उत्तराखंड

उत्तराखंड सांस्कृतिक विरासत : नंदाष्टमी पर्व पर माँ नंदा के जयकारों से गूंज उठेगी भ्यूंडार घाटी

Published by
दिनेश मानसेरा and संजय चौहान

चमोली (उत्तराखंड ब्यूरो) । हिमालय की अधिष्ठात्री देवी माँ नंदा का अद्वितीय लोकोत्सव भ्यूंडार घाटी में 10 से 13 सितंबर तक भव्य नंदाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाएगा। माँ नंदा का थान इस दौरान भक्तों के जयकारों से जागृत हो उठेगा। नंदाष्टमी का यह पर्व हिमालय के लोक जीवन का प्रमुख उत्सव है, जिसमें स्थानीय लोग माँ नंदा के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा और भक्ति प्रकट करते हैं। यह आयोजन पुष्पावती और भ्यूंडार गंगा की घाटियों में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।

भ्यूंडार गांव के स्थानीय युवा सौरभ सिंह चौहान बताते हैं कि नंदा अष्टमी के दिन गाँववासी माँ नंदा देवी के मंदिर में एकत्रित होकर भूमिया देवता की पूजा करते हैं, जिसके बाद दो फुलारियों को माँ नंदा के बुलावे के लिए कैलाश भेजा जाता है। फुलारियों के साथ माँ नंदा और लोकपाल जी के प्रतीकस्वरूप तलवारें भेजी जाती हैं। यह लोक यात्रा गाँव में पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है।

जागर में होता है माँ नंदा से संवाद

फुलारियों के लौटने पर माँ नंदा के स्वागत के लिए जागर आयोजित होता है, जिसमें ग्रामीणों के बुजुर्ग जगरोई जागर गाते हुए माँ नंदा से कैलाश की कुशलक्षेम पूछते हैं। माँ नंदा जागर के माध्यम से अपनी बातें बताती हैं और ग्रामीणों को आशीर्वाद देती हैं। इस पारंपरिक आयोजन में माँ नंदा के पौराणिक जीवन से जुड़ी गाथाओं का वर्णन होता है।

माँ नंदा का विशेष विग्रह

भ्यूंडार गांव के लोग माँ नंदा के आगमन के लिए विशेष रूप से माँ नंदा का विग्रह तैयार करते हैं, जिसमें उनकी दिव्य छवि को दर्शाया जाता है। इस विग्रह को रात्रि में तैयार किया जाता है और अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त में समस्त ग्रामवासियों के लिए दर्शनार्थ खोला जाता है। इसके बाद माँ नंदा को भोग लगाकर आरती की जाती है।

विदाई पर छलकते हैं आंसू

नंदाष्टमी के अंतिम दिन माँ नंदा की विदाई के समय समस्त गाँववासी अपने अश्रुओं से माँ नंदा को विदा करते हैं। माँ नंदा आश्वस्त करती हैं कि जब भी गाँव पर संकट आएगा, वह रक्षा के लिए लौट आएंगी। विदाई के समय माँ नंदा के प्रति लोगों का अगाध प्रेम और भक्ति देखने को मिलती है।

भ्यूंडार घाटी: अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य

चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक में स्थित भ्यूंडार घाटी समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पुष्पावती नदी के किनारे फूलों की घाटी, झरनों का संगीत और बर्फ से ढके पर्वत मिलकर इस घाटी को स्वर्गिक सौंदर्य प्रदान करते हैं।

Share
Leave a Comment

Recent News