सभी घटनाओं की विस्तृत जांच की जा रही है। कई अखबारों में इस बारे में आये समाचार एवं साजिश की रिपोर्ट परेशान करने वाली हैं। मेरा मानना है कि रेलवे को आरोप-प्रत्यारोप में नहीं घसीटा जाना चाहिए। यह देश के आम लोगों के यातायात का साधन है और इसे राजनीति से परे ही रखा जाना चाहिए। हर किसी को मिलकर इस बात पर गौर करना चाहिए कि रेलवे का संचालन सुचारु रूप से हो।’
यह तो तय है कि गत दस वर्ष में रेलवे ने जिस द्रुत गति से आधुनिकीकरण का कार्य किया है, उसकी दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है। लेकिन इसके भी विरोध में नकारात्मकता का प्रसार करने वाला विपक्ष और सीमापार से भारत को आघात पहुंचाने की मंशा रखने वाले तत्व, दोनों से सतर्क रहते हुए, सुरक्षा के और पुख्ता इंतजाम करते हुए सरकार विकास के अपने तय एजेंडे पर बढ़ती दिख रही है। यह हर भारतीय के लिए संतोष की बात है।
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